मगरमच्छ की मौत पर फूट-फूटकर रोने लगा पूरा गांव, अब करेंगे ऐसा

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 11 जनवरी 2019, 1:40 PM (IST)

नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में एक गांव में मगरमच्छ की मौत के बाद पूरे गांव में गम का माहौल है। पिछले दिनों मगरमच्छ गंगाराम की मौत हो गई। इस मगरमच्छ की उम्र करीब 130 साल थी। वन्य विभाग सहित ग्रामीणों ने इसे आखिरी विदाई दी। मगरमच्छ गंगाराम को विदाई देने के लिए करीब 500 लोग शामिल हुए। गांव वाले इस मगरमच्छ को अपने परिवार का सदस्य मानते थे। अंतिम विदाई के दौरान गांव के कई लोग फूट-फूटकर रोने लगे।

वहीं गांववाले अब मगरमच्छ गंगाराम का मंदिर बनाने की तैयारी में हैं। गंगाराम ग्रामीणों का तकरीबन सौ वर्ष से ‘दोस्त’ था। मित्र ऐसा कि बच्चे भी तालाब में उसके करीब तैर लेते थे। गांव के सरपंच मोहन साहू बताते हैं, ‘गांव के तालाब में पिछले लगभग सौ वर्ष से मगरमच्छ निवास कर रहा था।

इस महीने की आठ तारीख को ग्रामीणों ने मगरमच्छ को तालाब में अचेत देखा तब उसे बाहर निकाल गया। बाहर निकालने के दौरान जानकारी मिली कि मगरमच्छ की मृत्यु हो गई है। बाद में इसकी सूचना वन विभाग को दी गई।’

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साहू ने बताया, ‘ग्रामीणों का मगरमच्छ से गहरा लगाव हो गया था। मगरमच्छ ने दो तीन बार करीब के अन्य गांव में जाने की कोशिश की थी लेकिन हर बार उसे वापस लाया जाता था। यह गहरा लगाव का ही असर है कि गंगाराम की मौत के दिन गांव के किसी भी घर में चूल्हा नहीं जला।’ उन्होंने बताया कि लगभग 500 ग्रामीण मगरमच्छ की शव यात्रा में शामिल हुए थे और पूरे सम्मान के साथ उसे तालाब के किनारे दफनाया गया।

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सरपंच ने बताया कि ग्रामीण गंगाराम का स्मारक बनाने की तैयारी कर रहे हैं और जल्द ही एक मंदिर बनाया जाएगा जहां लोग पूजा कर सकें। बेमेतरा में वन विभाग के उप मंडल अधिकारी आर के सिन्हा ने बताया कि विभाग को मगरमच्छ की मौत की जानकारी मिली तब वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी घटनास्थल पर पहुंच गए।

विभाग ने शव का पोस्टमार्टम कराया था। शव को ग्रामीणों को सौंपा गया था क्योंकि वह उसका अंतिम संस्कार करना चाहते थे।

सिन्हा ने बताया कि मगरमच्छ की आयु लगभग 130 वर्ष की थी तथा उसकी मौत स्वाभाविक थी। गंगाराम पूर्ण विकसित नर मगरमच्छ था। उसका वजन 250 किलोग्राम था और उसकी लंबाई 3.40 मीटर थी।

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