साल 2018 : राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में भारतीयों ने लहराया तिरंगा

www.khaskhabar.com | Published : रविवार, 30 दिसम्बर 2018, 3:28 PM (IST)

नई दिल्ली। इस साल अप्रैल में गोल्ड कोस्ट में हुए राष्ट्रमंडल खेलों और अगस्त में इंडोनेशिया के जकार्ता में हुए एशियाई खेलों में भारतीयों ने अपने प्रदर्शन से विश्व पटल पर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के कुल 218 खिलाड़ी मैदान में उतरे, जहां उसने 16 खेलों में कुल 66 पदक अपनी झोली में डाले। भारत इस प्रतियोगिता में 26 स्वर्ण, 20 रजत और इतने ही कांस्य पदकों के साथ तालिका में तीसरे स्थान पर रहा।

राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को सबसे ज्यादा निशानेबाजी में 16 पदक मिले। इसके अलावा कुश्ती में उसे 12, मुक्केबाजी और भारोत्तोलन में 9-9, टेबल टेनिस में 8, बैडमिंटन में 6, एथलेटिक्स में 3, स्क्वैश में दो, पैरा पावरलिफ्टिंग में एक। एथलेटिक्स में भारत के लिए नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक में ऐतिहासिक स्वर्ण जीता। नीरज खेलों के इतिहास में भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने।

उनके अलावा सीमा पूनिया ने चक्का फेंक में रजत और नवजीत ढिल्लन ने कांस्य जीतकर देश को दोहरी सफलता दिलाई। बैडमिंटन में भारत के लिए सायना नेहवाल ने महिला एकल में स्वर्ण जीता। इसके अलावा भारत को मिश्रित टीम स्पर्धा में भी स्वर्ण मिला। भारत को तीन रजत भी मिले। पुरुष युगल में सात्विक रेंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी ने रजत, महिला एकल में पीवी सिंधु ने रजत और एन. सिक्की रेड्डी और अश्विनी पोनप्पा की जोड़ी ने महिला युगल में कांस्य जीता।

मुक्केबाजों ने तीन स्वर्ण, तीन रजत और तीन कांस्य पदक पर कब्जा जमाया। गौरव सोलंकी ने पुरुषों के 52 किग्रा में स्वर्ण और विकास कृष्ण ने 75 किग्रा में सोना हासिल किया। महिलाओं के 45-48 किग्रा में दिग्गज मुक्केबाज एम.सी मैरी कॉम ने स्वर्णिम पंच लगाया। इसके अलावा सतीश कुमार, अमित और मनीष कौशिक ने अपने-अपने भार वर्ग में रजत अपने नाम किया। वहीं, हुसामुद्दीन मोहम्मद, मनोज कुमार नमन तंवर को कांस्य मिला।

पैरा पावरलिफ्टिंग में सचिन चौधरी ने पुरुषों की हैवीवेट कटेगरी में भारत को एक कांस्य पदक दिलाया। निशानेबाजी में भारतीय निशानेबाजों ने जमकर पदक पर निशाने लगाए। भारत ने इस स्पर्धा में सात स्वर्ण समेत कुल 16 पदक जीते। पुरुषों के 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में जीतू राय और 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल स्पर्धा में अनीष भानवाल ने स्वर्ण पदक जीता, जबकि संजीव राजपूत ने 50 मीटर राइफल-3 पोजीशन स्पर्धा में स्वर्ण हासिल किया।

अनीष भारत के सबसे कम उम्र के पदक जीतने वाले खिलाड़ी बने। महिला निशानेबाजों ने भी चार स्वर्ण जीते। इनमें 16 साल की मनु भाकेर, हीना सिद्धू, तेजस्विनी सावंत और श्रेयसी सिंह ने अपने-अपने स्पर्धा में सोने पर निशाना लगाया।


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स्क्वैश में महिलाओं की युगल स्पर्धा में दीपिका पल्लीकल कार्तिक एवं जोशना चिनप्पा और मिश्रित युगल स्पर्धा में दीपिका एवं सौरव घोषाल की जोड़ी ने रजत पदक जीता। टेबल टेनिस में मानिका बत्रा ने महिलाओं के एकल वर्ग में भी स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। मनिका राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वालीं पहली और एकमात्र भारतीय महिला टेबल टेनिस खिलाड़ी बनीं। पुरुषों के युगल स्पर्धा में अचंता शरथ कमल और साथियान गणाशेखरन तथा महिलाओं की युगल स्पर्धा में मानिका बत्रा और मौउमा दास की जोड़ी ने रजत पदक जीते।

भारत को तीन कांस्य पदक भी मिले। भारोत्तोलन में सतीश कुमार शिवालिंगम और वेंकट राहुल रंगाला ने अपने-अपने भारवर्ग का स्वर्ण पदक अपने नाम किया। इनके अलावा, मीराबाई चानू, संजीता चानू और पूनम यादव ने भी स्वर्ण पदक हासिल किया। प्रदीप सिंह और गुरुराजा को रजत जबकि दीपक लाथेर और विकास ठाकुर कांस्य पदक मिले। कुश्ती में भारत ने पांच स्वर्ण के साथ कुल 12 पदक जीते।

सुमीत मलिक और राहुल अवारे के स्वर्ण के अलावा बजरंग पूनिया और सुशील कुमार ने भी स्वर्णिम दांव खेला। महिलाओं में विनेश फोगाट ने स्वर्ण पर कब्जा किया। वहीं, मौसम खतरी, बबीता फोगाट और पूजा ढांडा को अपने-अपने वर्ग में रजत मिला। इसके अलावा सोमवीर, रियो ओलम्पिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक, दिव्या काकरान और किरण ने कांस्य पदक अपने नाम किए।

हालांकि जहां ऊपर के खेलों में भारतीय खिलाडिय़ों और एथलीटों का प्रदर्शन सराहनीय रहा तो वहीं हॉकी में उसे निराशा हाथ लगी। 2010 दिल्ली राष्ट्रमंडल खेल और 2014 मेलबर्न राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीतने वाली भारतीय पुरुष हॉकी टीम गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीते बगैर खाली हाथ लौट आई। भारत को कांस्य पदक के मुकाबले में इंग्लैंड से हार का सामना करना पड़ा।

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राष्ट्रमंडल के अलावा अगर एशियाई खेलों की बात करें तो उसमें भी भारत का परचम देखने को मिला। इंडोनेशिया के जकार्ता में खेले गए एशियाई खेलों में भारतीय खिलाडिय़ों ने 1951 के स्वर्णिम शो को फिर से दोहराते हुए एशियाई खेलों के इतिहास में सबसे अधिक पदक अपने नाम किए हैं। भारत ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 15 स्वर्ण, 24 रजत और 30 कांस्य के साथ कुल 69 पदक जीते।

एशियाई खेलों का 18वां संस्करण भारत के लिए इसलिए भी यादगार रहेगा क्योंकि भारतीय खिलाडिय़ों ने बीते सभी संस्करणों की तुलना में इस बार अपने लिए सबसे अधिक पदक हासिल किए। कुल पदकों के मामले में भी भारत ने 2010 एशियाई खेलों की पीछे छोड़ा। चीन के ग्वांगझो में हुए 2010 एशियाई खेलों में भारत ने कुल 65 पदक जीते थे। एशियाई खेलों के 18वें संस्करण में भारत ने सबसे ज्यादा 19 पदक एथलेटिक्स में जीते जिसमें सात स्वर्ण, 10 रजत और दो कांस्य शामिल हैं।

भारत ने पुरुष 800 मीटर, पुरुष 1500 मीटर, पुरुष गोला फेंक, पुरुष भाला फेंक, पुरुषों के तिहरी कूद, महिलाओं की 4 गुणा 400 मीटर रिले, महिला हेप्टाथलान में स्वर्ण हासिल किए। स्वप्ना बर्मन एशियाई खेलों में हेप्टाथलन में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय बनीं। गोलाफेंक में तेजेंदरपाल सिंह तूर ने एशियाई रिकार्ड के साथ भारतीय तिरंगा फहराया।

निशानेबाजों ने भी निराश नहीं किया और दो स्वर्ण, चार रजत और तीन कांस्य के साथ कुल नौ पदकों पर कब्जा किया। राही सरनोबत ने 25 मीटर पिस्टल में स्वर्ण पदक जीता और वह एशियाई खेलों में निशानेबाजी में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनीं।

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हालांकि कुश्ती में भारत का प्रदर्शन निराशाजनक रहा और केवल दो स्वर्ण और एक कांस्य पदक ही उसकी झोली में आ पाए। विनेश फोगाट 50 किग्रा भार वर्ग में स्वर्ण जीतते ही एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बन गईं। इसके अलावा ब्रिज, नौकायन और टेनिस की विभिन्न स्पर्धाओं में भारत ने एक स्वर्ण और दो कांस्य के साथ कुल तीन-तीन पदक हासिल किए। ब्रिज में प्रणब बर्धन एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले सबसे उम्रदराज खिलाड़ी रहे।

60 साल के बर्धन ने ब्रिज की पुरुषों की युगल स्पर्धा में स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। बर्धन ने अपने 56 वर्षीय जोड़ीदार शिबनाथ सरकार के साथ फाइनल में चीन को पछाड़ते हुए 384 अंकों के साथ स्वर्ण पदक जीता। भारतीय मुक्केबाज अच्छा ख्ेाल नहीं दिखा पाए और भारत एक स्वर्ण और एक कांस्य पदक ही जीत पाया, 14वें दिन अमित पंघल ने भारत को एकमात्र स्वर्ण दिलाया। भारत को तीरंदाजी और घुड़सवारी में दो-दो रजत पदक मिले। स्क्वैश की विभिन्न स्पर्धाओं में एक रजत और चार कांस्य पदक से ही संतोष करना पड़ा।

सेलिंग में भारतीय खिलाडिय़ों ने अप्रत्याशित प्रदर्शन करते हुए एक रजत और दो कांस्य पदक जीते। बैडमिंटन, हॉकी, कबड्डी और कुराश में भारत उम्मीद के मुताबिक बेहतरीन प्रदर्शन नहीं कर पाया और एक रजत, एक कांस्य के साथ कुल दो-दो पदक हासिल किए। वुशू में भारतीय खिलाडिय़ों ने दमदार खेल दिखाते हुए कुल चार कांस्य पदक हासिल किए। सेपाकटाक्रा में भी भारत को एक कांस्य पदक मिला। टेबल टेनिस की विभिन्न स्पर्धाओं में भारतीय खिलाडिय़ों ने संतोषजनक प्रदर्शन करते हुए दो कांस्य पदक हासिल किए। हॉकी में महिला टीम ने जरूर रजत पदक जीता लेकिन पुरुष टीम को स्वर्ण गंवाकर कांसे के तमगे से संतोष करना पड़ा।

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