Holi 2019 : जानें होलिका की अग्नि का रहस्य, वरदान संग जुड़ा है विज्ञान

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 20 मार्च 2019, 4:30 PM (IST)

नई दिल्ली। होली का संबंध सिर्फ रंगों से नहीं बल्कि अग्नि से भी है। वही अग्निदेव जिनकी पूजा सुख-समृद्धि और सेहत के लिए की जाती है और जिनके बगैर कोई पूजा पूरी नहीं होती है। होली के त्योहार से शिशिर ऋतु की समाप्ति तथा वसंत ऋतु का आगमन होता है।


आयुर्वेद के अनुसार दो ऋतुओं के संक्रमण काल में मानव शरीर रोग और बीमारियों से ग्रसित हो जाता है। इस ऋतु में शरीर में कफ की मात्रा बढ़ जाती है और वसंत ऋतु में तापमान बढ़ने पर कफ के शरीर से बाहर निकलने की प्रक्रिया में कफदोष पैदा होता है, जिसके कारण सर्दी, खांसी, सांस की बीमारियों के साथ ही गंभीर रोग जैसे - खसरा, चेचक आदि होते हैं। ऐसे मौसम में अग्नि देव की भूमिका बढ़ जाती है।

अग्नि की ताप रोगाणुओं को नष्ट करती
मध्यम तापमान होने के कारण यह मौसम शरीर में आलस्य भी पैदा करता है, इसलिए स्वास्थ्य की दृष्टि से होलिका दहन के विधानों में आग जलाना, अग्नि परिक्रमा, नाचना, गाना आदि शामिल किए गए हैं। अग्नि की ताप जहां रोगाणुओं को नष्ट करती है, वहीं खेल-कूद की अन्य गतिविधियां शरीर में जड़ता नहीं आने देतीं। इससे कफदोष दूर हो जाता है। शरीर की ऊर्जा और स्फूर्ति कायम रहती है एवं शरीर स्वस्थ्य रहता है।

होलिका दहन से पूर्व अग्निदेव की पूजा का विधान
होली के दिन होलिका दहन से पूर्व अग्निदेव की पूजा का विधान है। अग्निदेव पंचतत्वों में प्रमुख माने जाते हैं, जो सभी जीवात्माओं के शरीर में अग्नितत्व के रूप में विराजमान रहते हुए जीवन भर उनकी रक्षा करते हैं। अग्निदेव सभी जीवों के साथ एक समान न्याय करते हैं, इसलिए सनातन धर्म को मानने वाले सभी लोग भक्त प्रहलाद पर आए संकट को टालने और अग्निदेव द्वारा ताप के बदले उन्हें शीतलता देने की प्रार्थना करते हैं।


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नई दिल्ली। हर साल रंगों का पावन पर्व होली खुशियों की सौगात लेकर आता है, लेकिन कई बार जाने-अनजाने में हम कुछ गलतियां कर जाते हैं, जिससे इस पर्व की मिठास और रंग फीका पड़ जाता है। शास्त्रों के अनुसार पावन पर्वों पर गलत कार्य करने से उसका दुष्प्रभाव हमारे जीवन पर जरूर पड़ता है। ऐसे में आइए जानते हैं होली से जुड़ी वो 7 बातें जिन्हें भूलकर भी नजरंदाज नहीं करना चाहिए।

जोश में होश खोने से बचें
1. रंग और उमंग से जुड़े होली महापर्व पर अक्सर लोग जोश में होश खो देते है। होली के दिन कई लोग भांग, शराब आदि का नशा करते हैं, जिसके कारण न सिर्फ वे खुद बल्कि पूरा परिवार परेशानियों में घिर जाता है। रंग में भंग न पड़ने पाए इसलिए होली के दिन किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहें।

होली का पर्व साधना का पर्व, इस दिन सोना मना है
2. कुछ लोगों के लिए पर्व की छुट्टी सोने के लिए लकी ड्रा के समान होती है और लोग उस दिन देर तक साोते हैं या फिर कुछ लोग शाम के समय सोते हैं। होली का पर्व साधना का पर्व है। इस शुभ दिन क्या सुबह और क्या शाम को न सोएं। होली के दिन सिर्फ बीमार, वृद्ध और गर्भवती स्त्री को ही सोने की इजाजत है।

भेदभाव मिटता है, इसलिये किसी का तिरस्कार न करें
3. होली के दिन सभी एक रंग में रंग जाते हैं और बड़े-छोटे का भेदभाव मिट जाता है। ऐसे में इस दिन किसी का तिरस्कार करने से बचना चाहिए। होली के दिन बुजुर्गों का विशेष तौर पर सम्मान करें और इस बात का पूरा ख्याल रखें कि उन्हें आपकी किसी बात से दुख न पहुंचे।

मनमुटाव न रखें, किसी से झगड़ा न करें
4. होली के दिन घर में किसी भी मनमुटाव न रखें और न ही किसी से झगड़ा करें। इस दिन किसी भी प्रकार की तू-तू, मैं-मैं करने से बचें और परिजनों, मित्रों के साथ पर्व का पूरा आनंद लें। होली के दिन किसी पर भूलकर भी क्रोध न करें। ध्यान रहे कि जिसके घर में लोग बात-बात में क्रोध करते हैं और जिनके यहां हर समय कलह होती रहती है, उनके घर पर लक्ष्मी नहीं आती है।

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