नई दिल्ली। सूक्ष्म वायु प्रदूषण कण युवाओं और स्वस्थ लोगों की नसों और नब्ज की अंदरूनी परत को नुकसान पहुंचाकर उनमें स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों ने यह जानकारी दी।
गुरुग्राम के फोर्टिस मेमोरियल अनुसंधान संस्थान के न्यूरोलॉजी निदेशक प्रवीण गुप्ता ने कहा कि पिछले कई वर्षों में युवा मरीजों की संख्या बढ़ी है।
गुप्ता ने कहा, ‘‘हर महीने कम से कम से तीन युवा मरीज हमारे पास आ रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों की तुलना में स्ट्रोक के युवा मरीजों की संख्या करीब दोगुनी हो गई है। अध्ययन में बताया गया कि इसका सबसे बड़ा कारण वायु प्रदूषण है और धूम्रपान अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों ही मामलों में स्ट्रोक के मामलों को बढ़ा रहा है।’’
विशेषज्ञों के मुताबिक, दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता पहले से ही जहरीली है और इस तरह का उच्च प्रदूषण स्तर स्ट्रोक की दर को बढ़ा रहा है।
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विश्व स्ट्रोक दिवस के मौके पर एम्स के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर विनय
गोयल ने कहा, ‘‘वायु में पीएम2.5 का उच्च स्तर कार्डियोवैस्कुलर मृत्यु दर
जोखिम को बढ़ाता है। अंतर्राष्ट्रीय अध्ययनों ने प्रदूषण और स्ट्रोक के
जोखिम के बीच संबंध को दर्शाया है। भारत में हालात और खतरनाक हो सकते
हैं।’’
शुरुआती लक्षणों में शरीर के एक हिस्से में कमजोरी, बोलने या
भाषण को समझने और एक या दोनों आंखों से देखने में दिक्कत महसूस होना शामिल
हैं।
(आईएएनएस)
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