खेतो में नहरी और बरसाती पानी देने कि योजना तैयार करे : भाकियू

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 22 मई 2019, 5:36 PM (IST)

चंडीगढ़। भारतीय किसान यूनियन हरियाणा ने बुधवार को प्रेस नोट जारी करते हुए कहा कि हरियाणा सरकार पानी कि जल संकट कि स्थिति पर गंभीरता दिखाते हुए राज्य के 36 डार्क जॉन हल्कों में से शुरवाती दोर में 7 हल्कों में किसानों को धान कि खेती के बिजाए मक्के व अरहर कि खेती के लिए प्पायलट परियोजना लागू कि गई है जबकि सच्चाई से सरकार कोसो दूर है।

भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सरदार गुरनाम सिंह ने बताया कि सरकार किसानों मरने का कम कर रही है क्योकि हर खेत में पानी कैसे पहुचे इसकी कोई योजना तैयार नही कि गई ऊपर से इस सरकार ने डार्कजॉन की जीवन रेखा दादुपुर नलवी नहर में पानी चालू करवाने कि बजाए उसे बन्द करने का काम किया इसलिए किसान के हर खेत में पानी पहुचने कि योजना तैयार कि जाए बरसाती पानी को सिचाई के लिए प्रयोग करने के लिए तालाब बनाने की योजना तैयार करनी चाहिए।

उन्होने बताया कि पिछले साल किसानों के न्यनतम समर्थन मूल्य को लेकर माननीय पंजाब एंड हाईकोर्ट में चल रहे केस में जब हाईकोर्ट ने मक्का खरीद के आदेश दिए थे तब सरकार ने नही खरीदा उसके बाद जब किसानों ने यह बात दुबारा हाईकोर्ट में रखी तब सरकार ने हाइकौर्ट में झूठ कहा था कि किसान मंडियो में मक्का लेकर नही आया फिर किसानों कि तरफ से कोर्ट में हरियाणा कि मात्र 6 मंडियो के आँकड़े दिए गए थे जिसमें कि लगभग 12.5 हजार किवंटल मक्का मड़ियो में आया था तब भी सरकारी अधिकारियों ने यह मक्का व्यापारियाओ का बता दिया था अब किस आधार पर सरकार मक्का बीजाई कि बात कि जा रही है ये समझ से परे है।

उन्होने बताया की प्रदेश में साल में दो बार मक्का की बीजाई की जा सकती है रबी व खरीब में परंतु सरकार ने रबी की बीजाई वाले मक्के की खरीद की कोई बात नही की दूसरी फसल जोकि जून ओर जुलाई में सरकार बीजाई की बात कर रही है उसकी पैदावार बहुत कम रहती है ओर किसान को सीधा नुकसान होने के कारण बीजाई नही करता उहोने बताया की सरकार द्वारा दिए जाने वाले बीज व 2000 रुपए भी किसान की भरपाई नही करते जब तक किसान को धान से अधिक पैसा अन्य फसल में नही मिलेगा तब तक किसान फसल का विधिकरण भी नही करेगा। इसी प्रकार की योजना कई साल पहले पंजाब में भी शुरू की गई थी जोकि फसल की खरीद न होने के कारण बुरी तरह से फेल हो गई थी। सबसे पहले सरल तरीके न्यनतम समर्थन मूल्य पर पूरी फसल खरीद कि गारंटी का कानून बनाया जाए जिससे किसान को उसकी फसल खरीदने की गारंटी मिले।

उन्होने कहा कि सरकार का टयूबवेल कनेक्शन बन्द करना किसानों को सीधा सीधा मारना है कियूकी टयूबवेल मात्र धान में ही पानी नही देता वह अन्य फसलों में पानी देता है यदि सरकार टयूबवेल कनेक्शन नही देना चाहती दो किसानों के खेतो में पानी पहुचने कि पायलट परियोजना तैयार करे उदरहण के तोर पर शाहबाद भी डार्कजोन हल्का है परंतु बरसाती नदी मार्कण्डा नदी का लाखों क्यूसिक पानी बेकार चला जाता है।

जिसके ऊपर सरकार का काओई ध्यान नही है इस प्रकार की सभी नदियो व बरसाती संसाद्नों पर भी कोई बड़ी योजना बनाकर इस पानी को बेकार जाने से रोका जाए ओर खेतो की सिचाई में इस्तेमाल किया जाए । फावरा व ड्रिप सिस्टम के लिए सरकार की तरफ से 100% सबप्सिडी दी जानी चाहिए ताकि कम पानी में किसान खेती कर सके।

उहोने बताया की खेती व सिचाई पर लगातार बजट कम हो रहा है जिस कारण यह समस्या गंभीर रूप तैयार कर रही है पहली पंचवर्षीय योजना से बजट घट कर 10% भी नही रहा इसलिए सरकार को इसके ऊपर कई गुना बजट बढ़ाना चाहिए।

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