नई
दिल्ली। वेनेजुएला देश महंगाई की मार से पहले से ही खस्ताहाल है और लाखों
लोग देश छोडऩे पर मजूबर हो चुके हैं। वहीं वेनेजुएला में अब ब्लैकआउट एक
नया संकट पैदा हो गया है। यहां अंधेरा होते ही दुकानों में लूटपाट शुरू हो
जाती है। मरीज डॉक्टरों से जिंदगी की भीख मांगने लगते हैं। शाम होने के साथ
ही इस देश में जिंदगी अपनी वीभत्स रंग दिखाने लगती है।
सोमवार को
वेनेजुएला में बिजली के बिना पांचवां दिन गुजर गया। वेनेजुएला की राजधानी
काराकस समेत अधिकतर इलाके में पूरी तरह से अंधेरा छा जाता है और बिजली आने
की उम्मीद इसी के साथ धुंधली हो जाती है। आर्थिक संकट से जूझ रहे वेनेजुएला
में अब बिजली संकट पैदा हो गया है।
काराकस के चाकाओ के निवासी 40
वर्षीय जुले गोजालेज ने बताया, ‘हम अब ऐसी स्थिति में पहुंच रहे हैं जहां
हम एक-दूसरे को खा रहे होंगे।’
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वेनेजुएला की सरकार ने पांचवें दिन जारी पावर कट के चलते स्कूलों और
कार्यालयों को सोमवार तक बंद रखने का आदेश जारी कर दिया है। विपक्षी दलों
का कहना है कि ब्लैकआउट की वजह से करीब 17 लोगों की मौत हो गई। बिना बिजली
के हर घंटा अपने साथ तबाही और हडक़ंप ला रहा है।
आर्थिक संकट के चलते
वेनेजुएला में महंगाई अकल्पनीय स्तर पर पहुंच गई है और अंधेरा होते ही
हताश लोग लूटपाट करने को मजबूर हैं। सरकारी मोटरसायकल गैंग्स अंधेरी गलियों
में बंदूक की नोक पर कानून लागू करा रहे हैं।
पिछले 5 दिनों से बिजली गुल है और कई इलाकों की भयावह स्थिति की साफ तस्वीर
सामने नहीं आ पा रही है। वेनेजुएला के सुदूर इलाकों का हाल मिलना और भी
मुश्किल है। जब भी बिजली आती है, कुछ घंटे के बाद फिर से चली जाती है।
इंटरनेट,
मोबाइल फोन्स, बैंक, क्रेडिट कार्ड मशीन, इलेक्ट्रिक कुकर, एसी के बिना
सामान्य जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो चुका है। ऐसे में यह हैरानी की
बात नहीं है कि लोग लूटपाट करने को भी तैयार हैं। काराकस के तेराजस डेल
क्लब के निवासी माजोरी गुस्से में कहती हैं, ‘मेरा दो साल का बच्चा है। कल
शाम को कुछ भी खाने को नहीं बचा था।’
उनके घर के पास की एक दुकान को
लूटा गया और एक पड़ोसी ने उन्हें उबले हुए चावल खाने को दिए। माजोरी ने
कहा, मैंने इसमें पानी डाला, थोड़ी सी चीनी डाली और अपने बेटे को खिलाया।
लेकिन आज जब वह खाना मांगेगा तो मुझे नहीं पता कि मैं उसे क्या दूंगी। हम
वयस्क हैं और पानी पीकर काम चला सकते हैं लेकिन बच्चे क्या करें।
एक सुपरमार्केट में महिलाओं का एक समूह खड़ा है। दुकान के भीतर कैश रजिस्टर
और कार्ड मशीन्स रखी हैं जो काम नहीं कर रही हैं और स्टाफ केवल अमेरिकी
डॉलर्स में भुगतान ले रहे हैं। एक महिला ने कहा, हम इस देश में डॉलर्स
इस्तेमाल नहीं करते हैं, हम डॉलर में नहीं कमाते हैं, हम बोलिवर्स
(वेनेजुएला की मुद्रा) में कमाते हैं। हम दुकानें नहीं लूटना चाहते हैं, हम
किसी भी तरह की समस्या पैदा नहीं करना चाहते हैं। हम केवल खाना चाहते हैं
क्योंकि हम भूखे हैं।
अस्तित्व की लड़ाई...
अस्तित्व की लड़ाई...
कई लोगों के लिए खाने की कमी के अलावा और
भी गंभीर समस्याएं हैं। काराकस में चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल में पैट्रीशिया
(बदला हुआ नाम) लैब टेक्नीशियन के तौर पर काम करती हैं। बीबीसी से बातचीत
में उन्होंने बताया, गुरुवार को किसी को भी जानकारी नहीं थी कि इमरजेंसी
में जेनरटर्स क्यों नहीं चल रहे हैं, लोगों को नहीं पता था कि क्या हो रहा
था और लोग आईसीयू में भी अंधेरे में क्यों थे। एक सहकर्मी ने बताया कि
वार्ड में बच्चों को मैनुअली सांस देकर जिंदा रखा जा रहा है। इंटरमीडियट
केयर की कुछ यूनिट्स में नवजात भी थे।
पैट्रीशिया ने बताया, जब हम वार्ड के
अंदर जा रहे थे तो हमने एक महिला को रोते हुए पाया। हमें पता चला कि
इंटरमीडियट केयर में एडमिट बच्चे की मौत हो गई थी। ब्लैकआउट से मची
उथल-पुथल के बीच एक जेनरेटर हॉस्पिटल भेजा गया लेकिन यह सरकारी अधिकारियों
ने नहीं बल्कि डरे हुए कोलेक्टिवोस ने भिजवाया था।
बिना पैसे के नहीं हो रहे अंतिम संस्कार...
बिना पैसे के नहीं हो रहे अंतिम संस्कार...
यह संकट केवल खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य तक ही सीमित नहीं है। वेनेजुएला में जिंदगी के साथ-साथ मौत भी मुश्किलें लेकर आ रही है।
मारिया
एराजो के बेटे की मौत गुरुवार को हुई थी जब पहली बार बिजली कटी थी। उसके
बाद से बेलो मॉन्टे में उसके बेटे का शव अंतिम संस्कार का इंतजार कर रहा
है।