मप्र : ललितपुर में अन्ना गायों की भूख मिटाता ‘गौ माता सेवा अभियान’

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 14 जून 2019, 1:35 PM (IST)

ललितपुर। बुंदेलखंड में हर किसी के लिए पेट भरना कठिन हो गया है, चाहे इंसान हो, या जानवर। इंसान तो पेट पालने के लिए पलायन कर जाता है, मगर जानवर कहां जाएं। मालिक बेकार हो चुके जानवरों को छोड़ देते हैं और वे यही सडक़ों पर घूमते रहते हैं। यहां तक कि दूध देना बंद कर चुकीं गायों को भी लोग छोड़ देते हैं। अब ऐसी आवारा छुट्टा गायों का पेट भरने के लिए ललितपुर जिले में चारा जुटाने का अभियान चलाया जा रहा है, और इस अभियान का नाम दिया गया है ‘गौ माता सेवा अभियान’।

यह अभियान हालांकि लगभग डेढ़ साल से चल रहा है, लेकिन अब इस अभियान में तेजी आई है। अभियान से प्रभावित होकर क्षेत्र के बाहर के लोगों ने भी इसमें रुचि दिखाई है। मुंबई में कारोबार कर रहे जिले के एक बड़े कारोबारी ने इन गायों की भूख मिटाने के लिए हाथ बढ़ाया है।

ललितपुर के तालबेहट कस्बे के मूल निवासी मुंबई के कारोबारी राजकिशोर सोनी का कहना है, ‘‘यह समाज हित का अभियान है। इस अभियान के बारे में जानकारी मिलते ही खुद को इस अभियान से जोडऩे का मन बनाया, और इसी के चलते तय किया है कि 25 एकड़ खेत में होने वाली पैदावार से निकलने वाला 125 कुंटल भूसा गायों को उपलब्ध कराएंगे। ऐसा सिर्फ एक साल के लिए नहीं होगा, बल्कि हमेशा यह भूसा गायों के हिस्से का होगा।’’

छुट्टा या अन्ना गायों को गांव तक सीमित रखने के लिए ललितपुर के जिलाधिकारी मानवेंद्र सिंह ने ‘गौ माता सेवा अभियान’ लगभग साल भर पहले शुरू किया था। इस अभियान के तहत आमजनों से भूसा मांगकर इक_ा किया जाता है और उससे गायों का पेट भरता है। इसके अभियान के तहत कई गांवों में खोली गईं गौशालाओं को आसानी से भूसा मिलने लगा है।

मानवेंद्र ने इस अभियान के संदर्भ में आईएएनएस को बताया, ‘‘अन्ना जानवरों पर नियंत्रण करने के मकसद लगभग डेढ़ साल पहले यह अभियान शुरू किया गया था। इस अभियान के जरिए अन्ना पशुओं, खासकर गायों की समस्या के निराकरण के लिए गौवंश आश्रय स्थल की व्यवस्था की जा रही है। इसमें गौवंश के रख-रखाव का प्रबंध किया जा रहा है। इस कार्य में गौवंश के लिए भूसे की व्यवस्था जनसहयोग व ग्राम प्रधानों के सहयोग से की जा रही है।’’

बुंदेलखंड उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के सात-सात जिलों को मिलाकर बनता है। 14 जिलों में फैले इस इलाके को देश में समस्याग्रस्त क्षेत्र के तौर पर पहचाना जाता है। सूखा, पलायन, बेरोजगारी, पानी का संकट यहां की पहचान है। पैदावार अच्छी न होने के चलते ज्यादातर किसानों के पास जानवरों के लिए पर्याप्त चारा नहीं होता। लिहाजा, मालिक उन जानवरों को खुले में छोड़ देते हैं। ये जानवर यहां के किसानों के लिए बड़ी समस्या बन जाते हैं।

बुंदेलखंड के किसी भी इलाके में सडक़ों पर सैकड़ों मवेशी नजर आ जाते हैं। इनमें सबसे ज्यादा गायें होती हैं। ये ऐसी गायें हैं, जो दूध देना बंद कर चुकी हैं। इन आवारा जानवरों को यहां ‘अन्ना’ मवेशी कहा जाता है।

बुंदेलखंड सेवा संस्थान के मंत्री और सामाजिक कार्यकर्ता बासुदेव सिंह का कहना है, ‘‘ललितपुर जिले में एक अभिनव पहल की गई है। इसके चलते जहां गायों को अपनी भूख मिटाने के लिए अब आसानी से भूसा मिलने लगा है, उनकी सडक़ों पर मौजूदगी कम हो गई है, जिससे आने वाले दिनों में हादसों पर अंकुश लगने की संभावना है। साथ ही किसानों की फसलों को नुकसान होने का खतरा कम होगा।’’

तालबेहट नगर पंचायत अध्यक्ष मुक्ता सोनी का कहना है, ‘‘बुंदेलखंड में अन्ना जानवर बड़ी समस्या बन गए हैं। हर तरफ सैकड़ों की संख्या में इनका झुंडों में नजर आना आम है। ललितपुर जिले में जगह-जगह गौशालाएं शुरू होने से इस समस्या से निजात मिलने लगी है। अन्य हिस्सों में भी इस तरह के प्रयोग हों, तो एक तरफ गौवंश का संरक्षण व संवर्धन होगा, और दूसरी तरफ समस्याओं से मुक्ति भी मिलेगी।’’

बुंदेलखंड में आवारा जानवरों के कारण किसानों को अपनी फसल की रखवाली के लिए रात-रातभर जागना होता है। कई बार खेतों में जानवरों के घुसने पर विवाद भी होते हैं। ललितपुर का अभिनव प्रयोग अन्य जिलों के लिए भी उदाहरण है।

(आईएएनएस)

ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे