सैन फ्रांसिस्को। नस्लवाद को बढ़ावा देने वाले श्वेत वर्चस्ववादियों को अपने मंच पर रहने देना चाहिए या नहीं, यह तय करने के लिए माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट ट्विटर आंतरिक शोध करवा रही है।
27.5 करोड़वैश्विक यूजर्स वाले ट्विटर का लक्ष्य विशेष रूप से श्वेत राष्ट्रवाद व उनके वर्चस्व पर काम करना है, ताकि इसके चालकों को समझा जा सके और उनसे निपटा जा सके।
इस ऐप का अपने मंच पर श्वेत वर्चस्ववादियों के साथ एक परेशानी भरा इतिहास रहा है, लेकिन यह आश्चर्य की बात है कि मामले में खुली बातचीत प्रतिबंधों से अधिक प्रभावी होगी।
वॉइस न्यूज ने बुधवार को ट्विटर के विश्वास व सुरक्षा, कानूनी व सार्वजनिक नीति, प्रमुख के रूप में कार्य कर रहे विजया गद्दे के हवाले से कहा, ‘‘जवाबी भाषण और बातचीत अच्छाई के लिए एक बल है और वे डी-रेडिकलाइजेशन (कट्टरता को कम करने) के लिए एक आधार के रूप में कार्य कर सकते हैं और हमने देखा है कि अन्य प्लेटफार्मों पर ऐसा होता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘तो हम जिन चीजों पर शिक्षाविदों के साथ काम कर रहे हैं उनमें से कुछ शोध इस बात कि पुष्टि करते हैं।’’
माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट गैर-प्रकटीकरण समझौतों (एनडीएएस) के तहत बेनाम बाहरी शोधकर्ताओं के साथ काम कर रही है।
(आईएएनएस)
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