नई दिल्ली। सर्वोच्च अदालत द्वारा बनाई गई प्रशासकों की समिति (सीओए) ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अधिकारियों की उस सिफारिश को नजरअंदाज किया था, जिसमें उन्होंने शिकायत करने के लिए एक प्रक्रिय बनाने की बात कही थी, लेकिन बीसीसीआई के लोकपाल डीके जैन ने स्वतंत्र तरीके से एक ऐसी प्रक्रिया बनाने पर जोर दिया है, जो बोर्ड के अधिकारियों की सिफारिश से मेल खाती है।
लोकपाल ने जो नियम बनाए हैं, वो आईएएनएस के पास मौजूद हैं जिनमें लोकपाल ने कहा है कि कई मुद्दे जमीन में ही दबे रह जाते हैं और इसलिए यह बेहद जरूरी है कि इन्हें सामने लाने के लिए हम एक प्रक्रिया बनाएं। लोकपाल ने लिखा है कि ऐसा देखा गया है कि पूर्व और मौजूदा खिलाडिय़ों, बोर्ड के अधिकारियों, कार्यकारियों के खिलाफ कई तरह के ई-मेल आते हैं जिनमें इनके ऊपर कई तरह के आरोप लगते हैं।
इससे कई बार जो सही शिकायतें होती हैं उनका समाधान करने में देरी हो जाती है और कई बार उन पर नजर भी नहीं पड़ती है। उन्होंने लिखा, इसलिए यह बेहद जरूरी बन गया है कि एक ऐसा सिस्टम बनाया जाए जहां सिर्फ स्वभाव में नैसर्गिक शिकायतों को अपनाया जाए और लोकपाल द्वारा उनका समाधान किया जाए। बीसीसीआई को भी इस बात को सुनिश्चित करना चाहिए कि इस प्रक्रिया को लागू किया जाए और फालतू की शिकायतों पर समय बर्बाद नहीं किया जाए।
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बीसीसीआई के एक सीनियर अधिकारी ने आईएएनएस से बात करते हुए बताया था कि किस
तरह सीओए सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और वीवीएस. लक्ष्मण को हाल ही में
हुए हितों के टकराव के विवाद से दूर रख सकती थी अगर वह पहले के प्रस्ताव को
नजर अंदाज नहीं करती। सीओए अब इन तीनों पर लगे हितों के टकराव के मुद्दें
को आसानी से प्रभावित होने वाला बता रही है, लेकिन खिलाडिय़ों ने यह साफ कर
दिया है कि सीओए को इसके लिए जिम्मेदार होना चाहिए। अधिकारी ने कहा, हमने
हमेशा से इस तरह के मुद्दे उठाए हैं।
मुझे याद है 2016 में जब एसजीएम में
लोढ़ा समिति की 90 प्रतिशत सिफारिशों को मान लिया गया था तब अजय शिर्के
इसके खिलाफ बोले थे क्योंकि यह बीसीसीआई की तरफ से आया था तो सभी को इसमें
बुराई दिखी। अब लोकपाल ने इस मामले में निर्देश दे दिए हैं। उन्होंने कहा
कि यह अनुभव और इच्छा की बात है। बीसीसीआई अधिकारियों ने जो सलाह दी थी वो
अनुभव के आधार पर थीं।
लोकपाल ने जो निर्देश दिए हैं वो सिर्फ अनुभव की
कीमत को बताते हैं और उस संतुलित सोच को भी जिन्हें अपनाना चाहिए। एक और
अधिकारी ने कहा कि यह बीसीसीआई सीईओ राहुल जौहरी के लिए खतरे की घंटी है।
उन्होंने कहा कि इससे यौन शोषण मामले पर भी गंभीर होने की जरूरत है।
संस्थान के अंदर इस तरह के मसलों का एक ही हल है वो है लोकपाल। यह
प्रक्रिया सिर्फ प्रताडि़त की गई महिलाओं के लिए होगी। अधिकारी ने कहा कि
जब आपके पास ऐसी स्थिति होती है जहां आप स्वतंत्र समिति की रिपोर्ट महिला
के सामने साझा नहीं कर सकें, तो इससे उन्हें वो जानकारी नहीं मिलेगी जिससे
वह शिकायत कर पाए।
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