ढाका। बांग्लादेश किकेट टीम के गेंदबाजी कोच कर्टनी वॉल्श का कहना है कि वेस्टइंडीज के खिलाफ ढाका टेस्ट में तेज गेंदबाजों को शामिल न करने का मतलब यह नहीं कि यह कि देश में तेज गेंदबाजी का अंत हो रहा है। वेबसाइट ईएसपीएन की रिपोर्ट के अनुसार, वॉल्श ने कहा कि ढाका टेस्ट में तेज गेंदबाजी को अहमियत न दिए जाने से टीम के तेज गेंदबाजों को गलत संदेश देने का उनका कोई इरादा नहीं है।
उल्लेखनीय है कि ढाका टेस्ट में बांग्लादेश ने वेस्टइंडीज के खिलाफ पारी और 184 रनों से जीत हासिल की थी। यह बांग्लादेश के लिए ऐतिहासिक जीत भी थी, क्योंकि टीम ने पहली बार किसी टेस्ट मैच में पारी से जीत हासिल की थी। इसके अलावा, बांग्लादेश के 18 साल के टेस्ट इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी टेस्ट मैच में अंतिम एकादश में एक भी तेज गेंदबाज शामिल नहीं किया गया।
चटगांव में खेले गए पहले टेस्ट मैच में तेज गेंदबाजों को शामिल किया गया था लेकिन उसमें भी विकेट स्पिन गेंदबाजों ने लिए। ऐसे में बांग्लादेश के टेस्ट इतिहास में पहली बार हुआ कि किसी टीम के खिलाफ दो टेस्ट मैचों की सीरीज में 40 विकेट स्पिन गेंदबाजों ने ही लिए। बांग्लादेश ने इस सीरीज को 2-0 से अपने नाम किया।
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ढाका में खेले गए टेस्ट मैच में अंतिम एकादश में किसी भी तेज गेंदबाज को
शामिल न किए जाने के फैसले पर वॉल्श ने कहा, यह पहला टेस्ट मैच था जिसमें
कोई भी तेज गेंदबाज शामिल नहीं था। यह सीरीज को जीतने के लिए किया गया
परीक्षण था। मेरे लिए इससे कोई गलत संदेश देने की कोशिश नहीं है। रणनीतिक
रूप से देखा जाए, तो मुझे ऐसा लगा कि बिना किसी तेज गेंदबाज के बांग्लादेश
का टेस्ट मैच जीतना सबसे सही है।
वॉल्श ने कहा कि भले ही यह पहली बार हुआ
हो, लेकिन परिणाम मायने रखते हैं। सीरीज जीतना बेहतरीन एहसास था। उन्होंने
कहा, आगे भी कई वनडे और टी20 मैच आएंगे, जिनमें तेज गेंदबाजों को खेलने का
मौका मिलेगा। युवा खिलाड़ी इसे देखेंगे और खेलना चाहेंगे। मैं अपने फैसले
से किसी भी तेज गेंदबाज को गलत संदेश नहीं देना चाहता हूं।
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