कड़ी गर्मी में रोजे के बाद भी चांदनी चौक क्षेत्र में मुस्लिमों ने की अच्छी वोटिंग

www.khaskhabar.com | Published : रविवार, 12 मई 2019, 11:18 PM (IST)

नई दिल्ली। रमजान के पवित्र महीने के बीच में हो रहे लोकसभा चुनाव में पूरे दिन के रोजे व गर्मी के बावजूद रविवार को दिल्ली के चांदनी चौक संसदीय क्षेत्र में बड़ी संख्या में मुसलमान घरों से बाहर आए और अपने मताधिकार का प्रयोग किया।

मुस्लिम रोजे के दौरान पूरा दिन बिना खाए पिए रहते हैं, इसके बावजूद भी पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक में मुस्लिम मतदाता बाहर निकले। हां, शुरुआती घंटों में रफ्तार थोड़ी धीमी थी लेकिन दिन चढ़ने के साथ लोग वोट डालने आए और शाम तक वोटिंग प्रतिशत बढ़ गया।

क्षेत्र में मुस्लिम आबादी 20 प्रतिशत के आस-पास है।

अपने परिवार के साथ दिन के समय वोट डालने आए मोहम्मद सज्जाद ने कहा कि वह सुबह वोट डालने नहीं आ सके क्योंकि वह सेहरी (रोजे से पहले तड़के लिया जाने वाला भोजन) और सुबह की नमाज पढ़ने के बाद सो गए थे। चूंकि आज रविवार था, इसलिए उन्होंने सोचा कि वह बाद में वोट डालेंगे।

आम आदमी पार्टी (आप) ने नेता अफजल अहमद ने आईएएनएस से कहा "अधिकांश लोग सेहरी के लिए उठते हैं, नमाज अदा करते हैं और फिर से सो जाते हैं। इससे उनकी दिनचर्या बदल जाती है। इसलिए सुबह कम लोग मतदान करने के लिए पहुंचे।"

उन्होंने कहा कि वोटिंग प्रतिशत में उछाल दिन में महसूस किया गया क्योंकि अधिकांश मुसलमान तब बाहर आए।

क्षेत्र में दूसरी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भी इस बात का समर्थन किया और कहा कि शाम के वक्त ज्यादा मतदान हुआ।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मोहम्मद इस्लाम ने आईएएनएस को बताया कि सुबह के वक्त मुस्लिम मतदाता बेहद कम थे।

चांदनी चौक शहर के मुख्य बाजारों में से एक है लेकिन बंदी की वजह से रविवार को वह वीरान लग रहा था।

जामा मस्जिद के पास मीना बाजार में एक व्यापारी मोहम्मद आसिफ ने कहा कि चुनाव का दिन रविवार है, इस वजह से भी कम मतदान होने की संभावना है।

आसिफ ने आईएएनएस को बताया, "रमजान के अलावा आज रविवार है, जोकि हफ्ते में छुट्टी का दिन होता है। बहुत से लोग रविवार को देर तक सोना पसंद करते हैं।"

लेकिन, रोजाना कमाई कर पेट भरने वाले ऑटो चालक मकसूद और इस्लाम जैसे लोग सुबह के समय ही मतदान कर अपनी रोजी-रोटी की तलाश में निकल गए।

चांदनी चौक में राशन की दुकान चलाने वाले मोहम्मद अनीस ने कहा, "यह देश के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है जिसमें हम अपने शीर्ष नेतृत्व के बारे में फैसला लेते हैं। अल्लाह से दुआ है कि हमारे देश में शांति हो जहां सभी लोग सौहार्द के साथ रहें।"

--आईएएनएस

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