नदियों और नहरों में प्रदूषण रोकने के लिए पंजाब सरकार को निर्देश

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 22 मार्च 2019, 4:51 PM (IST)

चंडीगढ़। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा स्थापित की गई निरीक्षण समिति ने समयबद्ध उपायों से नदियों में से प्रदूषण रोकने के लिए पंजाब सरकार को कठोर कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। समिति ने इसके लिए एक माह की समय सीमा निर्धारित की है और कहा है कि यह इस संबंधी प्रगति का मूल्यांकन करने के लिए विशेष स्थानों पर जाकर जांच करेगी। जस्टिस (सेवामुक्त) प्रीतम पाल के नेतृत्व वाली समिति ने कार्य योजना को समय सीमा में लागू करने को यकीनी बनाने के लिए नोडल विभागों के अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा है कि इस सम्बन्ध में किसी भी कीमत पर ढील को सहन नहीं किया जाएगा।

प्रदूषण फैलाने वालों के संबंध में ढीलाई बर्दाश्त नही करने पर बल देते हुए उन्होंने मुख्य नदियों में अनुपचारित गंदे पानी के नदियों में गिरने वाले स्थानों पर कड़ी नजर रखने के लिए सम्बन्धित अधिकारियों को कहा है। चेयरपर्सन ने स्पष्ट किया है कि इसका उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध जल और वायु प्रदूषण एक्ट के प्रावधानों अधीन सख़्त कार्यवाही की जायेगी। समिति ने राज्य में से प्रदूषण के ख़ात्मे के लिए पंजाब सरकार का सहयोग करने के लिए लोगों को भी अपील की है। इसी तरह समिति ने इस कार्य के लिए विभिन्न सामाजिक, धार्मिक, स्वैच्छिक और ग़ैर -सरकारी संस्थायों की भागीदारी और सहायता पर भी ज़ोर दिया है।

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रावी, ब्यास और सतलुज के लिए कार्य योजना को लागू करने की प्रगति का जायज़ा लेने के लिए आज यहाँ महात्मा गांधी स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के डायरैक्टोरेट द्वारा आयोजित समिति की पहली मीटिंग की अध्यक्षता करते हुए चेयरमैन ने जल प्रदूषण के विरुद्ध तालमेल के द्वारा ठोस कोशिशों की शुरुआत करने की जरूरत पर ज़ोर दिया है। उन्होंने इस सम्बन्ध में राज्य की नदियों के बहाव वाले क्षेत्रों पर विशेष तौर पर ज़ोर दिया। स्थानीय निकाय, पर्यावरण और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के साथ समिति के मैंबर एक महीने बाद इस सम्बन्धी प्रगति का पता लगाने के लिए प्रमुख स्थानों का दौरा करेंगे।

गंदे और अनुपचारित पानी के कारण रावी, ब्यास और सतलुज में प्रदूषण ख़ासकर बूढ्ढा नाला (लुधियाना) और काली बेईं (जालंधर) में प्रदूषण के सम्बन्ध में सातो दिन 24 घंटे निगरानी रखने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए चेयरपर्सन ने कहा कि यह स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए गंभीर स्थिति पैदा कर रहा है। राज्य की मालवा बेल्ट में इसका ख़तरनाक प्रभाव पड़ रहा है। प्रमुख सचिव पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन राकेश वर्मा ने बताया कि जनवरी के महीने में 44 सिवरेज प्लांटों की निगरानी की गई जिनमें से 23 नियमों का पालन कर रहे हैं जबकि 21 ऐसा नहीं कर रहे थे। उन्होंने बताया कि कॉमन ऐफलूऐंट ट्रीटमेंट प्लांट शुरू होने के विभिन्न पड़ावों पर हैं। इनमें से लुधियाना के बहादरके रोड, फोकल पुआइंट, ताजपुर रोड के अलावा जालंधर का इंडस्ट्रियल यूनिट और लैदर कंपलैक्स का प्लांट भी शामिल है।