‘लगातार अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भी सिला नहीं मिलने से दुख’

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 21 सितम्बर 2018, 12:44 PM (IST)

नई दिल्ली। एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहलवान बजरंग पूनिया खेल रत्न के लिए जारी सूची में नाम न आने से निराश हैं और वे अब इसकी वजह जानने के लिए उतावले हैं। इस संबंध में बजरंग शुक्रवार को खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ से मुलाकात करेंगे और मुलाकात का परिणाम सकारात्मक नहीं रहा तो यह पहलवान अदालत के दर पर भी जाने को तैयार है।

बजरंग ने गुरुवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही। इसी बीच, गुरुवार को ही खेल मंत्रालय ने खेल रत्न के लिए क्रिकेट स्टार विराट कोहली और महिला भारोत्तोलक मीरा बाई चानू के नाम पर मुहर लगा दी। बजरंग ने कहा, जब लगातार अच्छा प्रदर्शन करते हैं उसके बाद भी इसका सिला नहीं मिलता है तो दुख होता है। पता नहीं क्या कारण है। मैं यही कारण जानने के लिए मंत्री से मिलने जा रहा हूं। उन्होंने कहा, मैंने खेल मंत्री को फोन भी किया था और मैसेज भी भेजा था, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया था।

योगी भाई (योगेश्वर दत्त) की बात हुई है। टाइम तो बताया नहीं है लेकिन मुलाकात करने को कह दिया है। बजंरग ने कहा कि खेल मंत्री के हाथ में ही सब कुछ है अब। वे चाहें तो मेरा नाम जोड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर वे इस पुरस्कार के योग्य नहीं हैं तो कोई बात नहीं। उन्होंने कहा, उनके हाथ में ही है सब कुछ।

मैं साफ कहता हूं कि अगर मैं योग्य हूं तो मेरा नाम जोड़ा जाए अगर योग्य नहीं हूं तो कोई बात नहीं। मैं बस यही पूछना चाहता हूं कि मेरा नाम क्यों नहीं आया। बजरंग ने कहा कि अगर उन्हें खेल मंत्री से सकारात्मक जबाव नहीं मिलता है तो वे अदालत जाएंगे। उन्होंने कहा, अगर मंत्री के पास से कुछ नहीं होता है तो मेरे पास कोई विकल्प नहीं बचता तो फिर मैं अदालत ही जाना पड़ेगा।

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बजरंग ने कहा कि उनके प्रदर्शन अच्छा रहा है और इसी कारण उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें यह पुरस्कार मिलेगा। उन्होंने कहा, मेरा नाम क्यों नहीं आया इस बात से मैं खुद हैरान हूं। मेरा चार साल का प्रदर्शन देखें या एक साल का अगर मैंने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया हो तो बता दें। अब तो नंबर सिस्टम आ गया है। मैं योग्य हूं इसलिए ही मैंने अप्लाई किया था। इस नंबर सिस्टम में मेरे नंबर सबसे ज्यादा हैं तो इसी बात पर मुझे ताजुब्ब हुआ कि इसके बाद भी मेरा नाम क्यों नहीं आया। बजरंग ने कहा कि यह अवार्ड उनका हक है लेकिन इसके लिए उन्हें लड़ाई लडऩी पड़ रही है इसका उन्हें दुख है।

उन्होंने कहा, अवार्ड खुद मिले तो बात अलग है लेकिन नौबत ऐसी आए कि हमें अवार्ड खुद मांगना पड़े तो दुख तो होता है। खुद मांग कर लेने में इतनी खुशी नहीं होती जितनी खुद-ब-खुद मिलने पर होती है। ऐसा मौका बार-बार नहीं आता। कुश्ती ऐसा खेल है जिसमें चोट की संभावनाएं ज्यादा होती हैं। बजरंग ने माना कि इस सभी प्रक्रिया में उनके खेल का नुकसान हो रहा है। बजरंग ने कहा कि उन्हें अगले महीने विश्व चैम्पियनशिप में हिस्सा लेना है लेकिन इन सभी बातों में फंस जाने के कारण वे अभ्यास पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं।

उन्होंने कहा, मैं इस समय विश्व चैम्पिनशिप की तैयारी कर रहा हूं। अब इस समय मुझे झटका लग गया। मैं इस समय जब आपसे बात कर रहा हूं यह मेरी प्रेक्टिस का समय है। इन सभी का असर मेरे खेल पर पड़ेगा ही। इससे फर्क तो पड़ेगा ही। अभी दो-तीन दिन और मैं इसी में व्यस्त रहूंगा। बजरंग ने कहा कि भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) ने उनका नाम भेज दिया था और महासंघ के अलावा कई खिलाडिय़ों का समर्थन उन्हें प्रदान है।

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