ये तो सब
जानते है कि आज के समय में बिना पैसों के कुछ भी मुमकिन नहीं है। पैसा के
दम पर आप सब कुछ कर सकते है। वहीं अगर आप के पास नहीं है तो आपको कोई पूछने
वाला भी नहीं है। लेकिन अगर हम कहें कि बिना पैसों के आपको बिना पैसे के
या मुफ्त में कोई सामान मिल रहा है तो आप क्या कहेंगे। आप मानों या नहीं
लेकिन ये सच है।
दुनिया में एक ऐसी ही जगह है जहां हर सामान बिना पैसे के
मिलता है, और वो जगह और कहीं नहीं बल्कि अपने भारत देश में ही हैं। दरअसल,
असम के मोरीगांव जिले में जूनबिल क्षेत्र में एक मेला लगता है। इस मेले में
हर सामान मुफ्त में मिलता है।
इस मेले में पहाड़ी जनजातियां और मैदानी
जनजातियां बड़ी संख्या में पहुंचती हैं। वो अपना सामान बेचने के लिए इस
मेले में आती हैं। हर साल ये मेला तीन दिन के लिए लगता है। दुनियाभर में इस
तरह की परंपरा के अनुसार आयोजित होने वाला यह मेला अपने आप में अनोखा मेला
है।
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इस मेले की खासियत है कि इसमें आधुनिक मुद्रा यानि पैसे का चलन नहीं है।
यहां सामान की खरीददारी कीमत तय करने के बाद सामानों की अदला-बदली से की
जाती है। दोपहर के वक्त पहाड़ों से आने वाली जनजातियां अपने सामानों को
मेला में लेकर पहुंचती हैं।
बता दें, इन जनजातियों को यहां पर आम बोलचाल
में मामा-मामी के नाम से संबोधित किया जाता है। बता दें, मेला पिछले
पांच सौ साल से ऐसे ही चला आ रहा है। जिसमें जनजातियों के समागम के रूप में
देखा जा सकता है। इस मेले में पहाड़ी जनजातियों और मैदानी लोगों के बीच
कृषि जनित सामग्रियों की खरीद-फरोख्त होती है।
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इस मेले में मुख्य रूप से अदरख, कच्ची हल्दी, कुम्हड़ा के साथ ही मैदानी
इलाकों के लोग पीठा, लड्डू, सूखी मछली समेत अन्य सामग्रियों की अदला-बदली
करते हैं। इस मेले में जोनबिल (झील) में सामूहिक मछली पकडऩे की भी परंपरा
निभाई जाएगी।
मेला के आखिरी दिन ऐतिहासिक गोभा राजा का राज दरबार लगाया
जाता है। जिसमें सभी जाति-जनजाति, धर्म के लोग हिस्सा लेते हैं।
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