जयपुर । नाइट टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान सरकार के पुरातत्त्व एवं संग्रहालय विभाग और जयपुर कत्थक केंद्र द्वारा प्रत्येक पूर्णिमा को आयोजित किये जा रहे नृत्यों की श्रृंखला में आज आमेर महल और अल्बर्ट हॉल पर जयपुर घराने के कत्थक नृत्य के कार्यक्रम आयोजित किये गये। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर कत्थक गुरु डॉ. शशि सांखला और राजकुमार जवड़ा के निर्देशन में आयोजित इन कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में पर्यटकों ने कत्थक नृत्यों का आनंद लिया।
जयपुर के प्रसिद्ध अल्बर्ट हॉल पर डॉ. शशि सांखला के शिष्यों द्वारा सर्वप्रथम महाराजा राम सिंह जी द्वारा रचित रंगीला शम्भु शिव स्तुति को राजीव सिंह एवं कुमारी राधिका अरोरा ने प्रस्तुति दी। इसके पश्चात् राजीव सिंह, निहारिका जोशी, राधिका अरोरा एवं झंकृति जैन द्वारा तीनताल में कत्थक नृत्य के शुद्ध पक्ष - ठाट, उठान, आमद, परन, कवित, तोडा और तिहायों की प्रस्तुति दी गई। गुरु नानक जयंती के अवसर पर उन्हीं के द्वारा रचित एवं उन्हीं को समर्पित पद दुर्गा स्तुति पर कुमारी सुमेधा भट्टाचार्य ने ‘कांचन सो तन खंजन से दृग‘ पर प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में गायन एवं हारमोनियम पर रमेश मेवाल, तबले पर मुजफ्फर रहमान और सितार पर हरिहर शरण भट्ट ने संगत दी।
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आमेर महल में जयपुर घराने के चौथी पीढ़ी के कत्थक गुरु पंडित राजकुमार जवड़ा
के निर्देशन में उनके शिष्यों द्वारा कत्थक नृत्य की प्रस्तुति दी गई।
‘गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरा‘ गुरु वंदना से
कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इसके पश्चात भवदीप कुमार जवड़ा, अनामिका, संजीव
कुमावत, सिमरन अग्रवाल, संगीता सेन, स्वाति श्रीवास्तव एवं रितिका
श्रीवास्तव ने गणेश वंदना ‘गाइए गणपति जगवंदन‘ पर कत्थक नृत्य की प्रस्तुति
दी। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण तीन ताल में जयपुर घराने की पारंपरिक
बंदिशें एवं थाट, आमद, परणामद, चक्रधार तोड़े, टुकड़े, आदि पेश किये गये।
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कार्यक्रम के दौरान गायन एवं हारमोनियम पर सांवरमल कथक, तबले पर परमेश्वर कत्थक, पखावज पर चेतन कुमार जवड़ा, सितार पर किशन कत्थक और पढ़ंत पर स्वयं पंडित राजकुमार जवड़ा ने संगत दी।
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