आपदा राहत के लिए सभी की भागीदारी जरूरी: आपदा प्रबंधन एवं राहत मंत्री

www.khaskhabar.com | Published : गुरुवार, 28 फ़रवरी 2019, 4:49 PM (IST)

जयपुर। आपदा प्रबंधन एंव राहत मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल ने कहा कि किसी भी तरह की प्राकृतिक एवं मानव जनित आपदा को कम करने के लिए प्रशासन तथा सेना के साथ आमजन की भागीदारी भी जरूरी है जिससे आपदा के प्रकोप को कम किया जा सके।

मेघवाल गुरूवार को यहां एसएमएस कन्वेन्शन सेंटर में एक दिवसीय राष्ट्रीय आपदा सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस सेमीनार का आयोजन आपदा प्रंबधन, राहत एवं नागरिक सुरक्षा विभाग तथा भारतीय उद्योग परिसंघ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया। ‘आपदा प्रतिरोध सक्षम राजस्थान’ की थीम पर आयोजित हो रहे कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि यह राज्य के लिए बेहद गर्व का विषय है कि इस तरह का प्रथम सम्मेलन राज्य में आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि आपदा से निपटने के लिए प्रशासन तथा समाज को सक्रिय होकर काम करना पडे़गा।

कार्यक्रम में मुख्य सचिव डी.बी. गुप्ता ने कहा कि आपदा का प्रभाव सामाजिक, ऎतिहासिक तथा भौगोलिक दृष्टि के साथ अन्य क्षेत्रों में बढ़ा है। उन्होंने बताया कि पिछले एक दशक से देश में उद्योग बढ़े है साथ ही राजस्थान भी उद्योगपतियों के लिए पंसदीदा जगह बन गया है ऎसे में औद्योगिक आपदाएं भी बढ़ी है। इन आपदाओं को प्रारंभिक अवस्था में पूर्ण नियन्त्रण कर बड़ी हानि से रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि जिन उद्योगों में खतरनाक रसायन निकलते है उनमें उचित सुरक्षा उपकरण तथा सावधानियां बरतनी चाहिए जिससे किसी भी तरह की दुर्घटना को रोका जा सके।

ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे

इस अवसर पर उद्योग विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल ने कहा कि आपदाओं को कम करने के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आपदा कार्रवाई बल अल्प समय के लिए आपदा को कम कर सकता है लेकिन लंबे समय के लिए समाज तथा उद्योगों को साथ में मिलकर काम करना होगा। उन्होंने गीता के श्लोक का उदाहरण देते हुए कहा कि प्राकृतिक एवं मानव जनित आपदा से बचाव के लिए प्रकृति के पंचमहाभूतों का समन्वय तरीके से प्रयोग किया जाना चाहिए।

सेमीनार में राष्ट्रीय आपदा कार्रवाई बल के महानिदेशक एस एन प्रधान ने कहा कि भारत की भौगोलिक विभिन्नताओं के कारण विभिन्न तरह की आपदाएं आती है जिसमें भूकम्प, बाढ़, अकाल, भू-स्खलन सहित विभिन्न आपदाएं शामिल है इन सभी पर समयानुसार कार्रवाई करने के उद्देश्य से इस बल का गठन किया गया है। उन्होंने राष्ट्रीय आपदा कार्रवाई बल की संरचना, विकास तथा उद्देश्यों की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि यह बल न केवल आपदा आने के बाद उसे कम करने का प्रयास करता है जबकि आपदा से पूर्व बचाव का कार्य भी करता है।

इस अवसर पर भारतीय उद्योग परिसंघ के अध्यक्ष समीर गुप्ता ने कहा कि पूरे विश्व में मानव तथा प्रकृति जनित आपदाएं फैली हुई है तथा भारत की भौगोलिक परिस्थिति अन्य देशों की परिस्थिति से अलग है ऎसे में इन आपदाओं का प्रबंधन बेहद जरूरी हो जाता है। उन्होंने कहा कि आपदा के समय आमजन के पास आधारभूत आवश्यकताआें की पूर्ति भी नहीं हो पाती है। इन परिस्थितियों में उद्योग तथा समाज को मिलकर आपसी समन्वय से प्रबंधन करना चाहिए।

इसके अतिरिक्त सेमीनार में आपदा प्रबंधन एवं राहत विभाग के सचिव आशुतोष ए टी पेडनेकर, सीआईआई राजस्थान राज्य परिषद के अध्यक्ष अनिल साबू ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इससे पहले सेमीनार में पुलवामा में हुए आंतकवादी हमले में शहीद हुए सैनिकों के लिए दो मिनट मौन रहकर श्रृद्वांजलि भी दी गई। कार्यक्रम में विभिन्न उद्योगों के प्रतिनिधि तथा सम्बन्धित अधिकारीगण मौजूद थे।