बुंदेलखंड पैकेज में गड़बड़ी की जांच कराएंगे : कमलनाथ

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 15 मई 2019, 7:54 PM (IST)

भोपाल। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि केंद्र की पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार द्वार बुंदेलखंड के लिए स्वीकृत पैकेज के क्रियान्वयन में हुए भ्रष्टाचार की जांच कराएंगे और दोषी लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। कमलनाथ ने जांच का यह निर्णय कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के निर्देश पर लिया है।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पिछले दिनों बुंदेलखंड में चुनाव प्रचार के दौरान बुंदेलखंड पैकेज में हुए भ्रष्टाचार का मसला उठाया था और कहा था, ‘‘बुदेलखंड पैकेज में हजारों करोड़ रुपये दिए गए थे। इस पैकेज को भाजपा नेताओं ने बुंदेलखंड की जनता से छीन लिया। कमलनाथ जी आप कार्रवाई कीजिए और बुंदेलखंड की जनता को वह पैसा दिलाइए।’’

गांधी के निर्देश को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने गंभीरता से लिया है, और उन्होंने इसकी नए सिरे से जांच कराने का निर्णय लिया है।

कमलनाथ ने आईएएनएस से कहा, ‘‘बुंदेलखंड पैकेज में भयंकर भ्रष्टाचार हुआ, पैसे का दुरुपयोग हुआ है। हम इसकी जांच कराएंगे।’’ उन्होंने कहा कि जांच में दोषी पाए गए लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।

कमलनाथ ने हालांकि यह नहीं बताया कि जांच कब शुरू होगी, उसका प्रारूप क्या होगा और वह कितने दिनों में पूरी हो जाएगी।

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुंदेलखंड की तस्वीर बदलने के लिए केंद्र में संप्रग सरकार के दौरान विशेष पैकेज मंजूर कराया था, मगर क्षेत्र के हालात नहीं बदले, क्योंकि यह पैकेज भ्रष्टाचार की बलि चढ़ गया।

राहुल गांधी ने बुंदेलखंड को बहुत करीब से देखा, जाना-समझा और गरीबों के घरों में रातें गुजारी थी। उस दौरान उन्होंने यहां की गरीबी देखकर क्षेत्र हालात बदलने की दिशा में प्रयास किए थे। लगभग एक दशक पहले उन्होंने इस क्षेत्र के लिए 7,600 करोड़ रुपये से अधिक का विशेष पैकेज मंजूर कराया था।

पैकेज के तहत मध्य प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड के मौजूदा सात जिलों सागर, दमोह, छतरपुर, निवाड़ी, टीकमगढ़, पन्ना और दतिया के लिए 3,860 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। इस राशि से जल संसाधन, कृषि, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, उद्यानिकी, वन, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, पशुपालन, मत्स्य-पालन, कौशल विकास आदि विभागों के जरिए सरकार को अलग-अलग काम कराने थे। लेकिन यह पैकेज जमीन पर कहीं नहीं दिखा। जो संरचनाएं बनीं वे या तो एक-दो वर्ष में ध्वस्त हो गईं या बनते ही धूल-धूसरित हो गईं। पैकेज की निशानी के तौर पर मंडियां और गोदाम नजर आते हैं। लेकिन इन मंडियों और गोदामों में रखने के लिए कुछ नहीं है।

कांग्रेस नेता और पैकेज के दुरुपयोग की लड़ाई लडऩे वाले पवन घुवारा का कहना है, ‘‘पैकेज में से 2100 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जा चुकी है, मगर एक भी ऐसा काम नही है, जो जनता के लिए लाभदायक साबित हुआ हो। वर्ष 2013 तक पैकेज की राशि से काम हुए। गड़बडिय़ां सामने आने पर विभागीय स्तर पर जांच कराई गई, मुख्य जांच परीक्षक की जांच में कई अधिकारियों को चिन्हित किया गया है, मगर उन पर कार्रवाई नहीं हुई है।’’

घुवारा कहते हैं, ‘‘सरकार अपने स्तर पर जांच कराती है तो कई बड़ी मछलियों पर कार्रवाई होनी तय है, क्योंकि पैकेज को लेकर बनाई गई समिति के अध्यक्ष तो तत्कालीन मुख्यमंत्री (शिवराज सिंह चौहान) ही थे।’’

जल-जन जोड़ो अभियान के संयोजक और बुंदेलखंड में पानी के लिए काम करने वाले संजय सिंह कहते हैं, ‘‘बुंदेलखंड पैकेज का सदुपयोग हुआ होता तो यहां की तस्वीर बदल गई होती। सिंचाई सुविधा, पशुपालन को बढ़ावा मिला होता, पेयजल की समस्या से छुटकारा मिल जाता। दोनों राज्यों में मंजूर राशि में से बड़ा हिस्सा खर्च हो चुका है, मगर हालात बद से बदतर हैं। अब मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जांच की बात कही है तो तय है कि दोषियों को दंडित किया जा सकेगा।’’

बुंदेलखंड पैकेज में गड़बड़ी की विभागीय जांच पहले से चल रही है, और अब मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अलग से जांच कराने की बात कही है। अब देखना है कि जांच का निष्कर्ष क्या होता है, और कौन-से चेहरे इसमें बेनकाब होते हैं।
(आईएएनएस)

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