चंडीगढ़। हरियाणा के संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ. इन्द्र जीत
ने कहा कि जिस मतदाता का नाम मतदाता सूची में है, केवल वही मतदाता अपने
मताधिकार का प्रयोग कर सकता है। यदि किसी मतदाता का नाम मतदाता सूची में
है, लेकिन उसके पास एपिक नहीं है तो वह आयोग द्वारा निर्दिष्ट 11 वैकल्पिक
पहचान पत्र दिखाकर अपना वोट डाल सकता है। उन्होंने कहा कि अगर किसी मतदाता
का नाम मतदाता सूची में नहीं है तथा वह वोट डालने के लिए मतदान केंद्र पर
अपना आधार कार्ड या वोटर कार्ड दिखाता है तो उसे वोट डालने नहीं दिया
जाएगा।
उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे टिवटर, फेसबुक
और व्हाटसएप पर कुछ ऐसे संदेश फैलाए जा रहे हैं, जो बिल्कुल झूठे और गुमराह
करने वाले है। उन्होंने सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे मैसेज के दावों पर
विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि ‘दि रिप्रेसेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट, 1950’ और
‘दि रिप्रेसेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट, 1951’ दोनों ही अधिनियमों में धारा 49ए
है ही नहीं, जिसका दावा वायरल मैसेज में किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि
निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961 में नियम 49ए है, जो कि इलेक्ट्रॉनिक
वोटिंग मशीन के डिजाइन को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि निर्वाचनों
का संचालन नियम, 1961 में नियम 49जे के तहत पहचान को चुनौती दी जा सकती है।
नियम के अनुसार, जब कोई व्यक्ति मतदान केंद्र पर वोट डालने के लिए आता है
और पोलिंग एजेंट को उस मतदाता पर कोई संदेह होता है तो पोलिंग एजेंट उस
मतदाता की पहचान को चुनौती दे सकता है। इसके लिए पोलिंग एजेंट को सबसे पहले
प्रिजाइडिंग ऑफिसर के पास 2 रुपये नकद में जमा करवाने होंगे। जांच के बाद
अगर पोलिंग एजेंट का दावा सही पाया जाता है तो उस व्यक्ति को वोट देने से
रोक दिया जाएगा और यदि दावा गलत पाया जाता है तो व्यक्ति को वोट देने की
अनुमति दे दी जाएगी और पोलिंग एजेंट द्वारा जमा करवाए गए 2 रुपये की नकद
राशि जब्त कर ली जाएगी।
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उन्होंने कहा कि वायरल मैसेज में टेंडर वोट
के संदर्भ में जो बात कही गई है, वह पूरी तरह से झूठी है। उन्होंने कहा कि
निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961 के नियम 49पी के तहत टेंडर वोट को
परिभाषित किया गया है। नियम के अनुसार, यदि एक व्यक्ति मतदान केंद्र पर वोट
डालने के लिए आता है, परंतु उसे यह पता लगता है कि उसके नाम पर पहले ही
किसी व्यक्ति द्वारा वोट डाला जा चुका है, उस स्थिति में अपने मतदाता होने
का दावा करने वाले व्यक्ति से प्रिजाइडिंग ऑफिसर उसकी पहचान से संबंधित
सवाल करता है और उसे अपनी पहचान साबित करने के लिए कहता है। प्रिजाइडिंग
ऑफिसर को उस व्यक्ति द्वारा दिए गए जवाब और पहचान संतोषजनक लगने के बाद उस
व्यक्ति को वोट डालने की अनुमति दी जाएगी।
व्यक्ति को वोट डालने के
लिए टेंडर बैलेट पेपर दिया जाएगा। संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा
कि ऐसी स्थिति में ईवीएम मशीन पर वोट नहीं डाला जाएगा केवल बैलेट पेपर के
माध्यम से ही वह व्यक्ति अपना वोट डाल सकेगा। डॉ. इन्द्र जीत ने कहा कि
वायरल मैसेज में लिखा गया है कि अगर किसी पोलिंग बूथ पर 14 प्रतिशत से
ज्यादा टेंडर वोट रिकॉर्ड होते हैं तो उस बूथ पर दोबारा से मतदान करवाया
जाएगा। यह बात पूरी तरह से गलत है।
उन्होंने कहा कि आजकल सोशल
मीडिया पर कुछ शरारती तत्वों द्वारा हर दिन लोगों को बहकाने के लिए ऐसे
झूठे और गलत संदेशों को वायरल किया जा रहा है, इसलिए नागरिकों से अपील है
कि वे ऐसे किसी मैसेज पर इतनी जल्दी भरोसा न करें बल्कि पूरी जांच, पड़ताल
करें। कोई संदेह या भ्रम होने की स्थिति में नागरिक हेल्पलाइन टोल फ्री
नंबर-1950 पर संपर्क कर सकते हैं या वोटर हेल्पलाइन मोबाइल एपलिकेशन पर भी
दिए गए नियमों व निर्देशों को पढ़ सकते हैं।