क्या इस बार भी दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर जाएगा !

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 22 मई 2019, 6:33 PM (IST)

धीरज उपाध्याय

लखनऊ । लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम आने में अब कुछ ही घंटे शेष बचे हैं और ऐसे में अटकलों का दौर तेज हो गया है। लेकिन क्या हर बार की तरह इस बार भी दिल्‍ली का रास्‍ता उत्‍तर प्रदेश से होकर जाएगा। इसका फैसला यूपी की 80 लोकसभा सीटें गुरुवार को करेंगी। जबकि एग्जिट पोल की मानें तो सूबे में भाजपा की लहर बरकरार रह सकती है। लेकिन विपक्ष की आस एग्जिट पोल के अनुमानों के गलत होने को लेकर टिकी है। यूपी का केंद्र की राजनीति की दिशा तय करने और हमेशा नए सियासी समीकरण से 'किंगमेकर' बनने का इतिहास रहा है।

19 मई को अंतिम चरण के बाद आए एग्जिट पोल के अनुमानों के अनुसार एसपी-बीएसपी-आरएलडी के महागठबंधन के एक साथ चुनाव लड़ने के बाद भी यूपी में बीजेपी शानदार प्रदर्शन कर रही है। कई एग्जिट पोल के अनुमान के मुताबिक प्रदेश में एसपी-बीएसपी गठबंधन बीजेपी को रोकने में नाकाम दिख रहा है। एक्सिस माय इंडिया के मुताबिक यूपी की 80 सीटों में एनडीए को 62-68 सीटें मिल सकती हैं। वहीं एसपी-बीएसपी गठबंधन को 10-16 और कांग्रेस को 1 से 2 सीटें मिल सकती हैं। इसी तरह टुडे चाणक्य एग्जिट पोल के में यूपी में एनडीए को 65 (+-8) सीटें यानी 57 से लेकर 73 तक सीटें मिल सकती हैं। 6 एग्जिट पोल्स के नतीजों का औसत निकालें तो बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को 52 सीटें मिलने का अनुमान है। वहीं, महागठबंधन को 26 और कांग्रेस को महज 2 सीटें मिलने की संभावना जताई जा रही है। अगर यह अनुमान परिणाम में बदलते हैं तो एसपी-बीएसपी-आरएलडी गठबंधन के लिए बड़ा झटका होगा। हालांकि दो एग्जिट पोल एबीपी-नील्सन और सी-वोटर के सर्वे में महागठबंधन को क्रमश: 45 और 40 सीटें मिलती नजर आ रही हैं। इन दो एग्जिट पोल की मानें तो एसपी-बीएसपी के बीच काफी हद तक यूपी में वोट ट्रांसफर हुआ है।

2014 के चुनाव में यूपी में एनडीए 42.30 फीसदी वोटों के साथ 73 सीटें जीतने में सफल हुई। जबकि सपा 22.20 फीसदी वोटों के साथ 5 सीटें और बसपा 19.60 फीसदी वोटों के साथ खाता खोलने में नाकाम रही। वहीं, कांग्रेस 7.50 फीसदी वोटों के साथ 2 सीटें जीतने में कामयाब रही। सपा-बसपा का वोट मिला दिया जाए तो करीब 42 प्रतिशत वोट होता है जो एनडीए के बराबर है।

यूपी का जातीय समीकरण


सूबे में इस समय 22 फीसदी दलित वोटर हैं, जिनमें 14 फीसदी जाटव हैं, ये बसपा का सबसे मजबूत वोटबैंक है। जबकि शेष 8 फीसदी दलित मतदाताओं में 60 से अधिक जातियां हैं। वहीं, 45 फीसदी के करीब ओबीसी मतदाता हैं। जिसमें 10 फीसदी यादव, 5 फीसदी कुर्मी, 5 फीसदी मौर्य, लोधी 4% और जाट 2% फीसदी हैं। बाकी 19 फीसदी में गुर्जर, राजभर, बिंद, बियार, मल्लाह, निषाद, चौरसिया, प्रजापति, लोहार, कहार, कुम्हार सहित 100 से ज्यादा उपजातियां हैं। वहीं 19 फीसदी के करीब मुस्लिम हैं। 18 फीसदी मतदाता अगड़ी जाती के है।



गौरतलब है कि एग्जिट पोल के अनुमानों ने विपक्षी दलों की बेचैनी बढ़ा दी है। विपक्षी दलों को आस है कि 23 मई आने वाला चुनाव परिणाम इनसे हुआ, तो उसमें यूपीए समेत तीसरे मोर्चे की संभावना पर भी विचार होगा। इस तीसरे मोर्चे यूपी से मायावती और अखिलेश की भूमिका अहम हो सकती है।

यूपी और लोकसभा चुनाव के आंकड़ो के मुताबिक जब भी किसी पार्टी को प्रदेश में ज्यादा सीटें मिलती है तों वो केंद्र में सरकार बनाने में सफल रहता है। नब्बे के दसक में 1996 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यूपी में 52 सीटें मिलीं और अटल बिहारी वाजपेयी कुछ समय के लिए पीएम बने। 1999 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यूपी में अच्‍छा प्रदर्शन किया और उसकी सरकार बनी। वर्ष 2004 में कांग्रेस के नेतृत्‍व में यूपीए की केंद्र में सरकार बनी जिसे यूपी में क्रमश: 35 और 15 सीटें जीतने वाली एसपी और बीएसपी का समर्थन हासिल था। यही स्थिति 2009 के लोकसभा चुनाव में भी रही। वर्ष 2014 में मोदी लहर में बीजेपी ने यूपी में 80 में से 71 सीटें जीतकर केंद्र में सरकार बनाई। इस बार भी कुछ ऐसी ही उम्मीद दिख रही है

ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे