भारत में कोयला विद्युत संयंत्रों से 76 हजार असमय मौतें : ग्रीनपीस

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 07 दिसम्बर 2018, 9:14 PM (IST)

नई दिल्ली। कोयला आधारित बिजली संयंत्रों के उत्सर्जन मानकों को लागू करने के लिए जारी अधिसूचना की तीसरी सालगिरह और समय सीमा समाप्त होने के एक साल बाद ग्रीनपीस इंडिया ने एक विश्लेषण में कहा है कि अगर पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 2015 में ताप विद्युत संयंत्र के लिए जारी उत्सर्जन मानक की अधिसूचना लागू की जाती तो देश में 76 हजार मौतों से बचा जा सकता था। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से आरटीआई के जािए प्राप्त जवाब के आधार पर ग्रीनपीस इंडिया ने ताप विद्युत संयंत्र में उत्सर्जन मानक लागू करने के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रभाव नामक एक रपट जारी की है।

रपट में सामने आया है कि अगर मानकों को लागू किया जाता तो सल्फर डॉयऑक्साइड में 48 फीसदी, नाइट्रोजन डॉयऑक्साइड में 48 फीसदी और पीएम के उत्सर्जन में 40 फीसदी तक की कमी की जा सकती थी। ग्रीनपीस की तरफ से जारी बयान के अनुसार, इन 76 हजार असमय मौतों में से 34000 मौतों से सल्फर डॉयऑक्साइड उत्सर्जन घटाकर बचा जा सकता था, वहीं नाइट्रोजन डॉयऑक्साइड कम करके 28 हजार मौतों से बचा जा सकता था, जबकि पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) को कम करके 34 हजार मौतों से बचा जा सकता था। बयान में कहा गया है कि इन मानकों को लागू करने की समय सीमा सात दिसम्बर, 2017 रखी गई थी। एक साल बीतने के बाद भी बिजली संयंत्र के उत्सर्जन में बेहद कम नियंत्रण पाया जा सका है। इसी साल सर्वोच्च न्यायालय ने पाया कि 'उर्जा मंत्रालय का कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से होने वाले वायु प्रदूषण को कम करने का कोई इरादा नहीं दिखता', इतना ही नहीं अदालत ने 2022 तक इन मानकों को लागू करने का आदेश भी दिया।

ग्रीनपीस के अनुसार, अगर इन मनकों के अनुपालन में पांच साल की देरी की जाती है तो उससे 3.8 लाख मौतें हो सकती हैं, जिससे बचा जा सकता है और सिर्फ नाइट्रोडन डॉयऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी से 1.4 लाख मौतों से बचा जा सकता है। इस अनुमान में कोयला आधारित बिजली संयंत्रों के नए उपक्रम को शामिल नहीं किया गया है। ग्रीनपीस के सुनील दहिया कहते हैं, "ताप विद्युत संयंत्र के लिए उत्सर्जन मानकों को लागू करना पिछले कुछ दशक से लटका हुआ है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उर्जा मंत्रालय और कोयला पावर कंपनी इन मानको को लागू करने से बच रही हैं और गलत तकनीकी आधार का सहारा ले रही हैं। उन्हें समझना चाहिए कि भारत में वायु प्रदूषण की वजह से लोगों का स्वास्थ्य संकट में है और ताप विद्युत संयंत्र से निकलने वाला उत्सर्जन इसकी बड़ी वजहों में से एक है।

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 भारत को तत्काल उत्सर्जन मानकों को पूरा करने और नए कोयला आधारित बिजली संयंत्रों को रोक कर नवीकरणीय ऊर्जा की तरफ बढ़ने की जरूरत है, जो कि पर्यावरण के लिए सिर्फ अच्छा नहीं है, बल्कि सतत विकास के लिए भी प्रदूषित कोयले से बेहतर है।

-आईएएनएस

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