एक्सक्लूसिव कोर्ट होगी 4 जिलों में स्थापित, आखिर क्यों, यहां पढ़ें

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 04 दिसम्बर 2018, 8:26 PM (IST)

चंडीगढ़ । हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम के तहत दर्ज मामलों के निपटान के लिए विशेष तौर पर लगाई जाने वाली अदालतों (एक्सक्लूसिव कोर्ट) की स्थापना के लिए प्राथमिकता के आधार पर कार्य करने के निर्देश दिए। आरंभ में ऐसे न्यायालय उन चार जिलों में स्थापित किये जाएंगे जहां लम्बित मामलों की संख्या अपेक्षाकृत अधिक है।
मनोहर लाल यहां अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) नियम, 1995 के प्रावधान के तहत हुई प्रगति की समीक्षा करने के लिए राज्य स्तरीय सतर्कता एवं निगरानी समिति की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। आवास एवं जेल मंत्री कृष्ण लाल पंवार और अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण राज्य मंत्री कृष्ण कुमार बेदी भी बैठक में उपस्थित थे।
बैठक में बताया गया कि उच्च न्यायालय द्वारा पहले ही अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के विरूद्घ अत्याचार के मामलों के निपटान के लिए राज्य के प्रत्येक जिले में अतिरिक्त जिला न्यायाधीश-1 की अदालत को विशेष अदालत के रूप में अधिसूचित कर दिया गया है। हालांकि, एक्सक्लूसिव कोर्टों की स्थापना का मामला विचाराधीन है। अधिनियम के तहत अदालतों द्वारा मामलों का निपटान दो मास की अवधि के भीतर करना आवश्यक है। जिन जिलों में बलात्कार, छेड़-छाड़ और मानसिक उत्पीडऩ के 50 या इससे अधिक मामले अदालतों में लंबित हैं, उनमें छ: फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने के संबंध में बताया गया कि यह मामला पहले ही उच्च न्यायालय में उठाया जा चुका है। राज्य सरकार ने इन फास्ट ट्रैक कोर्टों के लिए पहले ही आवश्यक सहायक स्टाफ की स्वीकृति दे दी है और इन्हें जल्द ही स्थापित कर दिया जाएगा।
यह भी निर्णय लिया गया कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा जहां अनुसूचित जातियों से संबंधित लोगों के विरूद्ध अपराध के कारणों का पता लगाने के लिए सामाजिक पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा, वहीं पुलिस विभाग विशेष रूप से जिला हिसार, भिवानी, कैथल और रेवाड़ी में हत्या, हत्या के प्रयास और चोट पहुंचाने के मामलों में वास्तविक मकसद का विश्लेषण करेगा ताकि इस दिशा में आवश्यक कदम उठाए जा सकें।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि सेप्टिक टैंक की सीवर लाइनों की सफाई के दौरान मृत्यु के मामलों को रोकने के लिए, सीवरमैन को स्किलिंग से जोड़ा जाएगा और कार्य करने के लिए आवश्यक कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। केवल पंजीकृत और आवश्यक प्रशिक्षण प्रमाणपत्र रखने वाले सीवर मैन को ही सीवर में प्रवेश करने की अनुमति दी जाएगी। राज्य सरकार ने सभी पंजीकृत सीवर मैन और खतरनाक एवं जोखिम भरे कार्य करने वाले कर्मचारियों को 10 लाख रुपये का बीमा कवरेज भी प्रदान करने का निर्णय लिया है।

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