नई दिल्ली। रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर (आरसीबी) के पास मु़ख्य कोच के रूप में पूर्व दक्षिण अफ्रीकी ओपनर गैरी कर्स्टन और गेंदबाजी कोच के रूप में पूर्व बाएं हाथ के तेज गेंदबाज आशीष नेहरा हैं। इसके बावजूद टीम इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के 12वें संस्करण में पहले पांच में से एक भी मैच नहीं जीत पाई है। इसी तरह दिल्ली कैपिटल्स की टीम में मुख्य कोच के रूप में पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग और सलाहकार के रूप में पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली हैं।
क्रिकेट के दो महान कप्तानों के होने के बावजूद टीम अपनी छाप छोडऩे में असफल रही है। सवाल यह है कि डगआउट में इन दिग्गजों की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है और क्या उनकी मौजूदगी वास्तव में टीम को बेहतर बनाने में मदद करती है? कोलकाता नाइट राइडर्स के पूर्व सहायक कोच विजय दहिया ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि निश्चित रूप से अनुभवी पूर्व क्रिकेटरों का मार्गदर्शन टीम को मदद करता है।
लेकिन अंत में टीम का मार्गदर्शन करने के लिए कप्तान की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि क्या वे खिलाडिय़ों को संदेश देने में सक्षम हैं और यदि वे विश्वास के लायक है। यदि आप बेंगलोर और कोलकाता के बीच हुए मैच को देखें तो यह अंतिम 13 गेंदों में किधर भी जा सकता था। अगर कोई असाधारण पारी खेलता है तो आप इसमें कुछ नहीं कर सकते।
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पूर्व विकेटकीपर दहिया ने कहा कि मैंने लोगों को इस बारे में बात करते हुए
देखा है। यदि कोई गेंदबाज थोड़ा संघर्ष कर रहा है या कोई बल्लेबाज थोड़ा
परेशान दिख रहा है तो आप इसे समझ सकते हैं। मुझे याद है कि कई बार हम बाहर
से सिग्नल देने के लिए टाइम-आउट लेते थे। लेकिन दुर्भाग्य से जब चीजें आपके
लिए सही नहीं होती हैं तो सपोर्ट स्टाफ ही दिखता है।
यह पूछे जाने पर कि
ऐसे समय में कप्तानों के लिए कभी-कभी योजनाओं को अंजाम देना मुश्किल होता
है, दहिया ने कहा, अच्छे कप्तान के पास हमेशा खेल में एक या दो ओवर होंगे।
लेकिन यह एक तेज-तर्रार खेल है और आप योजना नहीं बना सकते। चीजें एक ओवर
में बदल जाती हैं।
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