लोस 2019 : भोपाल सीट पर ‌BJP में मंथन, दिग्गी के खिलाफ कौनसा दिग्गज?

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 25 मार्च 2019, 6:54 PM (IST)

भोपाल। मध्य प्रदेश की भोपाल संसदीय सीट से कांग्रेस की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को उम्मीदवार घोषित कर दिए जाने के बाद अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में इस सीट को लेकर मंथन शुरू हो गया है। आखिर दिग्विजय जैसे दिग्गज नेता के खिलाफ मैदान में किसे उतारा जाए। यह सीट भाजपा का गढ़ बन चुकी है।

भाजपा में भोपाल सीट से उम्मीदवारी को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पार्टी के प्रदेश महामंत्री वी. डी. शर्मा, वर्तमान सांसद आलोक संजर, महापौर आलोक शर्मा के नाम की चर्चा है।

भाजपा सूत्रों के अनुसार, भोपाल सीट को लेकर पार्टी गंभीर है और यहां से किसे उम्मीदवार बनाया जाए, इस पर गहन मंथन चल रहा है। सूत्रों के अनुसार, पार्टी इस चुनाव में साधारण कार्यकर्ता के जरिए ही दिग्विजय सिंह को घेरने की कोशिश करेगी, और इसके लिए वर्तमान सांसद आलोक संजर या वी. डी. शर्मा में से किसी एक को उम्मीदवार बनाया जा सकता है।

एक सूत्र ने कहा है कि पार्टी का एक धड़ा शिवराज को दिग्विजय के खिलाफ चुनाव लड़ाना चाहता है। शिवराज को भोपाल से चुनाव लड़ाने के समर्थक नेताओं का तर्क है कि शिवराज की छवि कट्टरवादी नेता की नहीं है, और कर्मचारियों में उनकी छवि अच्छी है। जबकि कर्मचारी वर्ग दिग्विजय सिंह से अब भी नाराज है। इस स्थिति में अल्पसंख्यकों के साथ कर्मचारियों के वोट भाजपा को आसानी से मिल सकेंगे।

उल्लेखनीय है कि भोपाल संसदीय क्षेत्र में साढ़े चार लाख से ज्यादा वोट अल्पसंख्यकों का है। इसके साथ ही इस संसदीय क्षेत्र की आठ विधानसभा सीटों में से तीन पर कांग्रेस और पांच पर भाजपा का कब्जा है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह का दावा है कि भोपाल में भाजपा की जीत होगी, उम्मीदवार चाहे कोई भी हो।

बहरहाल, भाजपा अगर शिवराज को भोपाल में उतारती है तो 16 साल बाद उनका मुकाबला दिग्विजय से होगा। इसके पहले वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव में राघोगढ़ से शिवराज को दिग्विजय के खिलाफ भाजपा ने उतारा था। लेकिन तब शिवराज को हार का सामना करना पड़ा था।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भी भोपाल से चुनाव लड़ने से इंकार नहीं किया है। उन्होंने कहा है, "वैसे चुनाव लड़ने का मेरा विचार नहीं है, लेकिन पार्टी कहेगी तो भोपाल से लडूंगा। भोपाल में दिग्विजय के खिलाफ चुनाव लड़ने में मजा आएगा।"

राज्य की भोपाल, विदिशा, दमोह और इंदौर संसदीय सीटों पर वर्ष 1989 से भाजपा का कब्जा है। वहीं जबलपुर व सागर संसदीय सीटों पर कांग्रेस को वर्ष 1996 के बाद से जीत नहीं मिली है। राज्य की 29 में से ये छह सीटें सबसे कठिन मानी जाती हैं। कांग्रेस ने इन कठिन सीटों में सेंधमारी के लिए ही दिग्विजय सिंह को भोपाल से उम्मीदवार बनाया है, जहां 1989 के बाद कांग्रेस को जीत नहीं मिली है।

दरअसल, भोपाल ऐसी संसदीय सीट है, जिसका आसपास की तीन अन्य सीटों -विदिशा, होशंगाबाद और राजगढ़- पर भी असर पड़ता है। ये चारों सीटें भाजपा के कब्जे में है। कांग्रेस को लगता है कि दिग्विजय के जरिए इन सभी सीटों पर उसका प्रभाव बढ़ेगा।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भोपाल में कांग्रेस का मुकाबला भाजपा से नहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से होने वाला है। क्योंकि दिग्विजय सिंह लगातार संघ पर हमले करते रहे हैं। लिहाजा सिंह के भोपाल से चुनाव लड़ने की स्थिति में संघ पूरा जोर लगाएगा और किसी भी सूरत में दिग्विजय को जीतने नहीं देगा।

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक शिव अनुराग पटैरिया कहते हैं, "भाजपा इस संसदीय सीट के चुनाव को हाईप्रोफाइल बनाने से बचेगी। लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दिग्विजय सिंह को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। इन स्थितियों में वही व्यक्ति भाजपा का उम्मीदवार होगा, जिसे संघ का समर्थन हासिल होगा।"

--आईएएनएस

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