जयपुर। शिक्षा राज्य मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डाईट्स) को सुदृढ़ किये जाने के निर्देश दिए हैं। उन्हाेंने कहा कि डाईट्स का पृथक काडर बनाये जाने पर भी विचार किया जाएगा। उन्होंने शिक्षक प्रशिक्षण को व्यावहारिक किये जाने और शिक्षकों को उनके जिलों में ही प्रशिक्षण दिए जाने की भी हिदायत दी है। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण सजा नहीं है। इसके नाम पर शिक्षकों को परेशान नही किया जाना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों की आवश्यकता और शैक्षिक गुणवत्ता वृद्धि को केंद्र में रखकर शिक्षकों का प्रशिक्षण करवाये जाने पर जोर दिया है।
डोटासरा ने गुरुवार को शिक्षा संकुल में शिक्षा विभाग की 9 घंटे तक सूक्ष्म समीक्षा बैठक ली। शिक्षा मंत्री ने इस दौरान समग्र शिक्षा की विभिन्न योजनाओं की बिन्दुवार जानकारी ली तथा कहा कि शैक्षिक परियोजनाओं में प्रतिनियुक्ति पर ऎसे शिक्षकाें को लिया जाए जो विभिन्न विषयों के साथ ही परियोजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए प्रतिबद्ध हों। उन्हाेंने ज्ञान संकल्प पोर्टल के तहत विद्यालयों केा मिलने वाले सहयोग की भी समीक्षा की तथा कहा कि विद्यालयों में भौतिक ही नहीं व्यावहारिक रूप में भी सहयोग लिए जाने के लिए पोर्टल में प्रावधान किये जाएं।
डोटासरा ने आदर्श एवं उत्कृष्ट विद्यालयों की भी समीक्षा की तथा कहा कि विद्यालयों की संख्या बढ़ाने के साथ ही वास्तव में उन्हें आदर्श और उत्कृष्ट बनाए जाने पर शिक्षा अधिकारी ध्यान दे। उन्होंने ऐसे विद्यालयों में विषय अध्यापकों के रिक्त पदों को शीघ्रातीशीघ्र भरे जाने, विद्यालयों में कम्प्यूटर शिक्षा के समुचित प्रबंध किए जाने पर भी जोर दिया।
शिक्षा राज्य मंत्री ने मॉडल स्कूलों में सूचना सहायकों की आवश्यकता के बारे में भी जानकारी ली तथा कहा कि इस संबंध में नवीन भर्तियां के लिए वित्त विभाग से बात कर कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि विद्यालयो के विकास में सहयोग उपयोगिता आधारित हो-इसी अनुरूप नियम बने। उन्होंने विद्यालयों से जन जुड़ाव के लिए प्रवासियों से सहयोग लिए जाने के लिए भी अधिकारियों को व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास किए जाने पर जोर दिया।
ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
डोटासरा ने कहा कि यह भी सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी विद्यालय
में गणित, विज्ञान और अंग्रेजी के शिक्षकों के पद रिक्त नहीं रहे। उन्होने
राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान परिषद् को व्यावहारिक बनाए जाने और
प्रशिक्षण में विद्यार्थियो के कौशल विकास, व्यक्तित्व विकास की गतिविधियॉं
पर अधिकाधिक ध्यान दिए जाने पर जोर दिया। बैठक में बताया गया कि राज्य
शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षणण संस्थान द्वारा नियमों के तहत विद्यालयी
पाठ्यपुस्तकों में परिवर्तनों की समीक्षा का कार्य चल रहा है।
शिक्षा
मंत्री ने इस पर कहा कि पाठ्यपुस्तकों में विद्यार्थियों के ज्ञान वर्द्धन,
उनकी बौद्धिक क्षमता से जुड़ी सामग्री का अधिकाधिक समावेश हो। उन्होंने कहा
कि शिक्षा में राजनीति नहीं होनी चाहिए। शिक्षा में ऎसा पढ़ाया जाए जिससे
विद्यार्थी भविष्य में आगे बढ सके। उन्होंने लनिर्ंग आउटकम के आधार पर
पाठ्यपुस्तकों की समीक्षा की कार्यवाही जारी रखे जाने और इसके तहत विषय
विशेषज्ञों, शिक्षाविदें की राय के आधार पर कार्यवाही किए जाने पर जोर
दिया।
उन्होनें कहा कि राज्य सरकार की मंशा है कि विद्यालय ज्ञान
संपन्न समाज का निर्माण करने वाले हों। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी समाज का
भविष्य हैं, उन्हें बेहतर शिक्षा के साथ ही पढ़ने की बौद्धिक सामग्री मिलनी
चाहिए। उन्होंने कहा कि विद्यालयों पुस्तकालयों को भी विद्यार्थी ज्ञान
केन्द्र के रूप में विकसित किए जाने पर जोर दिया। उन्होंने विद्यालयों में
पुस्तको की खरीद भी गुणवत्ता आधार के साथ ही विद्यार्थियों की उपयोगिता और
उनके ज्ञानवर्द्धन में उपयोगी पुस्तकों के आधार पर किए जाने पर जोर दिया।
उन्हेांने
कहा कि विद्यालयों के पुस्तकालयों में विचारधाराओं को थोपा नहीं जाना
चाहिए। पुस्तकें वहां ऎसी हो जो उनके मन को स्वस्थ करने वाली, बौद्धिक
क्षमता में वृद्धि करने वाली और भविष्य का ज्ञान संपन्न समाज बनाने वाली
हों। र्बैठक में साक्षरता एवं सतत शिक्षा के कार्यो को भी जनोपयोगी बनाए
जाने पर जोर देते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रयास हो कि राजस्थान देशभर
में शिक्षा क्षेत्र में अग्रणी बने। बैठक में प्रमुख शासन सचिव भास्कर ए
सावंत, सर्व शिक्षा अभियान के आयुक्त प्रदीप कुमार बोरड़, प्रारंभिक शिक्षा
विभाग के निदेशक ओ.पी. कसेरा, एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक नथमल
डीडेल सहित बड़ी संख्या में अधिकारियों ने भाग लिया।