क्या लाभार्थी वर्ग वोट की राजनीति से भाजपा से नाराज हुआ !

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 08 दिसम्बर 2018, 1:26 PM (IST)

सत्येंद्र शुक्ला

जयपुर । राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए 7 दिसंबर को मतदान सम्पन्न हो चुका है और 74 फीसदी मतदान होने के बाद जैसे ही एग्जिट पोल आने शुरू हुए, तो भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं के माथे पर शिकन नजर आ गई।
एक चैनल के एग्जिट पोल को छोड़कर सभी मुख्य राष्ट्रीय चैनलों के एग्जिट पोल में राजस्थान में कांग्रेस की बहुमत वाली सरकार बताई गई है। वहीं भाजपा को यहां सम्मानजनक हार हो रही है। हालांकि अभी 11 दिसंबर को मतगणना के बाद यह साफ हो जाएगा कि एग्जिट पोल सही है या गलत । प्रदेश की जनता सभी प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में बंद कर चुकी है।

अगर एग्जिट पोल सही जाते है,तो राजस्थान में परिपाटी एक बार कांग्रेस एक बार भाजपा वाली बन जाएगी। लेकिन इस चुनाव में भाजपा के हारने के बाद यह सवाल भी खड़ा हो जाएगा कि क्या लाभार्थी वर्ग भाजपा से खुश नहीं था, क्या भाजपा सिर्फ उन्हें वोट के लिए इस्तेमाल करना चाह रही थी, जिसके चलते यह नया मतदाता वर्ग वसुंधरा सरकार से नाराज हुआ। लाभार्थी परिवारों को खुद सीएम वसुंधरा राजे ने अपने हस्ताक्षर से युक्त एक शुभकामना संदेश भी भेजा था। वहीं इसके बाद भाजपा ने 51 हजार बूथों पर सिर्फ लाभार्थी परिवारों के घर-घर जाकर भाजपा के पक्ष में वोट और समर्थन मांगा था। खुद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी लाभार्थी परिवारों पर भरोसा जताया है।
भाजपा को एग्जिट पोल पर विश्वास नहीं है, भाजपा को उम्मीद है कि लाभार्थी परिवारों ने जरूर भाजपा के पक्ष में वोट दिया होगा। 11 दिसंबर को यह तस्वीर भी साफ हो जाएगी कि लाभार्थी परिवारों के भरोसे रही भाजपा सरकार बना पाती है, यहां नहीं।
इस बार लाभार्थी वर्ग, जिसे पीएम मोदी और सीएम राजे ने मान्यता दी है, सम्मान दिया है, इस वर्ग की परीक्षा की घड़ी है, यह वर्ग किसके साथ जाता है, योजनाओं का लाभ पहुंचाने वाली सरकार के साथ, या नई सरकार के साथ।

वहीं प्रदेश के 20 लाख से अधिक नए युवा मतदाताओं ने भी अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। इस चुनाव के परिणामों से युवा वर्ग के रूख का भी पता चलेगा कि सिर्फ रोजगार देने या बेरोजगारी भत्ता देने की घोषणाओं का लालच भी सही नहीं है। युवाओं को ठोस आधार बताना होगा कि भाजपा अगर बेरोजगारी भत्ता 5000 देने की घोषणा कर रही है, तो कैसे वह भत्ता दे सकेगी। सीएम वसुंधरा राजे के उस दावे की पोल भी खुलेगी, जिसमें सीएम ने ट्वीट करके 44 लाख युवाओं को रोजगार का अवसर देने की बात कही है।

इसके बाद बात करें, किसानों की कर्जमाफी, तो 50000 हजार तक की कर्जमाफी किसानों की वसुंधरा सरकार ने की थी, इससे प्रदेश के लगभग 30 लाख किसानों को लाभ पहुंचा है। इस चुनाव परिणाम से यह भी पता चल सकेगा कि इस कर्जमाफी की घोषणा से किसान खुश थे या नहीं।

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