पराली जलाने से रोकने का अभियान, अधिकारियों की देखी जाएगी गंभीरता - मुख्य सचिव

www.khaskhabar.com | Published : रविवार, 11 नवम्बर 2018, 5:05 PM (IST)

फतेहाबाद । हरियाणा के मुख्य सचिव डीएस ढेसी ने कहा कि पराली जलाने से रोकने के अभियान में पंचायती राज व्यवस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ-साथ प्रशासनिक अधिकारियों की गंभीरता का भी मूूल्यांकन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उपमंडलाधीशों की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट लिखते वक्त उसमें यह टिप्पणी भी दर्ज की जाएगी कि संबंधित अधिकारी ने पराली जलाने से रोकने के अभियान में कितनी गंभीरता दिखाई।

इसके अलावा, उन्होंने जिला फतेहाबाद में धान की पराली जलाने से रोकने के अभियान में प्रशासन का सहयोग न करने को लेकर हिजरावां कलां, हिजरावां खुर्द के सरपंच तथा काशीमपुर गांव के नंबरदार को सस्पेंड करने के निर्देश दिए गए है।यह जानकारी रविवार को उन्होंने फतेहाबाद में फतेहाबाद, सिरसा तथा जींद जिला के प्रशासनिक अधिकारियों की एक बैठक में दी।
उन्होंने कहा कि 25 नवंबर तक का समय बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यही वह अवधि है जब पराली को आग लगाए जाने की सबसे अधिक घटनाएं होती है। इसी के दृष्टिगत मुख्य सचिव ने दो प्रकार की कमेटियों का गठन किया है। राजस्व, कृषि तथा जिला विकास एवं पंचायत विभाग के सदस्यों वाली एक स्थाई कमेटी संवेदनशील गांवों में पूरा समय निगरानी पर रहेगी जबकि उपमंडलाधीश तथा तहसीलदार की कमेटी समय-समय पर जिला के विभिन्न गांवों का दौरा करेगी।
बैठक में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के महानिदेशक अजीत बालाजी जोशी ने मुख्य सचिव को जानकारी देते हुए बताया कि सब्सिडी आधार पर स्थापित कस्टम हायरिंग सैंटर तथा व्यक्तिगत तौर पर प्रदान किए गए उपकरणों का फसली अवशेष प्रबंधन के कार्य में कितना लाभ हुआ है, इसके लिए जल्द ही सभी उपकरणों का जीओ टैग करवाया जाएगा। इससे यह पता चल पाएगा कि सब्सिडी पर दिए गए उपकरण वास्तविकता में कार्य कर रहे हैं या नहीं। उन्होंने पराली प्रदूषण के लिए सबसे अधिक जिम्मेवार धान की पूसा 1401 किस्म के स्थान पर कोई अन्य विकल्प सुझाने के लिए जल्द ही हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के साथ बैठक आयोजित करने की बात कही।
बैठक में अन्य गांवों के सरपंचों, पंचों, नंबरदारों, ग्राम सचिव, पटवारी, चौकीदार तथा सरकारी कर्मचारियों को भी सख्त लहजे में यह चेतावनी दे दी गई है कि यदि वे या उनका कोई परिजन धान की पराली जलाने की घटनाओं में शामिल पाया गया या फिर उन्होंने पराली जलाने से रोकने के अभियान में जिला प्रशासन का सहयोग नहीं किया, तो वे इसी प्रकार की कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहे। पिछले वर्ष के आंकड़ों का हवाला देते हुए मुख्य सचिव ने गहन चिंता जाहिर करते हुए कहा कि फतेहाबाद और सिरसा में लगभग 2 लाख हैक्टेयर भूमि पर धान की खेती होती है, लेकिन पूरे प्रदेश का आंकलन करे तो इन दोनों ही जिलों में पराली में आग लगाने की घटनाएं 49 प्रतिशत तक होती है। उन्होंने कहा कि पराली जलाना कोई साधारण घटना नहीं है, क्योंकि इसके जलाने से होने वाला प्रदूषण मनुष्य जीवन के लिए खतरा पैदा करता है। इसलिए यदि कोई पंचायत प्रतिनिधि या कोई कर्मचारी अपने गांवों में पराली जलाने की घटनाओं की रोकथाम करने में सक्षम नहीं है तो वह अपने पद पर भी रहने के लायक नहीं है।
मुख्य सचिव ने फतेहाबाद के उपायुक्त डॉ जेके आभीर द्वारा हथियारों के लाईसेंस के संबंध में जारी किए गए कड़े निर्देशों की सराहना करते हुए सिरसा तथा जींद जिला के उपायुक्तों को भी निर्देश दिए कि वे हथियार के नये लाईसेंस बनवाने तथा पुराने लाईसेंसों के नवीनीकरण सहित लाईसेेंस में हथियार जुडवाने के संबंध में फतेहाबाद के उपायुक्त द्वारा लिए गए निर्णय को अपने-अपने जिले में भी लागू करें। उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति पराली जलाने की घटनाओं में शामिल पाया जाएं, उनके ना तो नये हथियार लाईसेंस बनाए जाएं और न ही उनके पुराने लाईसेंसों का नवीनीकरण किया जाए। इतना ही नहीं पराली जलाने वाले किसानों की सूची भी तैयार की जाए और भविष्य में इस सूची के दृष्टिगत ही कोई निर्णय लिया जाए।
मुख्य सचिव ने कहा कि पराली जलाने की घटनाओं पर चालान करने के साथ-साथ एफआईआर भी दर्ज की जाए। इसके अतिरिक्त प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा पराली जलाने वाले किसानों के केस प्रदूषण मामले संबंधि न्यायालयों में सुनवाई के लिए भेजे जाए। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी विकास हुड्डा को भी नवंबर माह के दौरान सिरसा क्षेत्र में ही रहने को कहा गया है।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा फसली अवशेष प्रबंधन की दिशा में किए गए प्रयासों का व्यापक असर हुआ हैै। मुख्य सचिव ने कहा कि पूरे प्रदेश में लगभग 13 लाख हैक्टेयर भूूमि पर धान की बिजाई की गई थी। सभी रिपोर्टिंग एजेंसियों के अनुसार प्रदेश में अभी तक 15 हजार हैक्टेयर से अधिक भूमि पर पराली नहीं जली है, जबकि इस बार पिछले वर्ष के मुकाबले लगभग 60 हजार हैक्टेयर अधिक भूमि पर धान की बिजाई हुई है। लेकिन प्रदेश की तस्वीर ऐसी बनी है, जैसे कि यहां सभी किसान पराली को आग लगा रहे हैं। वास्तविकता में स्थिति इसके उल्ट है। सरकार द्वारा पराली प्रबंधन उपकरणों पर दी गई सब्सिडी तथा जागरूकता अभियान के फलस्वरूप बहुत से किसान ऐसे है, जिन्होंने अपने खेतों में पराली का प्रबंधन किया है।
सिरसा जिला के 330 गांवों में से 208 गांवों, जींद जिला के 306 गांवों में से 110 तथा फतेहाबाद के 257 गांवों में से 25 से अधिक ऐसे गांव है, जिनमें पराली जलाने की एक भी घटना नहीं हुई है। फतेहाबाद में लगभग इतने ही गांवों में पराली जलाने की लगभग एक-एक घटना ही हुई है। पिछले साल पराली में आग लगाए जाने की घटनाएं दर्ज की गई थी, अभी तक पराली में आग लगाने की लगभग आधी घटनाएं ही हुई है। विभिन्न जिलों में धान की बिजाई के आंकड़ों और इन जिलों की मंडियों में धान के आवक के आंकड़ों में आ रहे अंतर पर शंका जाहिर करते हुए मुख्य सचिव ने कहा कि इस अंतर को लेकर सभी जिले अपनी-अपनी रिपोर्ट तैयार करेंगे और इस अंतर की वजह को स्पष्ट करेंगे। कुछ जिलों के अधिकारियों द्वारा पड़ोसी राज्यों के जिलों से धान की आवक होने संबंधि जवाब पर हिसार मंडलायुक्त राजीव रंजन ने यह सुझाव दिया कि यदि धान बिजाई और आवक में अंतर इस वजह से, तो पड़ोसी राज्यों के जिलों के बिजाई और आवक के आंकड़ों को भी जांच लिया जाना चाहिए। मंडलायुक्त ने फसली अवशेष प्रबंधन को लेकर मुख्य सचिव को आश्वासन दिया कि इसी दिशा में और अधिक प्रयास किए जाएंगे। इसके अतिरिक्त उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों से कहा कि वे ज्यादा समय व पानी खपत वाली धान की पूसा 1401 किस्म की बजाय ऐसी किस्मों को प्रमोट करे जो कम समय में पक कर तैयार हो जाती है।
बैठक में मुख्य सचिव डीएस ढेसी ने यह जानकारी दी कि हरियाणा सरकार ने हाल ही में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) के साथ एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर हुए है, जिसके तहत प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर कम्प्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) के छोटे-छोटे प्लांट लगेंगे। ये प्लांट स्थापित करने पर अधिक लागत भी नहीं आएगी। इसी प्रकार से अक्षय ऊर्जा विभाग ने भी चार जगह पर धान के फानों से ऊर्जा बनाने के प्लांट लगाएगी। इसके लिए एलओआई जारी कर दिया गया है।
इससे पूर्व उपायुक्त डॉ जेके आभीर ने फतेहाबाद आगमन पर मुख्य सचिव डीएस ढेसी का स्वागत करते हुए कहा कि प्रशासन की सख्ती व जागरूकता के चलते जिला में पराली को आग लगाए जाने की घटनाओं में कमी आई है। पिछले वर्ष इस अवधि तक जहां 2772 आग लगाने की घटनाएं हुई थी, वहीं इस बार ऐसी घटनाएं घटकर 1898 रह गई है। जिला का गांव भूथन कलां जो पिछले दो वर्ष से पराली जलाने के मामले में अग्रणी था, वहां इस बार काफी कम मात्र में पराली को आग लगाने की घटनाएं हुई है। इसी प्रकार से कई अन्य संवेदनशील गांवों में भी किसान जागरूक हुए है। सिरसा जिला के उपायुक्त प्रभजोत सिंह ने कहा कि जिला में 3 गांवों के पंचायत प्रतिनिधियों को नोटिस जारी किए गए है जबकि एक किसान के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई है। जिला में निजी संस्थानों के दस बैलर भी पराली प्रबंधन के कार्य में लगाए गए है। संवेदनशील गांवों में भी पराली को आग लगाए जाने की 397 घटनाएं कम हुई है। जींद के उपायुक्त अमित खत्री ने बताया कि जिला में पराली जलाए जाने की घटनाओं में 30 प्रतिशत तक की कमी हुई है। नरवाना में पराली जलाने के ऐसे मामले ज्यादा पाए गए, जहां पांच पटवारियों को सस्पेंड किया गया।
बैठक में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के महानिदेशक अजीत बालाजी जोशी, हिसार मंडलायुक्त राजीव रंजन, फतेहाबाद उपायुक्त डॉ जेके आभीर, सिरसा उपायुक्त प्रभजोत सिंह, जींद उपायुक्त अमित खत्री सहित फतेहाबाद, सिरसा व जींद जिलों के एसडीएम, डीडीए तथा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी उपस्थित थे।

ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे