जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का आज से आगाज,जुटेंगे दिग्‍गज लेखक और विचारक

www.khaskhabar.com | Published : गुरुवार, 24 जनवरी 2019, 10:52 AM (IST)

जयपुर। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का आगाज आज (24 जनवरी) से से शुरू होने जा रहा है। इस फेस्टिवल में दुनिया भर के महान लेखक, चिंतक, मानवतावादी, राजनेता, व्यवसाय जगत में अपना सिक्का जमाने वाले, खेल और मनोरंजन जगत की मशहूर हस्तियां विभिन्न विषयों पर अपनी बेबाक राय देने के लिए जुटेंगी।

पांच दिन तक चलने वाला जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 12वां संस्करण है। इसका उद्घाटन सत्र शुरू हो गया है। आज गुलजार, राजस्‍थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट, शशि थरूर सत्र में शामिल होंगे। इस फेस्टिवल में प्राचीन सभ्यता से लेकर युद्ध तक, जिसने इतिहास के प्रवाह को बदल, रहस्य और मिथक को नया आयाम दिया, इन विषयों पर फेस्टिवल के वर्ष 2019 के संस्करण में विविध दिलचस्प सत्रों का आयोजन किया गया है।

भारतीय लेखिका इरा मुकौटी, पौराणिक आख्यानों के प्रतिष्ठित ज्ञाता और जबरदस्त कहानीकार, देवदत्त पटनायक का श्याम रिटेलिंग द भागवत सत्र में परिचय करवाएंगी। द भागवत, महाभारत और रामायण के बाद तीसरा महाआख्यान है। कृष्ण की कहानी, जिन्हें उनके चाहने वाले श्याम पुकारते हैं, को हजारों सालों पहले कलमबद्ध किया गया था, पहले ‘हरिवंश पर्व’ के रूप में, फिर भागवतपुराण और फिर बहुत से कवि-मुनियों ने भारत भर की भाषाओं में कृष्ण को गीतों के रूप में रचा। पटनायक अर्थ की कई परतों में उतरकर हमारा मार्गदर्शन करेंगे और श्याम से जुड़े विविध नजरियों को हमारे सामने प्रस्तुत करेंगे।

जाने-माने भारतीय-अमेरिकी पुराण विशेषज्ञ, लेखक और न्यूक्लियर रेडियोलोजिस्ट अमित मजूमदार की गाॅडसाॅन्ग, भागवत गीता का छंद प्रति छंद अनुवाद है। भागवद गीता एक बहुत महत्वपूर्ण हिन्दू ग्रंथ है, जिसमें बहुत सी बारीकियों को लयबद्ध रूप में दर्ज किया गया है। मजूमदार की रामायण की पुर्नप्रस्तुति, द सीतायान में लुप्त नायिकाओं को कहानी के केंद्र में रख, इन चरित्रों को राम की छाया से बाहर ला, आवाज देने की कोशिश की गई है। इसमें शूर्पणखा, रावण, मंदोदरी और सीता खुद को अभिव्यक्त करती हैं। गाॅडसाॅन्गः सीता और गीता सत्र में, मजूमदार अकादमिक और संस्कृत के विद्वान जेम्स मेलिंसन के साथ इन प्रेरणाप्रद पाठों, उनकी भव्यता और व्याख्याओं की चर्चा समकालीन संदर्भों में करेंगे।

फाइंडिंग राधा,ग्वालिन राधा पर एक दिलचस्प सत्र होगा, जिन्हें देवी और भगवान् कृष्ण की प्रेयसी के रूप में पूजा जाता रहा। कृष्ण की पत्नी रुक्मणि के आने से पहले से, कृष्ण और राधा एक-दूसरे के पूरक रहे। प्रसिद्ध लेखक, विद्वान और पुराणविद-अलका पांडे, बुलबुल शर्मा, पवन के. वर्मा, देवदत्त पटनायक औरयूडिट कोर्नबर्ग ग्रीनबर्ग के साथ नमिता गोखले और मालाश्री लाल- सत्र में श्री राधा की धार्मिक, ऐतिहासिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भों में व्याख्या करेंगे। नमिता गोखले और मालाश्री लाल ने संग्रह फाइंडिंग राधाः द क्वेस्ट फाॅर लव का सह-संपादन भी किया है।

उस दौर में जब मिथकीय कथाओं का बोलबाला है, शायद ही किसी ने हिंदी के प्रतिश्ठित लेखक नरेन्द्र कोहली जितना शोधपरक और महत्वपूर्ण आख्यान लिखा हो। हिंदी के प्रसिद्ध लेखक नरेन्द्र कोहली, यतीन्द्र मिश्र के संग संवाद में, सत्र महासमरः राइटिंग द एपिक में, बताएंगे कि उन्हें भारतीय आख्यान, मान्यताओं और प्रचलित कथाओं के पुनर्लेखन की प्रेरणा कहाँ से मिली। वो महासमर श्रृंखला के नौ खण्डों के बारे में और रामायण, महाभारत और पुराण की समकालीन समझ के बारे में बात करेंगे।

लेखक, भूतपूर्व राजनयिक और राजनेता पवन के. वर्मा जगद गुरु आदिशंकराचार्य (788-820 सीई) की पुनर्संरचना के माध्यम से हिंदूत्व के दर्शन की व्याख्या करेंगे। भारतीय कवि, मकरंद आर. परांजपे के साथ चर्चा में, वर्मा आदि शंकराचार्यः हिंदूइज्म’स ग्रेटेस्ट थिंकर सत्र में, हिंदू मुनि का नजरिया प्रस्तुत करने का प्रयास करेंगे। वे आज के संदर्भ में हिंदूत्व की भ्रश्ट होती समझ को आधुनिक विज्ञान पर परखेंगे।

अश्विन सांघीः द धर्म ऑफ द स्टोरीटेलर सत्र में, कामयाब लेखक अश्विन सांघी, लेखिका मेघना पंत से बात करते हुए, लेखन की कला, प्रक्रिया और विज्ञान के बारे में बतायेंगे। सांघी की गहन शोध पर आधारित किताबें रहस्य, मिथक और अपराध की जड़ों में जाती हैं। सांघी कहानीकार के धर्म और प्लाट और चरित्रों को जीवंत करने के बारे में विस्तार से बतायेंगे।


जलियाँवाला बाग सत्र, 13 अप्रैल, 1919 के उस बदकिस्मत दिन की घटना आधारित होगा,जब जनरल डायेर ने अमृतसर के पार्क में आयोजित एक शांतिपूर्ण सम्मलेन पर गोली-बारी के आदेश दे दिए थे। लंदन यूनिवर्सिटी में, इतिहास की प्रोफेसर किम ए. वेगनर और प्रतिष्ठित राजनयिक और नामी लेखकनवतेज सरना,जलियांवाला बाग, 1919, द रियल स्टोरी की लेखिका किष्वर देसाई से इस पर चर्चा करेंगे।

स्वेन बेकर्ट की एम्पायर आॅफ काॅटनः ए ग्लोबल हिस्ट्री एक ऐसी किताब है जो कपास की कहानी को बुनते हुए दुनिया की वर्तमान स्थिति का जायजा लेती है। इसी नाम के एक सत्र में, लेखक नामी जीवनीकार और इतिहासकार, पैट्रिक फ्रैंच से बात करेंगे। बेकर्ट दासों और मालिकों, व्यापारियों और राजनयिकों, मजदूरों और फैक्टरी मालिकों के बीच हमेषा से चले आ रहे संघर्श पर बात करते हुए साफ करेंगे कि कैसे इसी ने आधुनिक पूंजीवाद की नींव रखी। इस दिलचस्प सत्र में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में, कपास व्यापार की स्थिति पर भी चर्चा होगी।

हिस्ट्री ऑफ द वर्ल्ड इन सिक्सटीन शिपरेक्सस्टीवर्ट गॉर्डोन की किताब युगों पुराने, जोखिम और आकर्षण से भरे समुद्री सफर की कहानी कहती है, जो वर्षों तक लोगों और सामान की आवाजाही का माध्यम बना है। जबरदस्त बयानगी के साथ यह किताब भयानक समुद्र को परिचित बनाकर, समुद्री मार्गों का विकास करने वाले संस्थानों और तकनीकों की दिलचस्प कहानी कहती है, जो आज के आधुनिक समय में बहुत मायने रखती है। इस सत्र में, हिन्द महासागर के हार्वर्ड के इतिहासकार, सुनील एस. अमृतस्टीवर्ट से बात करेंगे।

द रोमानोव्स सत्र में, साइमन सीबेग माॅन्टेफियोरे का जबरदस्त व्याख्यान रहेगा, उनकी इसी नाम की किताब से। लेखक बताएंगे कि कैसे एक परिवार - आधुनिक समय का सबसे ताकतवर परिवार, युद्ध में लिप्त होकर अंत में पराजित हुआ? त्सार वंष के 20 सदस्यों की अंतरंग कहानी, जिनमें से कुछ बहुत प्रतिभाशाली थे, तो कुछ पागल, लेकिन सभी में अपने साम्राज्य को महान बनाने की आकांक्षा थी। माॅन्टेफियोरे सबसे ताकतवर और कठोर साम्राज्य के षड्यंत्र, पारिवारिक प्रतिद्वंद्विता और जुनूनी आकांक्षाओं की कहानी बयां करेंगे। सत्र का परिचय देंगे, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में आधुनिक इतिहास के प्रोफेसर रह चुके, रिचर्ड इवांस।

इन डिफेंस आॅफ द हिस्ट्री सत्र में, इवांस अपने क्राफ्ट की महत्ता का पक्ष रखेंगे। आज के समय में जब हम इतिहास को संदेह से देख रहे हैं, इवांस हमें बताएंगे कि इतिहास क्यों हमारे लिए आवष्यक है। उत्तर आधुनिक इतिहासकारों के दावे कि हम ‘इतिहास से वास्तव में कुछ सीख नहीं सकते’ का इवांस बहुत ही चतुराई और संतुलन से खंडन करते हैं। इवांस अपने क्राफ्ट पर डैन जोन्स, रूबी लाल, संजीव सान्याल और स्टीवर्ट गोर्डोन जैसे इतिहासकारों के साथ चर्चा करेंगे। सत्र संचालन डेविड ओलूसोगा करेंगे।

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