चेन्नई। प्रसिद्ध टायर निर्माता कंपनी एमआरएफ लिमिटेड की फैक्ट्री में कर्मचारियों की हड़ताल लगातार 13वें दिन बुधवार को भी जारी है। कर्मचारी सीसीटीवी कैमरा हटाने और वेतन संबंधी मामले का जल्द निपटारा करने की मांग कर रहे हैं।
एमआरएफ कर्मचारी संघ के महासचिव सी.आर. प्रभाकरन ने बुधवार को आईएएनएस को बताया, ‘‘आठ फरवरी को शुरू हुई हड़ताल 13वें दिन में प्रवेश कर गई है। संयंत्र में कर्मचारियों की कुल संख्या 1,025 है और 66 को छोडक़र सभी अन्य हड़ताल पर हैं। हमारी मांग जल्द से जल्द वेतन संबंधी मामले का निपटारा करने और सीसीटीवी को हटाने की है क्योंकि इससे हमारी निजता प्रभावित होती है।’’
प्रभाकरन ने कहा कि संयंत्र हल्के/भारी और सडक़ पर नहीं चलने वाले वाहनों के लिए टायर निर्मित करता है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस संयंत्र का प्रतिदिन उत्पादन लगभग 3.5 करोड़ रुपये का है। संयंत्र में प्रति कर्मचारी औसत वेतन लगभग 23,000 रुपये प्रति माह है और वे घर करीब 18,000 रुपये ले जाते हैं। दूसरी तरफ अन्य एमआरएफ संयंत्रों में कर्मचारियों की औसत मजदूरी करीब 40,000 रुपये प्रति माह है। अंतिम वेतन समझौता 2009 में किया गया था।’’
प्रभाकरन के अनुसार, तिरुवोत्तियुर संयंत्र कंपनी का मदर प्लांट है और यहां वेतन सबसे कम है।
कर्मचारियों के सीसीटीवी कैमरे के खिलाफ होने के कारणों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘टायर का उत्पादन बहुत गर्म वातावरण में किया जाता है। कर्मचारी एक टीम के रूप में काम करते हैं और आवश्यक आउटपुट देते हैं। हमारा संयंत्र अन्य एमआरएफ संयंत्रों के बीच पिछले तीन सालों से सबसे अच्छी उत्पादकता/गुणवत्ता पुरस्कार जीतता आ रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘घंटों की मेहनत के बाद कर्मचारी थोड़ा आराम करेंगे। सीसीटीवी कैमरे हर जगह लगा दिए गए हैं, जिससे निजता प्रभावित हो रही है।’’
उन्होंने कहा कि अगर सीसीटीवी कैमरे मुख्य द्वार, स्क्रैप यार्ड और कुछ अन्य स्थानों पर लगाए जाते हैं तो हमें कोई आपत्ति नहीं है।
कंपनी ने कहा कि वेतन समझौता मुद्दा इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल के पास है जिसने सीसीटीवी कैमरों को लेकर कर्मचारियों की मांग को खारिज कर दिया।
टायर निर्माता कंपनी ने हड़ताल को अवैधानिक बताते हुए कहा कि जल्द से जल्द स्थिति सामान्य करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
(आईएएनएस)
ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे