लोकसभा में पास हुआ सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण का विधेयक

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 08 जनवरी 2019, 1:12 PM (IST)

नई दिल्ली। सामान्य कैटेगरी के सवर्णों को आर्थिक आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए लोकसभा में मंगलवार को संशोधन विधेयक पास हो गया। आरक्षण के लिए लाए गए 124वें संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा ने बहुमत के साथ पारित किया। बिल में सभी संशोधनों को बहुमत से मंजूरी दे दी गई। इस विधेयक के समर्थन में 323 वोट पड़े, जबकि केवल 3 सांसदों ने इसके खिलाफ मतदान किया है।

इससे पहले विधेयक का किसी भी दल ने सीधे तौर पर विरोध तो नहीं किया, मोदी सरकार ने सोमवार को सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए सरकारी नौकरी और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। सरकार ने इस आदेश को मंजूरी दिलाने के लिए मंगलवार को लोकसभा में संविधान संशोधन विधेयक पेश किया। मोदी सरकार ने आर्थिक आधार पर सरकारी नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में सामान्य वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण के मुद्दे पर लोकसभा में जोरदार बहस जारी है।
कैबिनेट ने ईसाइयों और मुस्लिमों समेत अनरिजर्वड कटैगरी के लोगों को नौकरियों और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया। इसका फायदा 8 लाख रुपए सालाना आय सीमा और करीब 5 एकड़ भूमि की जोत वाले आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग को मिलेगा।


UPDATE...


- हम इस बिल का समर्थन करते हैं, लेकिन अगर उनकी नीयत सही है तो इसे पास कराएं : भगवंत मान।

- बीजेपी का यह बिल चुनावी स्टंट हैं, अगर बीजेपी की नीयत साफ होती तो यह बिल संसद के पहले सत्र में लाया जाएगा : भगवंत मान, आप सांसद।

- मोदीजी ने इस बिल को लाकर समाज को वैमनस्यता कम करने की कोशिश कीः निशिकांत दूबे, बीजेपी सांसद।

- लोकसभा सदस्य महेंद्र नाथ पांडेय ने धर्मेंद्र यादव पर तंज कसते हुए कहा कि क्या आप एसपी-बीएसपी की संयुक्त सभा को संबोधित कर रहे हैं।

- धर्मेंद्र यादव ने कहा कि सरकार को सभी पदों पर असमानता दूर करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आबादी के हिसाब से समाज के सभी वर्गों को आरक्षण की जरूरत है।

- सवर्ण आरक्षण बिल पर समाजवादी पार्टी ने केंद्र सरकार की नीयत पर सवाल उठाए। समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने सदन में नए रोजगार निर्मित किए जाने और खाली पड़े पदों को भरने का अनुरोध किया।

- सवर्ण आरक्षण बिल पर समाजवादी पार्टी ने केंद्र सरकार की नीयत पर सवाल उठाए। एसपी सांसद धर्मेंद्र यादव ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि इस सरकार के दौरान दलित, शोषित और पिछड़े वर्गों का सबसे ज्यादा शोषण हुआ है।

- रामविलास पवासन ने सामान्य श्रेणी के आरक्षण को लेकर तीन मांगें की हैं। उन्होंने कहा कि 60 प्रतिशत को 9 वीं अनुसूची में डाल दिया जाएगा। जिससे इसे अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकेगी। उन्होंने निजी क्षेत्र और भारतीय न्यायिक सेवा में भी 60 प्रतिशत आरक्षण की मांग की।

- लोकसभा में रामविलास पासवान ने सरकार से अनुरोध किया कि इस बिल को जल्द से जल्द नौवीं सूची में डाल दिया जाए ताकि इसे बार-बार कोर्ट में ना घसीटा जा सके।

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तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय ने लोकसभा में सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा करते हुए कहा, 'सरकार इस कोटा बिल की तरह ही महिला आरक्षण बिल को प्राथमिकता के साथ क्यों नहीं लेती है। यह बिल केवल नौकरियों के बारे में ही नहीं है, बल्कि झूठी आशाओं और नकली सपनों के साथ युवाओं को गुमराह करने के बारे में भी है।

- AIADMK नेता एम थंबीदुरई ने लोक सभा में सवाल किया कि क्या सभी सरकारी योजनाएं विफल हो गई हैं। बहुत सारी योजनाएं हैं। साथ ही उन्होंने बीजेपी को चुनौती देते हुए कहा कि आपके इस बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी।

- कांग्रेस नेता केवी थोमस ने कहा, हम इस कोटा बिल का समर्थन करते हैं, हम इसके खिलाफ नहीं हैं, लेकिन जिस तरह से इसे लाया जा रहा है, वह आपकी ईमानदारी पर सवाल उठाता है। मेरा अनुरोध है कि इसे पहले जेपीसी के पास भेजा जाए।

- सदन में जेटली ने कहा कि यह आरक्षण बिल सबका साथ, सबका विकास को सुनिश्चित करता है। उन्होंने इसे समानता के लिए उठाया गया कदम बताया है। जेटली ने कहा कि यह बिल समाज का उत्थान करेगा।

- वित्त मंत्री ने कहा कि पहले से मौजूद कोटा के साथ छेड़छाड़ नहीं होगी। अरुण जेटली ने कहा, वह मौजूदा कोटा सिस्टम के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे। यह बिल आर्थिक समानता के लिए है। उन्होंने कहा कि इस बिल से गरीब सवर्णों की स्थिति बेहतर होगी। सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के लिए 50 फीसदी की सीमा तय कर दी है।

- केंद्रीय व‍ित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस इसे जुमला कहने वालों पर हमला बोलते हुए कहा, सवर्णों को आरक्षण देने के जुमले को सभी दलों ने अपने अपने घोषणा पत्र में रखा। उन्‍होंने कहा, आर्थ‍िक आधार पर आरक्षण मिलना चाहि‍ए।

- इसके बाद कांग्रेस के नेता केवी थॉमस ने चर्चा में ह‍िस्‍सा लिया। उन्‍होंने कहा, हम इस ब‍िल के खि‍लाफ नहीं हैं।

- बहस शुरू करते हुए थावरचंद्र गहलोत ने कहा, नि‍जी श‍िक्षण संस्‍थानों में भी ये आरक्षण लागू होगा। जो आरक्षण है, उसमें कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। थावरचंद्र गहलोत ने इस पर सभी दलों का समर्थन मांगा।


इससे पहले इसके लिए राज्यसभा की कार्यवाही भी एक दिन बढ़ाई गई है। केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने लोकसभा में बिल पेश किया। सरकार यह विधेयक ऐसे समय में लाई है जब लोकसभा चुनाव में 3-4 महीने का समय ही बचा है। जानकारों का मानना है कि बिल के माध्यम से सरकार सामान्य वर्ग के नाराज लोगों को मनाना चाह रही है।

पिछले साल एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के कारण सामान्य वर्ग में बीजेपी को लेकर रोष पनपने की बात सामने आई थी। पिछले महीने तीन राज्यों छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में भाजपा की हार का भी यह एक प्रमुख कारण बताया जा रहा है।

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