ढाई से 5 एकड़ ज़मीन वाले किसानों को भी कर्ज राहत देने का ऐलान

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 07 दिसम्बर 2018, 6:46 PM (IST)

पटियाला । किसानों के लिए कर्ज राहत स्कीम को और आगे बढ़ाते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने चार जिलों के 1,09,730 योग्य सीमांत किसानों को व्यापारिक बैंकों के 1771 करोड़ के कर्ज से राहत मुहैया करवाने के साथ-साथ ढाई से पाँच एकड़ ज़मीन वाले किसानों को भी इसका लाभ देने के लिए स्कीम का विस्तार करने का ऐलान किया है।

यहाँ राज्य स्तरीय समागम के दौरान औपचारिक शुरुआत के तौर पर 25 किसानों को कर्ज राहत सर्टिफिकेट सौंपने के अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह राशि सीधा व्यापारिक बैंकों के सीमांत किसानों के खातों में डाली जायेगी और इस प्रक्रिया को कल तक मुकम्मल कर लिया जायेगा। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कर्ज माफी के अगले पड़ावों में भूमि रहित कामगारों का कर्ज माफ करने के प्रति भी वचनबद्धता ज़ाहिर की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी सीमांत किसानों का दो लाख रुपए तक का कजऱ् माफ किया जायेगा और इस तरह दो लाख रुपए तक का कजऱ् उठाने वाले छोटे किसानों को यही राहत मिलेगी। उन्होंने कहा कि पहले पड़ाव में सहकारी बैंकों के 3.18 लाख सीमांत किसानों का 1815 करोड़ रुपए का कजऱ् माफ किया गया है और आज के राज्य स्तरीय समागम में व्यापारिक बैंकों के 1.09 लाख सीमांत किसानों को 1771 करोड़ रुपए की कजऱ् राहत दी गई है।

मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि तीसरे पड़ाव में सहकारी बैंकों से जुड़े 2.15 लाख छोटे किसानों को कजऱ् राहत मुहैया करवाई जायेगी जबकि चौथे पड़ाव में व्यापारिक बैंकों के 50752 छोटे किसानों का कजऱ् माफ होगा।

केंद्रीय एशियाई देशों को चीनी और आलू के निर्यात की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इन वस्तुओं की निर्यात सूची जिसको बीते दिन मंजूरी दी गई है, में शामिल करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि यदि भारत सरकार, पंजाब को यह वस्तुएँ निर्यात करने की इजाज़त दे दे तो इससे राज्य के गन्ना काश्तकारों और आलू उत्पादकों को बहुत बड़ा लाभ पहुँच सकता है।

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने किसानों तक पहुँच रहे जाली बीजों, खेती रासायनों और अन्य खेती वस्तुओं की समस्या पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि उनकी सरकार द्वारा ऐसे उत्पादों की बिक्री को रोकने के लिए 24 घंटे चौकसी इस्तेमाल की जा रही है। उन्होंने बताया कि खादों के संतुलित प्रयोग को यकीनी बनाने के लिए शुरू की गई विशेष मुहिम के नतीजे के तौर पर सावन की फ़सल -2018 के दौरान पिछले साल के मुकाबले युरिया और डीएपी के प्रयोग में क्रमवार 1 लाख मीट्रिक टन और 46 हज़ार टन की कमी हुई है। उन्होंने बताया कि इसके नतीजे के तौर पर तकरीबन 200 करोड़ रुपए की बचत हुई है।

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि यह मुहिम बासमती और खेती रासायनों का उचित प्रयोग करने के लिए किसानों को जागरूक करने के लिए शुरू की गई थी। सावन की फ़सल -2018 के दौरान एसफेट, कारबाडेजि़म, ट्राईजोफोस, थियामैथोज़म और ट्राईसाकलाजोल जैसे पाँच कीटनाशकों के प्रयोग के लिए निरोत्साहित किया गया। इसके नतीजे के तौर पर मानक बासमती पैदा होनी शुरू हुई जिसने अंतरराष्ट्रीय मापदंड पूरे करने शुरू कर दिए हैं। किसानों को बासमती का बढिय़ा भाव मिलने लग पड़ा है। उन्होंने कहा कि पिछले साल के 2600 -3000 रुपए के मुकाबले इस साल किसानों को प्रति क्विंटल 3600 -4000 रुपए मिल रहे हैं।


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