नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने रविवार को कहा कि ईवीएम के स्थान पर मतपत्र लाने की उनकी लड़ाई भारत के लोकतंत्र को बचाने के लिए है।
तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के अध्यक्ष नायडू ने दावा किया कि 191 में से मात्र 18 देश मतदान के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) का इस्तेमाल कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मशीनों के साथ छेड़छाड़ किया जा सकता है और इसलिए विकसित देश भी ईवीएम का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं।
नायडू कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में विपक्षी पार्टियों द्वारा आयोजित एक बैठक में बोल रहे थे। बैठक का विषय था 'सेव डेमोक्रेसी - ट्रांस्पेरेंसी इन इलेक्शन प्रॉसेस एंड प्रोटेक्शन ऑफ वोटर्स राइट्स'।
चुनाव कराने में पादर्शिता की मांग करते हुए बैठक में तय किया गया कि वीवीपैट पर्चियों की गिनती के लिए सर्वोच्च न्यायालय में एक समीक्षा याचिका दायर की जाए।
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भारतीय संविधान के निर्माता बाबा साहेब डॉ. बी.आर. आंबेडकर की
128वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए नायडू ने उनके उद्धरण
पेश किए, "वोट की धार किसी चाकू से अधिक तेज होती है और यदि इसका सही
इस्तेमाल किया जाए, मतदाता राजा होगा और यदि इसे बेच दिया जाए तो वह एक
गुलाम बना रहेगा।"
उन्होंने आरोप लगाया कि तेलंगाना चुनाव के दौरान
25 लाख वोटों को डिलीट करने के लिए प्रौद्योगिकी का दुरुपयोग किया गया और
जब निर्वाचन अधिकारियों से इस बारे में बताया गया तो उन्होंने महज 'सॉरी'
बोल दिया।
उन्होंने कहा कि ईवीएम के रखरखाव ठेके के कर्मचारी करते
हैं, ऐसे में क्या निर्वाचन आयोग उनके द्वारा की जाने वाली गड़बड़ी की
जिम्मेदारी लेगा।
नायडू ने यह आरोप भी लगाया कि माइक्रो कंट्रोलर और चिप्स को मैनेज कर के ईवीएम के साथ छेड़छाड़ किया जा सकता है।
उन्होंने
कहा कि यहां तक कि जर्मनी जैसे विकसित देश भी मतपत्र का इस्तेमाल करते
हैं। उन्होंने कहा कि निर्वाचन प्रक्रिया में पारदर्शिता होनी चाहिए।
--आईएएनएस