रोजगार सृजन में एमएसएमई उद्यमों की प्रमुख भूमिका- केन्द्रीय अवर सचिव श्रीनिवास

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 09 जनवरी 2019, 6:31 PM (IST)

जयपुर। केन्द्रीय अपर सचिव प्रशासनिक सुधार एवं जनअभाव निराकरण वी श्रीनिवास ने लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उद्यमों के लिए क्रेडिट फ्लो (साख प्रवाह) बढ़ाने की आवश्यकता प्रतिपादित करते हुए वित्तदायी संस्थाओं को तय समय सीमा में ऋण सुविधा उपलब्ध कराने को कहा है। उन्होंने कहा कि एमएसएमई ईकाइयां ही देश में सर्वाधिक रोजगार के अवसर सृृजित करती है। उन्होंने सभी उद्यमों से बीमा योजना से कार्मिकों को बीमित करने को कहा।

वी श्रीनिवास बुधवार को उद्योग भवन में प्रमुख सविच एमएसएमई आलोक, आयुक्त डाॅ. केके पाठक के साथ केन्द्र सरकार के 100 दिवसीय अभियान के तहत जयपुर व सीकर जिले में एमएसएमई इको सिस्टम सुदृढ़ीकरण पर आयोजित बैठक को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि सरकार की रोजगार सृजन, एमएसएमई उद्यमों के लिए ऋण योजनाओं, स्वास्थ्य व जीवन बीमा, अनुदान योजनाओं से अधिक अधिक लोगों को जोड़कर लाभान्वित किया जाए। उन्होंने कहा कि बीमा के साथ ही युवाओं के कौषल विकास पर बल दिया जा रहा है।केन्द्रीय अवर सचिव श्रीनिवास ने बताया कि एमएसएमई के 59 मिनट में ऋण योजना में जयपुर और सीकर में करीब 500 उद्यमियों को ऋण स्वीकृत किए गए हैं। उन्होंने जयपुर के बगरु के टैक्सटाइल पार्क के कार्यों की सराहना की और प्रदेश में उद्योग विभाग द्वारा योजनाओं के क्रियान्वयन और संचालन पर संतोष व्यक्त किया।

श्रीनिवास ने जयपुर व सीकर जिला कलक्टरों को विभागीय अधिकारियों, संस्थाओं, जिलों के औद्योगिक संघों व लीड बैंकों के साथ बैठक कर ऋण उपलब्धता में आ रही बाधाओं के निस्तारण के निर्देश दिए।
प्रमुख शासन सचिव एमएसएमई आलोक ने कहा कि एमएसएमई सेक्टर राज्य सरकार की प्राथमिकता मेें है और इस क्षेत्र को और अधिक विस्तारित करने पर जोर दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि एमएसएमई सेक्टर की देश व प्रदेश के औद्योगिक व आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका होने के साथ ही सबसे अधिक रोजगार प्रदाता भी यही सेक्टर है। उन्होंने बताया कि नए युवाओ को इस सेक्टर से और अधिक जोड़ा जाएगा।

आयुक्त उद्योग डाॅ. कृृष्णाकांत पाठक ने बताया कि राज्य में 7 लाख 31 हजार एमएसएमई इकाइयों में 63823 करोड़ विनियोजित है। उन्होंने बताया कि इस सेक्टर से 34 लाख 48 हजार लोगों को रोजगार मिल रहा है। उन्होंने बताया कि जयपुर जिले में ही एक लाख 19 हजार एमएसएमई उद्यम है जिनमें सर्वाधिक 32 हजार उद्यम हैण्डीक्राफ्रट सेक्टर से जुड़े हुए हैं। उन्होंने बताया कि एमएसएमई उद्यमों की उत्पादों की सरकारी खरीद में प्राथमिकता देने के साथ ही इन इकाइयों के भुगतान विवादों का भी समझाइश या अवार्ड पारित कर निपटारा करवाया जा रहा है।

डाॅ. पाठक ने बताया कि पीएमईजीपी और बीआरएसवाई योजना में युवाओं को स्वरोजगार के लिए ऋण सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने बताया के रिप्स व एमएसएमई असिस्टेंस योजनाओं में इन उद्यमों को सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। इसके साथ ही प्रदेष में उद्योग रत्न पुरस्कार, बुनकर पुरस्कारों के साथ ही राज्य व केन्द्र योजना में कलस्टर योजनाओं का संचालन किया जा रहा है।


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श्रम आयुक्त नवीन जैन ने उद्यमों व उद्यम संघों से आग्रह किया कि वे श्रम विभाग के पोर्टल पर जाकर उनके यहां कार्य कर रहे श्रमिकों को बीमा, स्वास्थ्य व अन्य योजनाओं से जोड़कर लाभान्वित कराएं। उन्होंने बताया कि सिलिकोसिस मरीजों को पांच लाख तक की सहायता दी जा रही है।

औद्योगिक परिसंघ यूकेरी के शरद कांकरिया व अनिल उपाध्याय ने एमएसएमई सेक्टर को प्रमोट करने की आवश्कयता प्रतिपादित की। लघु उद्योग भारती के महेन्द्र खुराणा ने ऋण प्रक्रिया को सरल बनाने, बैंक गांरटी पर साल दर साल चार्ज लिया जाए और 25 प्रतिशत मार्जिन राषि को कम कर उद्यमियों को राहत दिलाए।


बैठक में अतिरिक्त निदेशक डीसी गुप्ता, अविन्द्र लढ्डा, संयुक्त निदेशक एसएस शाह, संजीव सक्सैना, सीएल वर्मा, एसएल पालीवाल, उपनिदेशक रवीश कुमार, क्षेत्रीय पीएफ आयुक्त अजय मेहरा, जिला उद्योग अधिकारी डीएन माथुर सहित विभागीय, जयपुर-सीकर की संबंधित संस्थाओं व औद्योगिक संघों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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