अमृतसर । अमृतसर में विजयदशमी के दिन हुए रेल हादसे में रेल सुरक्षा के मुख्य आयुक्त (सीसीआरएस) द्वारा की जा रही जांच में इस त्रासदी के लिए रेलवे ट्रैक के समीप खड़े लोगों की 'लापरवाही' और 'अनधिकार प्रवेश' को जिम्मेदार ठहराया गया है। करीब एक महीने पहले हुए इस हादसे में 60 लोगों की मौत हुई थी।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि अपनी रिपोर्ट में सीसीआरएस एस.के. पाठक ने लोगों की लापरवाही को घटना का कारण बताया है, जिन्होंने रेलवे ट्रैक पर अनधिकार प्रवेश किया था।
सीसीआरएस ने रिपोर्ट में कहा कि अमृतसर के जोड़ा फाटक के समीप जहां रावण का पुतला जलाया जा रहा था, वहां करीब 50 पुलिसकर्मी तैनात थे।
उन्होंने कहा कि कुछ पुलिसकर्मियों ने भीड़ को ट्रैक से दूर हटाने का प्रयास किया लेकिन भीड़ उनकी बात नहीं सुन रही थी।
जांच रिपोर्ट में पाया गया कि मार्ग पर तीव्र मोड़ होने के कारण दुर्घटना स्थल पर भीड़ को ट्रेन 250 मीटर तक दिखाई नहीं दी थी। घटना करीब सात बजे की है और इस दौरान रावण का पुतला और पटाखे जलाए जाने के कारण वातावरण में धुआं फैला हुआ था।
रिपोर्ट में कहा गया कि अन्यथा सीधे ट्रैक पर हेडलाइट चालू होने से दृश्यता 200 मीटर होती है।
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सीसीआरएस ने यह भी चिन्हित किया कि मार्ग पर अनुमत अधिकतम गति 100
किलीमटर प्रति घंटा है और हादसे के वक्त ट्रेन की गति 82 किलोमीटर प्रति
घंटा थी। ट्रेन के लोको पायलट ने जब भीड़ को देखा तो आपातकालीन ब्रेक लगाए
थे।
पाठक ने रिपोर्ट में यह भी कहा कि दशहरा के बारे में आयोजकों और स्थानीय
प्रशासन ने रेलवे को कोई जानकारी नहीं दी थी।
अमृतसर से सांसद गुरजीत सिंह औजला ने 23 अक्टूबर को रेल मंत्री पीयूष गोयल
से मुलाकात की थी और जांच की मांग की थी जिसके बाद रेल मंत्रालय ने
सीसीआरएस जांच का आदेश दिया था।
-आईएएनएस
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