लोकसभा चुनाव 2019 - राजस्थान की 10 सीटों पर भाजपा को भितराघात का खतरा !

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 15 अप्रैल 2019, 1:09 PM (IST)

जयपुर । लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर राजस्थान में भाजपा को 25 में 10 सीटों पर कांग्रेस से कड़ा मुकाबला करना पड़ रहा है। जोधपुर में भाजपा प्रत्याशी और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का सीधा मुकाबला सीएम पुत्र वैभव गहलोत के साथ है। यहां पर सीएम अशोक गहलोत समेत तमाम दिग्गज कांग्रेसी चुनाव प्रचार में जुटे हुए है। खुद डिप्टी सीएम और पीसीसी चीफ सचिन पायलट और अन्य प्रदेश स्तर के नेताओं में सीएम पुत्र को जिताने के लिए ताल ठोंक रखी है। इसके चलते भाजपा नेताओं को रोजाना अपने बयानों में कहना पड़ा रहा है कि मुख्यमंत्री को सिर्फ अपने वैभव की चिंता है।
इसके बाद अब हॉट सीट की बात करें, तो बाड़मेर में कांग्रेस प्रत्याशी मानवेंद्र सिंह का मुकाबला भाजपा के कैलाश चौधरी के साथ है। यहां पर कर्नल सोनाराम का टिकट कटने से भाजपा को ज्यादा जोर लगाना पड़ रहा है। आपको बता दे कि मानवेंद्र सिंह यहां से भाजपा के सांसद रह चुके है, लेकिन भाजपा पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए उन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़कर कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की थी। साथ ही झालरापाटन से सीएम वसुंधरा राजे के सामने चुनाव लड़ा था।
भाजपा को बीकानेर संसदीय सीट पर भी पसीने आ रहे है। कारण यह है कि देवीसिंह भाटी ने भाजपा छोड़ दी है और भाजपा प्रत्याशी और केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल के सामने ताल ठोंक दी है। अर्जुनराम मेघवाल का मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी रिटायर्ड आईपीएस मदनगोपाल मेघवाल से सीधा है।

अगर अब बात करें टोंक-सवाईमाधोपुर सीट की तो, यहां पर इस बार भाजपा प्रत्याशी सुखबीर सिंह जौनपुरिया के लिए राह आसान नहीं है। टोंक सवाईमाधोपुर सीट से कांग्रेस के नमोनारायण मीणा प्रत्याशी है और टोंक विधानसभा में खुद डिप्टी सीएम सचिन पायलट भारी मतों से विधानसभा चुनाव जीते थे। इसके चलते इस बार सुखबीर सिंह जौनपुरिया को जिताने में भाजपा नेताओं को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।
नागौर संसदीय सीट की बात करें तो आरएलपी मुखिया हनुमान बेनवील को भाजपा के साथ गठबंधन को लेकर यह सीट मिली है। लेकिन यहां पर केंद्रीय मंत्री सीआर चौधरी का टिकट कटने से भितराघात की आशंका है। इसके चलते कांग्रेस प्रत्याशी ज्योति मिर्धा की राह आसान हो गई है।
अलवर सीट की बात करें तो यहां से कांग्रेस का पलड़ा भारी दिख रहा है। लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी कर्ण सिंह यादव की भारी मतों से जीत हुई थी और भाजपा प्रत्याशी जसवंत सिंह यादव को 3 लाख से अधिक वोटों से हार का सामना करना पड़ा था। साथ ही जसवंत सिंह यादव के बेटे मोहित यादव की भी विधानसभा चुनाव में हार हुई थी। इसके चलते भाजपा को यहां भितराघात का सामना करना पड़ रहा है। रही बात कांग्रेस प्रत्याशी भंवर जितेंद्र सिंह की, तो वह यहां से सांसद रह चुके है और राजपरिवार के सदस्य है। इसके चलते कांग्रेस नेताओं को उम्मीद है कि इस बार यहां कांग्रेस पार्टी की जीत तय है। यहां से भाजपा ने बाबा बालकनाथ को मैदान में उतारा है।
लोकसभा चुनाव में सीकर सीट पर भी कांग्रेस से भाजपा के बागी सुभाष महरिया मैदान में उतरे है। यहां उनका मुकाबला भाजपा प्रत्याशी सुमेधानंद के साथ है। सुभाष महरिया के पहले भाजपा में रहने के कारण भाजपा प्रत्याशी को भितराघात का सामना करना पड़ सकता है।
धौलपुर करौली सीट की बात करें तो यहां पर कांग्रेस ने संजय कुमार जाटव को प्रत्याशी घोषित किया है। लेकिन यहां पर भाजपा ने मौजूदा सांसद मनोज राजोरिया को टिकट दिया है। लेकिन विधानसभा चुनाव में जाटवों का वोट बीएसपी में चला गया था। इसके चलते यहां पर भाजपा प्रत्याशी को काफी जोर लगाना पड़ रहा है।
पाली सीट की बात करें तो यहां पर भाजपा प्रत्याशी पीपी चौधरी को भी भितराघात का सामना करना पड़ रहा है। टिकट मिलने से पहले ही पाली से सैकड़ों की संख्या में स्थानीय भाजपा नेताओं ने पीपी चौधरी को टिकट देने का विरोध किया था। यहां से कांग्रेस के प्रत्याशी बद्रीजाखड़ चुनाव मैदान में है।
कोटा-बूंदी लोकसभा क्षेत्र में भी भाजपा प्रत्याशी ओम बिड़ला की राह आसन नहीं है। इस बार विधानसभा चुनाव में बूंदी, कोटा मेें कांग्रेस के प्रत्याशियों की जीत के चलते कांग्रेस प्रत्याशी रामनारायण मीणा को जीत की उम्मीद है।


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