राष्ट्रीय सहकार मसाला मेले का सोमवार को होगा समापन, नब्बे लाख से अधिक की हुई बिक्री

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 18 मई 2019, 9:58 PM (IST)

जयपुर। यह जयपुरवासियों का सहकारिता में दृढ़ विश्वास का ही परिणाम है कि मई माह की तेज धूप और धूल भरी आंधियों का मौसम भी उन्हें जवाहर कला केन्द्र में आयोजित हो रहे राष्ट्रीय सहकार मसाला मेले में आने से नहीं रोक पा रहा है। गत 8 दिनों में 90 लाख रुपये से अधिक के मसालों की खरीद इस बात का प्रमाण है। यह जानकारी रजिस्ट्रार, सहकारिता डॉ. नीरज के. पवन ने दी।

उन्होंने कहा कि मसाला मेले में प्रदेश के सभी क्षेत्रों के बेहतरीन गुणवत्तापूर्ण मसाले प्रतिस्पर्धी एवं उचित मूल्य पर उपलब्ध कराये जा रहे हैं। मेले के माध्यम से हमारा प्रयास है कि अन्य राज्यों के मसाला उत्पाद यहां उपलब्ध कराये जायें। इस बार मेले में केरल, तमिलनाड़ु एवं पंजाब के मसाले एवं रसोई में उपयोगी अन्य उत्पाद भी उपलब्ध कराये जा रहे हैं।

डॉ. पवन ने कहा कि मेले का समापन सोमवार 20 मई को होगा। महिलाओं की पसन्द को देखते हुये राज्यपाल पदक से सम्मानित कैथून की सहकारी समिति द्वारा अकीला बानों के हाथों से तैयार की गई कोटा डोरिया, मूंगा की साड़ियां, कुर्ता एवं दुपट्टों की पूरी रेंज उपलब्ध करवाई गई है। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने की दृष्टि से मेले में महिलाओं द्वारा तैयार किये गये हस्तनिर्मित उत्पादों की बिक्री भी की जा रही है।

उपभोक्ता संघ के प्रबंध निदेशक संजय गर्ग ने बताया कि मेले में साबुत मसालोंं की पिसाई के लिये चक्की लगाई गई है जिस पर उपभोक्ता अपने सामने मसालों की पिसाई करवा सकता है। यह सुविधा निःशुल्क है। उन्होंने कहा कि हर वर्ष की भांति मेले में कॉनफैड द्वारा शरबती गेहूं उपलब्ध कराये गये हैं।

प्रबंध निदेशक गर्ग ने कहा कि मेले में उदयपुर भण्डार द्वारा बूंदी का बासमती चावल, सूखे मेवे, विभिन्न प्रकार के शरबत एवं ठण्डाई, जड़ी बूटियों एवं मसालों के एस्सेंस ऑयल युक्त अर्क सहित उपयोगी उत्पाद उपलब्ध कराये गये हैं। राजसमन्द भण्डार द्वारा उपलब्ध कराया गया चैत्री गुलाब का गुलकन्द एवं शरबत अपने आप में अनूठा होने के कारण सभी की पसन्द बना हुआ है।

प्रबंध निदेशक ने कहा कि सोमवार तक चलने वाले इस मेले में बच्चों के लिए किड्स जोन बनाया गया है ताकि मेले में महिलायें बिना किसी व्यवधान के खरीददारी कर सकें। जयपुरवासियों को प्रदेश के हर क्षेत्र की संस्कृति से रूबरू कराने के उदेश्य से मेले में प्रतिदिन सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया जा रहा है।

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