एनपीएस, सीबीटी-ईपीएफओ पर भी आईएलएंडएफएस के विषाक्त बांड का खतरा

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 13 अप्रैल 2019, 10:35 PM (IST)

नई दिल्ली। भारत की राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) और सेवा निवृत्ति निधि संगठन ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड आईएलएंडएफएस के विषाक्त बांड के कारण संकट में हैं।

अनगिनत एनपीएस फंड इन बांडों में फंसे हुए हैं और आईएनएस की गणना के अनुसार, इनकी कुल रकम 1,200 करोड़ रुपये है।

सरकार एनपीएस को बाजार आधारित रिटर्न के साथ बुढ़ापे में आय प्रदान करने वाली सेवानिवृत्ति योजना के लिए उचित समाधान के रूप में प्रचारित करती रही है, क्योंकि यह एनपीएस के हरेक ग्राहक को आवंटित अनोखी स्थायी सेवानिवृत्ति खाता संख्या (पीआरएएन) पर आधारित है, लेकिन यह बांड से दूषित हो गया है।

दोबारा चुनकर सत्ता में आने की कोशिश में जुटी भाजपा सरकार के लिए समस्या यह है कि ईपीएफ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड पर भी उसी विषाणु ग्रस्त बांड का खतरा पैदा हो गया है।

सरकार के लिए यह अच्छी खबर नहीं है कि एनपीएस और सीबीटी दोनों इस चाल में फंस चुके हैं। खातों में अंतर हैं लेकिन सीबीटी ईपीएफ 11 बी डीएम का 147 करोड़ रुपये का बकाया फंसा हुआ है जबकि ईपीएफ 25 बी डीएम का 200 करोड़ रुपये फंसा हुआ है।

दूसरे सीबीटी ईपीएफ 5 सी डीएम का 181.81 करोड़ रुपये फंसा हुआ है।

ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड ने पिछले दिनों कर्मचारियों और नियोक्ताओं के अनिवार्य योगदान को घटाकर 10 फीसदी करने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। मूल वेतन का 12-12 फीसदी योगदान कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों को कर्मचारी भविष्य निधि योजना (ईपीएफ), कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) और कर्मचारी जमा से जुड़ी बीमा योजना (ईडीएलआई) के लिए करना पड़ता है।

एनपीएस में निवेश किए गए योगदान का प्रबंधन पीएफआरडीए द्वारा नियुक्त पेंशन फंड मैनेजर (पीएफएम) करता है। ग्राहक इन मैनेजरों में से किसी एक को चुन सकता है : एचडीएफसी पेंशन मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड, रिलायंस कैपिटल पेंशन फंड लिमिटेड, यूटीआई रिटायरमेंट सॉल्यूशंस लिमिटेड, कोटक महिंद्रा पेंशन फंड लिमिटेड, एलआईसी पेंशन फंड लिमिटेड, एसबीआई पेंशन फंड्स प्राइवेट लिमिटेड और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल पेंशन फंड्स मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड।

पेंशन निधि विनियामक एंव विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) का विनियमन करता है। प्राधिकरण को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2019 में एसेट्स अंडर मैनेजमेंट के तहत 2.85 लाख करोड़ रुपये हो सकता है, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में 2.3 लाख करोड़ रुपये की रकम थी।

आईएलएंडएफएस के बांडों की समस्याओं को उजागर करने में हरावल रहे आईएएनएस की खोजबीन में पता चला है कि इन विषाक्त बांडों में एनपीएस की विशाल निवेश रकम भी फंसी हुई है।

--आईएएनएस

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