चौथा महाकवि कन्हैयालाल सेठिया पुरस्कार राजथी सलमा को, यहां पढ़ें

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 19 जनवरी 2019, 12:47 PM (IST)

जयपुर । चौथा महाकवि कन्हैयालाल सेठिया पुरस्कार, समकालीन तमिल साहित्य के जाने-माने नाम, राजथी सलमा को, जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2019 में, डिग्गी पैलेस में, 27 जनवरी शाम साढ़े चार बजे दिया जायेगा।

दो कविता संग्रहों, एक लघु-कथा संग्रह और दो उपन्यासों के साथ सलमा के और भी बहुत से कार्यों का अनेकों भाषाओँ में अनुवाद हो चुका है, और वो एक विशिष्ट साहित्यिक आवाज मानी जाती हैं। उनके एक उपन्यास का अंग्रेजी अनुवाद लक्ष्मी होल्मस्ट्रोम ने, द ऑवर पास्ट मिडनाईट, नाम से अनुवाद किया था, जिसे क्रॉसवर्ड बुक प्राइज के लिए शोर्टलिस्ट और मैन एशियन डीएससी अवार्ड की लॉन्गलिस्ट में शामिल किया गया था।

सलमा को बहुत से अवार्ड और सम्मानों से नवाजा गया है, और आपको बहुत से लिटरेचर फेस्टिवल और सेमिनारों में बुलाया जाता रहा है। जब शिकागो विश्वविद्यालय ने, नॉर्मन जे. कटलर के वार्षिक सम्मलेन के लिए दो-दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया, तो तमिल साहित्य की तरफ से वो इकलौती प्रतिनिधि थीं। सलमा एक प्रतिबद्ध पब्लिक सर्वेंट हैं और 2001-2006 के दौरान पोंनमपट्टी टाउन पंचायत की चुनिन्दा अध्यक्ष, और तमिलनाडु सरकार के सोशल वेलफेयर बोर्ड की अध्यक्ष भी रहीं।

महाकवि कन्हैयालाल सेठिया पुरस्कार की चयन प्रक्रिया में साहित्य और कला जगत की महत्वपूर्ण हस्तियाँ हिस्सा लेती हैं, जिनमें नमिता गोखले, संजॉय के.रॉय, सुकृता पॉल, सुदीप सेन और जयप्रकाश सेठिया का नाम शामिल है।

पुरस्कार की घोषणा पर, टीमवर्क आर्ट्स के प्रबंध निदेशक, संजॉय के. रॉय ने कहा, “हर साल हम युवा कलाकारों, लेखकों और कवियों को जी जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के माध्यम से एक ऐसा लोकतान्त्रिक मंच दिलवाने की कोशिश करते हैं, जहाँ वो अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकें। महाकवि कन्हैयालाल सेठिया अवार्ड काव्य में विशिष्ठ कार्य के लिए प्रदान किया जाता है। पिछले कुछ सालों में, कविता पर बहुत सा ध्यान केन्द्रित किया गया है, और हमारे फेस्टिवल के एक साल की थीम तो ‘पोएटिक इमेजिनेशन’ थी, और इस साल हम कला के इस रूप की सराहना और प्रोत्साहन से एक और प्रयास करने जा रहे हैं।” टीमवर्क आर्ट्स प्रत्येक वर्ष जी जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का आयोजन करती है।

ज्यूरी के सदस्य जयप्रकाश सेठिया ने कहा, “ सेठिया अपने समय में ही अपने दुर्लभ कामों की वजह से अपनी खास पहचान बना चुके थे। एक आंकलन के मुताबिक, दुनिया भर के 15 मिलियन से ज्यादा लोग सेठजी और उनके काम से परिचित थे।”

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