नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक आलोक वर्मा से अधिकार वापस लेने के सरकार के फैसले के खिलाफ वर्मा और एनजीओ कॉमन काज की याचिका पर गुरुवार को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।
सरकार ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच भ्रष्टाचार के आरोप-प्रत्यारोपों को लेकर वर्मा व अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि सीबीआई बनाम सीबीआई विवाद दो टॉप अफसरों के बीच की ऐसी लड़ाई नहीं थी जो रातोंरात सामने आया है यह बहुत दिनों से चल रहा विवाद था। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि यह ऐसा मामला नहीं था कि सरकार को सिलेक्शन कमिटी से बातचीत किए बिना सीबीआई निदेशक की शक्तियों को तुरंत खत्म करने का निर्णय लेना पड़ा।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के निर्णय के खिलाफ आलोक वर्मा और एनजीओ कॉमन कॉज की अपील पर सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रख लिया है। इससे पहले गुरुवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ने बताया कि केंद्र ने खुद माना है कि ऐसी स्थितियां पिछले 3 महीन से चल रही थीं। बेंच ने कहा कि अगर केंद्र सरकार ने सीबीआई डायरेक्टर की शक्तियों पर रोक लगाने से पहले चयन समिति की स्वीकृति ले ली होती तो कानून का बेहतर पालन हो पाता। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि सरकार की कार्रवाई की भावना संस्थान के हित में होनी चाहिए। सीबीआई विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के तेवर सख्त नजर आए।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि सरकार ने 23 अक्टूबर को सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा की शक्तियां वापस लेने का निर्णय रातोंरात क्यों लिया? मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि जब वर्मा कुछ महीनों के बाद रिटायर होने वाले थे तो कुछ और महीनों का इंतजार और चयन समिति से परामर्श क्यों नहीं हुआ? तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्रीय सतर्कता आयोग इस निष्कर्ष पर पहुंच गया था कि असाधारण स्थितियां पैदा हो गई है। उन्होंने बताया कि असाधारण परिस्थितियों को कभी-कभी असाधारण इलाज की जरूरत पड़ जाती है। सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि सीवीसी का निर्देश स्पष्ठ थे, दो वरिष्ठ अधिकारी लड़ रहे थे । वे मुख्य मामलों को छोड़ एक -दूसरे के खिलाफ मामलों की जांच करने में लगे थे।
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आपको बताते जाए कि केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से
कहा था कि उसने सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश
अस्थाना के बीच इसलिए दखल दिया कि वे बिल्लियों की तरह आपस में ही लड़ रहे
थे। केंद्र ने प्रमुख जांच एजेंसी की विश्वसनीयता और अखंडता को बहाल करने
के लिए हस्तक्षेप करने का निर्णय किया। बुधवार को सुनवाई के दौरान
महाधिवक्ता केके वेणुगोपाल ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल
और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच से बताया कि सरकार आश्चर्यचकित थी कि दो
शीर्ष अधिकारी क्या कर रहे हैं। वे बिल्लियों की तरह लडऩे में लगे थे।
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