विश्व थायराइड दिवस : महिलाओं में संभावना अपेक्षाकृत अधिक

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 25 मई 2019, 12:21 PM (IST)

नई दिल्ली। एक अनुमान के अनुसार दुनियाभर में 20 करोड़ लोग थायराइड डिसऑर्डर से पीडि़त हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार महिलाओं में थायराइड डिसऑर्डर की संभावना पुरुषों की तुलना में अधिक होती है। एसआरएल डाएग्नोस्टिक्स की अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार, कुल आबादी की बात करें तो 20 फीसदी महिलाओं को थायराइड एंटीबॉडीज के लिए पॉजिटिव पाया गया, जबकि पुरुषों में यह संख्या 15 फीसदी थी।

वास्तव में 31 से 45 आयुवर्ग की 18 फीसदी आबादी थायराइड एंटीबॉडीज के लिए पॉजिटिव पाई गई है। उत्तरी भारत में सबसे बड़ी संख्या में लोग थायराइड एंटीबॉडीज के लिए पॉजिटिव पाए गए हैं। थायराइड डिसऑर्डर का असर थायराइड ग्रंथि पर पड़ता है, जो एडम्स एप्पल के नीचे गर्दन के सामने वाले हिस्से में स्थित तितली के आकार का अंग है।

थायराइड ग्रंथि द्वारा बनाए गए एवं संग्रहित किए गए हार्मोन शरीर के विभिन्न अंगों की कार्यप्रणाली को प्रभावित करते हैं। ये हार्मोन शरीर की मैटोबोलिक रेट, कार्डियक एवं डाइजेस्टिव फंक्शंस (दिल एवं पाचन तंत्र की कार्यप्रणाली), दिमाग के विकास, पेशियों के नियंत्रण, हड्डियों के रखरखाव एवं व्यक्ति के मूड को विनियमित करते हैं।

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एसआरएल डायग्नोस्टिक्स के टेक्नोलॉजी एवं मेंटर (क्लिनिकल पैथोलोजी) विभाग के अध्यक्ष डॉ. अविनाश फडक़े ने कहा कि थायराइड ग्रंथि से दो मुख्य हार्मोन बनते हैं जिन्हें थॉयरॉक्सिन या टी4 और टी3 कहा जाता है। दिमाग में स्थित पियूष ग्रंथि थॉयराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन- टीएसएच बनाती है जो टी4 और टी3 की मात्रा पर नियन्त्रण रखता है, इस पर निगरानी बनाए रखता है।

लिंग असमानता की बात करते हुए डॉ. फडक़ ने कहा, पुरुषों की तुलना में महिलाओं का शरीर हार्मोनल बदलाव के लिए अधिक संवेदनशील और अधिक प्रतिक्रियाशील होता है। सभी महिलाओं को अपने पहले एंटीनेटल विजिट के दौरान टीएसएच स्तर की जांच करानी चाहिए, गर्भावस्था से पहले तथा गर्भावस्था की पुष्टि होने के बाद भी तुरंत स्क्रीनिंग की जानी चाहिए।

(IANS)

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