शिमला। आपदा प्रबंधन विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव मनीषा नंदा ने कहा कि प्रदेश
में भारी बारिश से अभी तक 1562 करोड़ का नुकसान हो चुका है। नंदा बुधवार को
एक होटल में आपदा प्रबंधन को लेकर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला को
संबोधित कर रही थीं।
सूचना एवं जन संपर्क निदेशक अनुपम कश्यप ने कहा कि बीते सितंबर में प्रदेश
में सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन को
लेकर ऐसी रिपोर्टिंग होनी चाहिए कि लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा न हो।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष डॉ. शशिकांत
ने कहा कि भूकंप की दृष्टि से हिमाचल अति संवेदनशील है। आईआईटी मुंबई की
स्टडी है कि 1905 में भूकंप से बीस हजार लोग मरे थे। अब भूकंप आता है तो
डेढ़ लाख लोग मरेंगे। भूकंप को लेकर लोगों और बच्चों को ज्यादा जागरूक करना
होगा। नदियों के किनारे निर्माण पर नीति बनाने की बात कही थी परंतु यह बनी
नहीं। मीडिया से आपदा की सूचना साझी होनी चाहिए।
आरटीएम नागपुर विश्वविद्यालय के मास कम्युनिकेशन विभाग के सहायक प्रोफेसर
मोइज मैनन हक ने कहा कि अस्सी प्रतिशत खबरें बयानों पर आधारित रहती हैं।
खबर का असर क्या रहेगा, इसे ध्यान में रखा जाए। मीडिया को क्या सूचनाएं
चाहिए, इसे भी ध्यान में रखना है। आपदा के दौरान देश की छवि प्रभावित न हो।
हिमांशु शेखर मिश्रा ने कहा कि सुनामी में बहुत से लोग मरे तो कानून
बनाया।
आपदा से प्रभावितों के लिए टीमें बनें। मौसम परिवर्तन से प्राकृतिक आपदा
बढ़ी है। कश्मीर जब डूबा तो लोगों के पास हेल्पलाइन नंबर नहीं था। लोग
संपर्क नहीं कर पा रहे थे। मौसम संबंधित बुलेटिन चैनल से गायब हैं। मीडिया
को सूचना देना अनिवार्य है।
ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे