‘इसका मतलब यह नहीं कि धोनी को भी कोहली जैसा ही करना होगा’

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 16 मार्च 2019, 11:20 AM (IST)

नई दिल्ली। महेंद्र सिह धोनी के नेतृत्व वाली चेन्नई सुपर किंग्स की टीम इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के 12वें संस्करण में फिटनेस टेस्ट नहीं देगी। पूर्व भारतीय ट्रेनर रामजी श्रीनिवासन, जो इस सीजन के पहले मैच तक के लिए चेन्नई टीम से जुड़े हैं, ने खिलाडिय़ों की फिटनेस को मापने के लिए दो किमी या 2.4 किमी दौड़ और स्प्रिंट टेस्ट को खिलाडिय़ों की फिटनेस मापने के पैमाने के रूप में चुना है।

रामजी ने आईएएनएस से बातचीत में बताया कि कैसे उन्होंने यो-यो टेस्ट जैसे सामान्य टेस्ट पैरामीटर के बजाय खिलाडिय़ों की व्यक्तिगत जरूरतों को ध्यान में रखते हुए स्मार्ट टेस्ट और डिजाइन टेस्ट को प्राथमिकता दी है। उन्होंने कहा कि मैंने खिलाडिय़ों की फिटनेस जांच के लिए दो किमी या 2.4 किमी दौड़ को चुना है।

केवल इसलिए कि राष्ट्रीय टीम यो-यो टेस्ट करती है तो इसका मतलब यह नहीं है कि मुझे भी इस प्रक्रिया का पालन करने की जरूरत है। रामजी ने कहा कि मेरा मानना है कि खिलाडिय़ों की खास जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उनके लिए चुनौतियों को तैयार करने की जरूरत है। उदाहरण के रूप में देखें तो जब मैं भारतीय टीम के साथ था, तब मैंने धोनी के लिए जो टेस्ट तैयार किया था, वह सचिन तेंदुलकर के लिए नहीं था।

उन्होंने कहा, ठीक वैसे ही अगर विराट कोहली डेडलिफ्ट करना चाहते हैं और उनका शरीर उनका साथ देता है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि धोनी को भी वैसा ही करना होगा। यो-यो टेस्ट फुटबॉल जैसे खेलों के लिए अधिक अनुकूल है।


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धोनी के बारे में पूछे जाने पर रामजी ने कहा, एमएस पूरी तरह से अलग हैं। वे चीजों को बहुत आसान रखना पसंद करते हैं। वे क्लीन-एंड-जर्क और अन्य तरह की पावरलिफ्टिंग नहीं करते हैं। वे एक स्मार्ट ट्रेनर हैं। वे इस तरह से अभ्यास करते हैं जो आसान होता है और उनके स्किल्स को बढ़ाने में मदद करता है। रामजी को लगता है कि भारत में एक झुंड मानसिकता है, जिसमें यदि कोई व्यक्ति कुछ करता है और वह इसमें सफलता हासिल करता है, तो दूसरे लोग भी उसका अनुसरण करते हैं।

उन्होंने कहा, केवल इसलिए कि यूसेन बोल्ट फिट रहने के लिए दौड़ता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि मुझे भी ऐसा ही करना चाहिए। भारत में, झुंड मानसिकता को खत्म करना होगा। रामजी ने कहा, हां, एक निश्चित फिटनेस प्रणाली का पालन करने से कोहली को जो परिणाम मिला है, वह निर्विवाद है। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि कोई अन्य खिलाड़ी भी उसी प्रणाली का पालन करके उसी तरह का परिणाम हासिल कर लेगा।

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