मौत के बाद पति ने कहा कुछ ऐसा, लौट आई मरी हुई पत्नी, फिर...

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 16 नवम्बर 2018, 5:06 PM (IST)

नई दिल्ली। मौत के बाद इंसान वापस अपने घर लौट कर आ जाए। ऐसी घटनाएं हम बहुत बार सुनते है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी घटना के बारे में बताने जा रहे है जिसे सुनकर आप यकीन करेंगे कि मरने के बाद ऐसा भी हो सकता है।

सोचिए जब किसी इंसान को दफनाया जाए उसके कुछ समय बाद वही इंसान वापस खुद ही चल कर अपने घर पहुंच जाए तो आप क्या कहेंगे। दरअसल, साल 1705 में मार्गोरि मैककॉल नाम की एक महिला की बुखार से मृत्यु हो गई और इस डर से कि कहीं बुखार फेलना जाए उसे तुरंत ही दफना दिया गया।

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लेकिन, उसी रात जब उसे दफनाया गया था, कुछ लुटेरों ने कीमती सामान जैसे- उसकी शादी की अंगूठी के लिए, उसकी कब्र को खोद दिया। और कब्र खोदने के बाद मार्गोरि अचानक उठ कर बैठ गई। लुटेरे उसे वहीं छोड़ कर अपनी जान बचाने के लिए, डर के मारे वहां से भाग खड़े हुए।

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मार्गोरि मैककॉल की ठीक तरह से जांच नहीं हुई थी। और उसे समय से पहले ही दफना दिया गया था। इसके बाद मार्गोरि वहां से उठ कर अपने घर चली गई। उसका पति डॉक्टर जॉन घर पर उनके बच्चों के साथ था। जब उसने दरवाजे पर दस्तक सुनी, तो उसने बच्चों से कहा कि ‘अगर तुम्हारी मां अभी जिंदा होती, तो कसम से यह दस्तक उसने ही दी होती।’

लेकिन उसे क्या पता था कि उसकी बात सच हो जाएगी। और ऐसा ही हुआ। जब उसने दरवाजा खोला तो उसने देखा कि दरवाजे पर उसकी पत्नी उन्हीं कपड़ो में खड़ी थी, जिसमें उसे दफनाया गया था। उसकी उंगलियों से खून बह रहा था, लेकिन वह जिंदा थी। मार्गोरि को वहां देख डर के कारण उसके पति की वहीं मौत हो गई और वह जमीन पर गिर गया। इसके बाद उसे उसी कब्र में दफनाया गया, जिस जगह को मार्गोरि खाली छोड़ा था।

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इसके बाद मार्गोरि ने फिर से शादी की और उसके कई बच्चे भी हुए। और अंत में पूरी जिंदगी जीने के बाद जब उसकी मौत हुई, और उसे आयरलैंड के लूर्गान सिमिट्री में दफनाया गया। जहां उसकी कब्र में एक चौड़ा पत्थर आज भी रखा हुआ है। जिस पर ‘लीवड वन्स, बुरीद ट्वाइस’ लिखा हुआ है। हालांकि यह कहानी अलग-अलग जगहों पर लोगों द्वारा अलग-अलग समय में घटित हुई सुनाई जाती है।

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यह भी संभवत है, कि यह सिर्फ लोककथा भी हो सकती है। पर लुर्गान के लोग कहते हैं, कि यह एक सत्य घटना है। और मार्गरी की कब्र का वह पत्थर इस बात को साबित करता है।

परंतु यह भी एक तथ्य है, कि वह पत्थर जिस समय की यह घटना बताई जाती है, उसके 150 साल बाद वहां रखा गया था।

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