महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए कई महत्वपूर्ण कदम

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 25 जनवरी 2019, 4:11 PM (IST)

धर्मशाला। प्रदेश सरकार ने समाज के कमजोर वर्गों के बच्चों और महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं ताकि उन्हें सुरक्षा, वित्तीय सहायता और सम्मानजनक जीवन जीने के अवसर प्राप्त हो सकें। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अंतर्गत गठित महिला एवं बाल विकास निदेशालय के माध्यम से महिला सशक्तिकरण के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं।

वर्तमान सरकार ने बेटी है अनमोल योजना के अन्तर्गत बी.पी.एल परिवार में जन्म लेने वाली बालिका को जन्म पश्चात् दी जाने वाली एकमुश्त अनुदान सहायता राशि को 10,000 रूपये से बढ़ाकर 12,000 रुपये किया गया है। गरीब महिलाओं को मदर टेरेसा असहाय मातृ संबल योजना के अन्तर्गत अपने बच्चों के पालन-पोषण के लिए दी जाने वाली सहायता राशि को भी 4000 रुपये से बढ़ाकर 5000 रुपये प्रति बच्चा प्रति वर्ष किया गया है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, मिनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को राज्य बजट से दिए जाने वाल अतिरक्त मानदेय में 300 रुपये प्रति माह की वृद्धि की गई है।

राष्ट्रीय पोषण अभियान के लिए प्रदेश के पांच जिलों- चम्बा, हमीरपुर, शिमला सोलन व ऊना को चयन किया गया है। अभियान के अन्तर्गत प्रारम्भ में उन जिलों का चयन किया गया है जहां कम वज़न, ठिगनेपन, विकास अवरुद्धता और अनीमिया इत्यादि की समस्या अधिक है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मन्त्रालय के निर्देश के अनुसार हिमाचल प्रदेश में सितम्बर 2018 को राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया गया।

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भारत सरकार द्वारा पोषण माह के दौरान अलग-अलग स्तरों पर उत्कृष्ट कार्य करने के लिए हिमाचल को पांच श्रेणियों क्रमशः व्यक्तिगत कार्य, ग्राम स्तर पर संयुक्त प्रयास, ग्राम स्तरीय समन्वय समिति के लिए, जिला स्तरीय उत्कृष्ट कार्य व नेतृत्व प्रदान करने और राज्य स्तरीय सोशल मीडिया में प्रचार-प्रसार के लिए नीति आयोग ने पुरस्कार प्रदान किए हैं।
ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए छात्र स्वयंसेवकों की सहभागिता से समुदाय की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए नई योजना महिला शक्ति केंद्र को आरंभ में प्रदेश के तीन जिलों ऊना, कांगड़ा और हमीरपुर में स्वीकृत किया गया। अब प्रदेश के छह और जिलों- चम्बा, शिमला, सोलन, सिरमौर, बिलासपुर तथा मण्डी में भी महिला शक्ति केंद्रों को चलाने की अनुमति दी गई है।

हिमाचल सरकार ने कन्या सशक्तिकरण के दृष्टिगत सक्षम गुड़िया बोर्ड का गठन किया है। यह बोर्ड बालिकाओं और किशोरियों के सशक्तिकरण के लिए नीति, सुरक्षा से संबंधित नियमों, नीतियों और कार्यक्रमों पर सिफारिश देगा। इसके अतिरिक्त यह बोर्ड बालिकाओं के उत्थान और सशक्तिकरण के लिए विभिन्न विभागों द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की भी समीक्षा कर रहा है। साथ ही बालिकाओं व किशोरियों के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए भी यह सुझाव देगा।

सशक्त महिला योजना जिसकी घोषणा मुख्यमंत्री ने अपने बजट भाषण में की थी, के अन्तर्गत महिलाओं को पंचायत स्तर पर संगठित करके उनके अधिकारों के प्रति जागरुक कराना, सरकार द्वारा ग्रामीण महिलाओं के उत्थान के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में अवगत करवाकर उन्हें कौशल विकास प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाना है। यह योजना किशोरियों को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करेगी तथा उन्हें मासिक धर्म, स्वच्छता व आत्मसम्मान बढ़ाने के विषयों पर भी जागरुक करेगी। योजना के अन्तर्गत दायरे में 11 से 18 वर्ष की लड़कियों और उन सभी महिलाओं को लाया गया है जिनकी आयु 19 से 45 वर्ष है।

सशक्त महिला योजना के अन्तर्गत हर पंचायत मे सशक्त महिला केन्द्र बनाए जाएंगे जिनका संचालन 19 से 45 वर्ष की आयु की महिलाएं करेंगी। यह केन्द्र महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे अवगत करवाएंगे तथा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बैंक से जोड़ेंगे तथा कौशल विकास प्रशिक्षण देंगे। महिलाओं द्वारा तैयार किए गए उत्पाद की बिक्री बढ़ाने के लिए महिलाओं को पर्यटन विभाग, मदिंर ट्रस्ट तथा उद्योग विभाग से जोड़ा जाएगा।

केंद्र प्रायोजित प्रधान मंत्री मातृ वन्दना योजना को भी प्रदेश में सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया जा रहा है। इसके अंतर्गत मजदूरी की क्षति के बदले में नकद राशि को प्रोत्साहन के रूप मे आंशिक क्षतिपूर्ति प्रदान करना है ताकि महिलाएं पहले जीवित बच्चे के जन्म से पहले और बाद में पर्याप्त विश्राम कर सकें। जो महिलाएं केन्द्र सरकार या राज्य सरकार या सार्वजनिक उपक्रमों में नियमित रोजगार में हैं या जो वर्तमान मे लागू किसी कानून के अर्न्तगत समान लाभ प्राप्त कर रही हैं, उनको छोड़कर सभी गर्भवती महिलाएं एवं स्तनपान कराने वाली माताएं जो पहली बार मां बनी हैं या बनने जा रही हैं, इस योजना का लाभ ले सकती हैं। वित्तीय सहायता के रूप में इन महिलाओं को तीन किश्तों मे 5,000 रुपये का नकद लाभ दिया जा रहा है।