नई दिल्ली। देश के चीनी उद्योग का
शीर्ष संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने बुधवार को कहा कि गन्ने
के लाभकारी मूल्य (एफआरपी) के रूप में किसानों को 13.88 रुपये प्रति क्विंटल सीधे भुगतान करने के केंद्र सरकार के फैसले से उद्योग को राहत मिलेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडीय
समिति (सीसीईए) ने बुधवार को आगामी गन्ना पेराई सत्र 2018-19
(अक्टूबर-सितम्बर) चीनी निर्यात प्रोत्साहन नीति की घोषणा करते हुए घरेलू
चीनी उद्योग को राहत प्रदान करने के मकसद से 5,538 करोड़ रुपये के पैकेज को
मंजूरी प्रदान की है। सरकार ने मिलों को एफआरपी पर दी जाने वाली वित्तीय
मदद को चालू सत्र के 5.50 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 13.88 रुपये
प्रति क्विंटल कर दिया है।
इस्मा के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा
कि सरकार के इस फैसले से अगले साल के लिए तय गन्ने का एफआरपी 275 रुपये
प्रति क्विंटल पर उद्योग के दायित्व में पांच फीसदी की कमी आएगी।
इस्मा
की ओर से जारी एक बयान मे वर्मा ने कहा, "एफआरपी पर भारत सरकार की ओर से
यह अब तक की सबसे बड़ी वित्तीय सहायता है और इससे अगले साल चीनी मिलों के
खर्च और कार्यगत पूंजी की आवश्यकता में कमी आएगी।"
इस्मा महानिदेशक
ने कहा कि चीनी की चीनी निर्यात पर ढुलाई व प्रबंधन आदि के खर्च के रूप में
250 से 300 रुपये की प्रतिपूर्ति करने के फैसले से चीनी मिलों को निर्यात
करने में प्रोत्साहन मिलेगा और चीनी का निर्यात होने से चीनी के आधिक्य
भंडार में कमी आएगी।
इस्मा ने अगले चीनी वर्ष 2018-19
(अक्टूबर-सितंबर) में 350-355 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया है।
अविनाश वर्मा ने कहा कि चीनी उद्योग को बारहों महीने चीनी का निर्यात करने
की जरूरत है। उन्होंने कहा, "हमने पहले ही सरकार से मांग की है कि प्रत्येक
मिल के लिए चीनी निर्यात करना अनिवार्य किया जाना चाहिए ताकि चीनी के
अतिरिक्त भंडार में कमी आए। हम सरकार की ओर से इस बाबत घोषणा की प्रतीक्षा
में हैं।"
उन्होंने कहा कि हर मिल के लिए तय निर्यात लक्ष्य को पूरा करने के लिए सख्त प्रक्रियाएं होनी चाहिए।
--आईएएनएस
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