कहते है कि
इंसान में जीत पाने का जज्बा और जुनून हो तो कितनी भी मुश्किलें आए फिर भी
वो मंजिल पा ही लेता है। हाल ही में 27 वर्षीय सतेंद्र ने जिंदगी में ऐसी
ही जीत हासिल की है जिसे सुनकर हर कोई हैरान रह गया। दरअसल, सतेंद्र की
आंखों की रोशनी नहीं है।
इतनी बड़ी कमजोरी होने के बावजूद सतेंद्र ने
सिविल सर्विसेज एग्जाम क्लीयर कर 714वां स्थान पाया है। सतेंद्र कहते हैं,
बचपन में उनकी आंखों की रोशनी नहीं जाती वह शायद अमरोहा में ट्रैक्टर पर
बैठा खेत ही जोत रहे होते। सतेंद्र डीयू के अरविंदो कॉलेज में पढ़ाते हैं।
एक डॉक्टर की गलती से गंवाई आंखों की रोशनी...
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एक डॉक्टर की गलती से गंवाई आंखों की रोशनी...
रिपोर्ट के
मुताबिक, सतेंद्र जब डेढ़ साल के थे तब उन्हें निमोनिया हो गया। इसके बाद
डॉक्टर ने उन्हें एक इंजेक्शन लगाया जिससे उनकी आंखों की रोशनी चली गई।
सिविल सर्विसेज एग्जाम के बारे में उन्होंने कहा कि यह सफलता मेरे अकेले की
नहीं है। वह अपनी स्क्राइबर (लेखक) अंकिता गोस्वामी को धन्यवाद देते हैं।
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सतेंद्र के पहले लेखक के इनकार के बाद अंकिता ने उनका पेपर लिखने पर सहमति
दी। परिवार को सदस्यों के साथ-साथ सुरभि, जेबा, स्वाति, अंकुर ज्योति,
आकांक्षा वशिष्ठ जैसे लोग कामयाबी में साथी बने। सतेंद्र से जब पूछा गया कि
सिविल सर्विसेज ही क्यों? उनका कहना था कि वह अपने जैसे लोगों के लिए
उदाहरण पेश करना चाहते थे।
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