अमरिंदर ने सेना संग पारिवारिक रिश्ते की शताब्दी मनाई

www.khaskhabar.com | Published : रविवार, 23 जून 2019, 4:58 PM (IST)

चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (77) ने यहां एक सामाजिक अवसर पर सेना के जवान, जूनियर कमीशन अफसरों और सिख रेजिमेंट के अफसरों के साथ मिलकर भारतीय सेना के साथ अपने परिवार के सौ साल पुराने सौहार्द को मजबूत करने का प्रयास किया। उनके सहयोगियों ने रविवार को यह जानकारी दी। यहां शनिवार की शाम चंडीमंदिर में हुई एक औपचारिक सभा में अमरिंदर सिंह ने जवानों का उत्साहवर्धन किया और खुद भी भांगड़ा की धुन पर अपने कदम थिरकाए।

इस मौके ने सेना की पलटन और भारतीय जवान के साथ पटियाला के शाही राजघराने के साहचर्य को चिन्हित किया।

मुख्यमंत्री सबसे पहले जूनियर कमीशन अफसरों के मेस में गए और बाद में रेजिमेंट अफसरों और अतिथियों के साथ भोजन किया।

दो बार के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह तत्कालीन पटियाला शाही घराने के राजवंशज रह चुके हैं, साथ ही भारतीय सेना में भी वह अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

साल 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में वह आर्मी कप्तान रह चुके हैं।

इस सम्मेलन में जवानों और उनके परिवार और बच्चों के साथ अमरिंदर ने एक यादगार पल को साझा किया। वह सिख रेजिमेंट (तत्कालीन 15 लुधियाना सिख) की दूसरी पलटन के साथ स्वतंत्र रूप से जुड़े रहे।

यह उनके और उनके परिवार के लिए गर्व और सम्मान की बात थी कि उन्होंने भारतीय सेना में एक सेना के रूप में सेवा की, मुख्यमंत्री ने कहा कि सेना हमेशा से ही उनका पहला प्यार रहा है और हमेशा रहेगा।

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उन्होंने आगे यह भी कहा कि भारतीय सेना अभी भी लोगों की सेवा करने के लिए उन्हें प्रेरित करती है।

उनके एक करीबी सैन्य अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, अमरिंदर सिंह ने 1963 से 1969 तक सिख रेजिमेंट के दूसरे बटालियन में अपनी सेवाएं दी थीं। हालांकि पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने के लिए उन्होंने काफी कम समय के अंदर ही इसे छोड़ दिया, लेकिन 1965 में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू होने पर सेना के प्रति उनके प्यार ने उन्हें फिर से वापस लाया।

उनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल महाराजा यादवेंद्र सिंह ने 1935 में रेजीमेंट में अपनी सेवा प्रदान की और 1938 से 1950 के बीच 2/11 वह शाही सिखों और 1950 से 1971 के बीच दो सिखों के कर्नल थे।

अमरिंदर सिंह के दादा मेजर जनरल महाराजा भूपिंदर सिंह 1918 से 1922 तक 15वें लुधियाना सिखों के और इसके बाद 1922 से 1938 तक 2/11 शाही सिखों के कर्नल थे।

--आईएएनएस