नई दिल्ली। दुनिया
में कई ऐसे पेड़ है जो अपने आप में फेमस है। हाल ही में हमने एक पेड के
बारे में बताया था जो करीब 100 सालों से कैद है। वहीं आज एक बार फिर एक और
पेड के बारे में बताने जा रहे है जिसके बारे में सुनकर आप हैरान हो जाएंगे।
आज हम एक ऐसे पेड़ के बारे में बताने जा रहे है जिसके बारे में जानकर आपको
हैरानी होगी क्योंकि पृथ्वी पर एक मात्र ऐसा पेड़ है।
ये पेड उत्तर
प्रदेश राज्य के बाराबंकी जिला अंतर्गत किन्तूर ग्राम में स्थित है जिसके
बारे में कहा जाता है कि पारिजात का पेड़ है। माना जाता है कि ये पेड़ सीधा
स्वर्ग से आया है।
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यह पारिजात वृक्ष पूरी दुनिया में अपने आप में एक बिलकुल अलग ही वृक्ष है
क्योंकि आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि इस पारिजात वृक्ष की कलम
भी कभी तैयार नहीं होती है।
पारिजात वृक्ष पर जून के आस पास बेहद खूबसूरत
सफ़ेद रंग के फूल खिलते हैं। लेकिन पारिजात वृक्ष के फूल केवल रात को ही
खिलते हैं और सुबह होते ही यह अपने आप ही मुरझा जाते हैं।
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ऐसा बताया जाता है कि अगर कोई व्यक्ति इस पेड को छूता है इसके छूते ही व्यक्ति की थकान गायब हो जाती है। लेकिन इस पेड़ पर फल नहीं आते है। बता दें कि ये पेड़ औषधिय गुणों से परिपूर्ण है। लेकिन इस पेड़ पर कई सारी कथाएं प्रचलित मानी जाती है।
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कहते है कि इस वृक्ष पर फल इसलिए नहीं आते है कि क्योंकि पेड़ को भगवान
इंद्र ने श्रापित कर दिया था। इस पेड़ की उत्पति समुंद्र मंथन के समय हुई
थी। पौराणिक मान्यताओं को आधार पर इंद्र देव में इस वृक्ष को लाकर अपने
बगीचे में लगाया था।
हरिवंश पुराण के मुताबिक इस वृक्ष के अनोखे फूलों को
पा कर सत्यभामा ने भगवान कृष्ण से जिद्द कर के परिजात नामक पेड़ कोस्वर्ग
से लाकर उनकी वाटिका में लगवाने को कहा।
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भगवान कृष्ण ने नारद मुनी को ये पेड़ लेने स्वर्ग लोक भेजा लेकिन इंद्र
देने ने उनका ये आदेश नहीं माना। श्री कृष्ण भगवान नाराज हो गए और स्वर्ग
लोक पर हमला कर दिया और परिजात नामक पेड़ को हासिल कर के ले आए।
परिजात
वृक्ष के छीन जाने की वजह से उसी समय इन्द्र देव ने श्राप दे दिया कि इस
वृक्ष पर कभी भी फल नहीं आएंगे। परिजात वृक्ष के फूलों का रंग उजला होता है
और ये फूल जब सुख जाते हैं तो हल्के सुनहरे रंग के नजर आने लगते हैं।
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