हरियाणा राज्य अनुसूचित जाति आयोग विधेयक 2018 सहित कई बिल पारित

www.khaskhabar.com | Published : गुरुवार, 13 सितम्बर 2018, 09:41 AM (IST)

चंडीगढ़। हरियाणा विधानसभा में मानसून सत्र के अंतिम दिन हरियाणा राज्य अनुसूचित जाति आयोग विधेयक 2018 पारित किया गया। हरियाणा राज्य में अनुसूचित जाति आयोग के गठन के लिए तथा उनसे संबंधित या उनसे आनुशंगिक मामलों के लिए उपबंध करने के लिए यह विधेयक पारित किया गया।

हरियाणा राज्य अनुसूचित जाति आयोग विधेयक 2018 में आयोग सरकार द्वारा नाम निर्दिष्ट किए जाने वाले सदस्यों से गठित होगा अर्थात अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष जो सामाजिक जीवन में अनुभव रखने वाला किन्हीं अनुसूचित जातियों से संबंधित प्रतिष्ठित व्यक्ति होगा और जिसने सरकारी गतिविधियों में काम किया हो, सहयोग दिया हो या अनुसूचित जातियों से संबंधित सरकार का कोई सेवानिवृत्त अधिकारी हो। उपाध्यक्ष सदस्यों में से पदाभिहित किया जाएगा। सदस्य सचिव, जो सरकार का अधिकारी है या रहा है, जो विशेष सचिव पद से नीचे का न हो। योग्यता, न्याय निष्ठा और प्रतिष्ठित व्यक्तियों, जिन्होंने अनुसूचित जातियों के कल्याण और उत्थान के लिए कार्य किया है तथा सेवा की है, में से अनुसूचित जातियों से संबंधित चार से अनधिक सदस्य और उनमें से कम से कम एक महिला होगी।
अध्यक्ष, उपाध्यक्ष तथा सदस्य अपना पद ग्रहण करने की तिथि से तीन वर्ष की अवधि के लिए पद धारण करेंगे, परंतु जहां अध्यक्ष या उपाध्यक्ष या सदस्य तीन वर्ष की अवधि की समाप्ति से पूर्व 65 वर्ष की आयु का हो जाता है तो वह उस दिन अपना पद रिक्त कर देगा। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष तथा सदस्य किसी भी समय लिखित में सरकार को सम्बोधित करते हुए अपने पद से त्याग पत्र दे सकता है और सरकार किसी भी सदस्य को हटा सकती है, यदि वह अनुन्मोचित दीवालिया हो जाता है या ऐसे अपराध, जो सरकार की राय में नैतिक अधमता वाला हो, के लिए सिद्धदोष तथा काराबास से दण्डित हो जाता है या विकृत चित हो जाता है तथा सक्षम न्यायालय द्वारा इस प्रकार घोषित किया जाता है या कार्य करने से इन्कार करता है या कार्य करने में असमर्थ हो जाता है या आयोग से अनुपस्थित रहने की छुट्टी प्राप्त किए बिना आयोग की तीन लगातार बैठकों से अनुपस्थित रहता है या सरकार की राय में उसने सदस्य के पद का इस प्रकार दुरुपयोग किया है कि ऐसे व्यक्ति का पद बना रहना अनुसूचित जातियों के हितों या लोक हित के लिए हानिकारक है।
आयोग के पास विचार करने के लिए सिविल न्यायालय की सभी शक्तियां होंगी अर्थात भारत के किसी भी भाग से किसी व्यक्ति को समन करना तथा हाजिर करवाना तथा शपथ पर उसकी परीक्षा करना और इसी दस्तावेज को प्रकट तथा प्रस्तुत करने की अपेक्षा करना और शपथ पत्रों का साक्ष्य ग्रहण करना और किसी न्यायालय अथवा कार्यालय से किसी लोक अभिलेख या उसकी प्रति की मांग करना और साक्षियों तथा दस्तावेजों के परीक्षण के लिए कमीशन जारी करना और कोई अन्य मामला जो विहित किया गया है या किया जा सकता है।

पंजाब भूमि सुधार स्कीम (हरियाणा संशोधन) विधेयक 2018
पंजाब भू-सुधार स्कीम अधिनियम 1963 हरियाणा राज्यार्थ को आगे संशोधित करने के लिए पंजाब भूमि सुधार स्कीम (हरियाणा संशोधन) विधेयक 2018 पारित किया गया है।
पंजाब भू-सुधार स्कीम अधिनियम 1963 बाढ़ या अनावृष्टि द्वारा, जल निकास से या ऐसे प्रयोजनों से आनुशंगिक या उससे संबंधित अन्य कार्यों के विरुद्ध भूमि संरक्षण अभिक्रम, भूमि कटाव को कम करने, भूमि के संरक्षण से संबंधित भूमि सुधार स्कीमों के निबोध निष्पादन के लिए अधिनियमित किया गया था। हरियाणा सरकार ने इस अधिनियम को 1968 में अपनाया था। राज्य में 54 प्रतिशत भूमिगत जल प्रकृति/गुणवत्ता में खारा है तथा कृषि फसलों की सिंचाई के लिए उचित नहीं है, कृषि सिंचाई क्षमता को कृषि खेतों में भूमिगत पाइपलाइन के अधार पर सिंचाई जल की आपूर्ति के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है। भूमिगत पाइपलाइन बिछाने की बहुत अधिक मांग है जो कि साधारणत: बहुत से किसानों के कृषि खेतों में से गुजरती है। लगभग 15,000 किसानों ने भूमिगत पाइपलाइन प्रणाली पर अनुदान सहायता प्राप्त करने के लिए कृषि तथा किसान कल्याण विभाग को आवेदन प्रस्तुत किए हैं। कुछ किसानों के विरोध के कारण भूमिगत पाइपलाइन को वास्तव में बिछाने में कठिनाई होती है। पूर्वोक्त अधिनियम में संशोधन/समावेश दूसरे किसानों के खेतों के माध्यम से गुजरने वाली भूमिगत पाइपलाइन को बिछाने के लिए किसानों को मदद करेगा। इसलिए पंजाब भू-सुधार स्कीम अधिनियम 1963- (हरियाणा विधि अनुकूलन (राज्य तथा समवर्ती विषय) आदेश, 1968 द्वारा संशोधित) अधिनियम में संशोधन किए जाने की आवश्यकता है।

कारखाना (हरियाणा संशोधन) विधेयक 2018
कारखाना (हरियाणा संशोधन) विधेयक 2018 कारखाना अधिनियम 1948 हरियाणा राज्यार्थ को आगे संशोधित करने के लिए पारित किया गया है।

कारखाना अधिनियम, 1948 में अधिनियमित किया गया था, इसके मुख्य उद्देश्य कारखानों में नियोजित कर्मकारों को पर्याप्त सुरक्षा, स्वास्थ्य तथा कल्याण को सुनिश्चित करना है।
हरियाणा के वर्तमान दृश्यलेख में, लघु उद्योगों में विद्युत की सहायता से विनिर्माण प्रक्रिया में लगाए गए कर्मकारों की संख्या 20 से कम तथा विद्युत की सहायता के बिना कर्मकारों की संख्या 40 से कम का नियोजन कारखाना अधिनियम, 1948 के उपबंधों को पूरा करने तथा अनुपालन करने में असुविधाजनक है। ये लघु उद्योग विभिन्न प्रतिबंधों जैसे कि श्रम कानूनों वित्त निपुण मानव शक्ति प्रौद्योगिकी इत्यादि के कारण दक्ष रूप से कार्य करने के योग्य नहीं हैं। इन लघु उद्योगों को भारमुक्त करने के उद्देश्य से कर्मकारों की कम संख्या रखने वाले कारखानों को कारखाना अधिनियम, 1948 के पूर्वदर्शन से छूट दी जा सकती है। यह प्रस्तावित किया जाता है कि विद्युत की सहायता से 20 कर्मकारों की संख्या तथा विद्युत की सहायता के बिना 40 कर्मकारों की संख्या रखने वाले कारखाने को कारखाना अधिनियम, 1948 की परिभाषा से छूट प्रदान की जाए।
हरियाणा पंचायती राज (संशोधन) विधेयक 2018


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हरियाणा पंचायती राज अधिनियम, 1964 को आगे संधोधित करने के लिए हरियाणा पंचायती राज (संशोधन) विधेयक, 2018 पारित किया गया। विधानसभा चुनाव मतदाता सूची तथा पंचायती राज संस्थाओं की मतदाता सूची में मतदाताओं की संख्या में भिन्न्ता से बचने के लिए पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव के लिए विधान सभा चुनाव मतदाता सूची को अपनाया जाना आवश्यक है।

भारतीय स्टाम्प (हरियाणा संशोधन) विधेयक 2018
भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899, हरियाणा राज्यार्थ, को आगे संशोधित करने के लिए भारतीय स्टाम्प (हरियाणा संशोधन) विधेयक,2018 पारित किया गया है। स्टाम्प शुल्क की दर जो वर्तमान में दस्तावेजों में संशोधित की जानी है जहां कम मूल्य वर्ग की टिकटें जो 1967 में निर्धारित की गई थीं। इन वर्षों के दौरान, पड़ौसी राज्यों में स्टाम्प शुल्क की दरों में संशोधन किया गया है। इसलिए, हरियाणा राज्य के लिए विभिन्न अनुच्छेदों/दस्तावेजों में स्टाम्प शुल्क की दर में संशोधन करना आवश्यक हो गया है। तदनुसार, स्टाम्प शुल्क की दरों को अन्य राज्यों की तुलना में तर्कसंगत बनाने के लिए हरियाणा राज्य के स्टाम्प शुल्क में संशोधन की आवश्यकता है। हरियाणा सरकार ने भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 की अनुसूची 1-ए के अनुच्छेद संख्या 1,2,3,5,7,8,10,11,12, 17, 22, 24,25, 26, 29, 34, 39, 42, 46, 48, 50, 57, 60, 61,64 और 65 में संशोधन करने का निर्णय लिया है।

हरियाणा माल एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक 2018

हरियाणा माल एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 को आगे संशोधित करने के लिए हरियाणा माल एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक,2018 पारित किया गया है।
हरियाणा माल एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 (अधिनियम) को राज्य सरकार द्वारा माल या सेवाओं या दोनों की अंत:राज्यीय प्रदाय पर कर लगाने और संग्रह के प्रावधान के दृष्टिकोण के साथ अधिनियमित किया गया था।

अधिनियम मौजूदा करदाताओं के नए माल और सेवा कर व्यवस्था में सुचारू संक्रमण के लिए कुछ प्रावधान प्रदान करता है। हालांकि, नए कर शासन में कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। करदाताओं, विशेष रूप से छोटे और मध्यम उद्यमों को माल और सेवा कर प्रणाली में होने वाली प्रमुख असुविधाओं में से एक विवरणी भरने और कर का भुगतान करने की प्रक्रिया थी। इस संबंध में, प्रस्तावित नई रिटर्न फाइलिंग प्रणाली में छोटे करदाताओं के लिए त्रैमासिक रिटर्न फाइलिंग और कर भुगतान की परिकल्पना की गई है। नई रिटर्न फाइलिंग प्रणाली को लागू करने के लिए और उपर्युक्त कठिनाइयों को दूर करने के लिए, हरियाणा माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 में संशोधन किया गया है।

हरियाणा विनियोग संख्या (3) विधेयक, 2018

हरियाणा विनियोग संख्या (3) विधेयक, 2018 मार्च, 2019 के इकतीसवें दिन का समाप्त होने वाले वित्त वर्ष के दौरान सेवाओं के लिए हरियाणा राज्य की संचित निधि में से किन्ही और राशियों के भुगतान और विनियोग का प्राधिकार देने के लिए विधेयक :-
यह अधिनियम भारत के संविधान के अनुच्छेद 204 (1) तथा 205 के अनुसरण में बिल वर्ष 2018-19 के खर्च के लिए विधानसभा द्वारा किए गए अनुपूरक अनुदानों को पूरा करने के लिए हरियाणा राज्य की संचित निधि में से अपेक्षित राशियों के विनियोग के लिए उपलब्ध करने के लिए पेश किया गया है ।

हरियाणा दोहलीदार, बुटीमार, भोंडेदार तथा मुकररीदार (मालिकाना अधिकार निहित करना) संशोधन विधेयक, 2018 पारित किया। इस विधेयक का उद्देश्य हरियाणा सरकार के गजट (असाधारण) दिनांक 4-3-2011 द्वारा एक अधिनियम नामत: हरियाणा दोहलीदार, बुटीमार, भोडेंदार और मुकररीदार (मालिकाना अधिकार निहित करना) अधिनियम, 2010 (2011 का अधिनियम संख्याक-1) दोहलीदारों, बुटीमारों, भोंडेदारों तथा मुकररीदारों में मालिकाना अधिकार निहित करने के लिए अधिनामित किया गया था। उक्त अधिनियम के नियम नामत: हरियाणा दोहलीदार, बुटीमार, भोंडेदार ओर मुकररीदार (मालिकाना अधिकार निहित करना) नियम, 2011 भी अधिसूचना दिनांक 16-06-2011 द्वारा बनाए गए थे।


इस अधिनियम में सरकारी भूमि, ग्राम पंचायत भूमि तथा शहरी स्थानीय निकाय भूमि या भूमि जो इन निकायों में निहित मानी गई है, पर इस अधिनियम के लागू होने बारे कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। फिर भी हरियाणा दोहलीदार, बुटीमार, भोडेंदार और मुकररीदार (मालिकाना अधिकार निहित करना) अधिनियम,2011 के नियम 3 के उप-नियम-5 में वर्णित है कि यदि भूमि का मालिक ग्राम पंचायत या शामलात देह है, तो संबंधित ग्राम पंचायत को सुनवाई का मौका प्रदान किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, उक्त नियामें के नियम-4 के उप-नियम-2 में यह प्रावधान है कि शामलात देह या पंचायती भूमि का मुआवजा संबंधित ग्राम पंचायत को दिया जाएगा। इस अस्पष्टता के कारण, सरकारी भूमि जिसमें कि बोर्ड द्वारा कॉरपारेशन, ग्राम पंचायत तथा शहरी स्थानीय निकाय की से संबंधित भूमि पर दावे किए जा चुके हैं।

उपरोक्त के मद्देनजर तथा ग्राम पंचायत और शहरी स्थानीय निकायो के हित के बचाव के लिए हरियाणा दोहलीदार, बुटीमार, भोडेंदार और मुकररीदार (मालिकाना अधिकार निहित करना) अधिनियम,2010 के धारा-1 की उप-नियम-4 में इस प्रभाव हेतु ताकि हरियाणा दोहलीदार, बुटीमार, भोडेंदार और मुकररीदार (मालिकाना अधिकार निहित करना) अधिनियम, 2010 के प्रावधान दोहलीदार, बुटीमार, भोंडेदार और मुकररीदार या इसके समान व्यक्तियों की श्रेणी या वर्ग जिसकी अधिसूचना राज्य सरकार द्वारा शासकीय गजट में की जाएगी, भूमि जोकि केवल निजि व्यक्तियों /संस्थाओं पर लागू होंगे तथा स्थानीय निकायों जैसे कि पंचायत देह, नगरपालिकाओं की स्वामित्व वाली भूमि इत्यादि तथा किसी सरकारी विभाग, बोर्ड या कॉरपारेशन इनमें निहित होने वाली भूमि पर लागू नहीं होंगे।

हरियाणा ग्रुप घ कर्मचारी (भर्ती तथा सेवा की शर्तें) संशोधन विधेयक 2018


हरियाणा ग्रुप घ कर्मचारी (भर्ती तथा सेवा की शर्तें) अधिनियम, 2018 को आगे संशोधन करने के लिए विधेयक विभिन्न ग्रुप घ के पदों की आयु, योग्यताओं तथा सामाजिक आर्थिक मानदण्ड तथा अनुभव को महत्व देने में एकरूपता उपबन्धित करने के उद्देश्य से हरियाणा ग्रुप-घ कर्मचारी (भर्ती तथा सेवा की शर्ते) अधिनियम, 2018 (2018 का हरियाणा अधिनियम संख्या 5) बनाया गया था। अधिनियम के प्रारम्भ में अधिकतम तीन वर्ष की अवधि के भीतर कठिनाई दूर करने की शक्ति के प्रावधान के अतिरिक्त, अधिनियम की कुछ मुख्य विशेषताएं भी जैसे एकरूप चयन मानदण्ड तथा अनुभव को महत्व देना, ज्येष्ठता निर्धारण में एकरूपता परिवीक्षा, सेवान्मुक्ति, पदोन्नति, स्थानान्तरण तथा त्यागपत्र तथा उनके स्वीकारने की स्थिति में अपील का प्रावधान। कठिनाइयों को कम करने के लिए संशोधन किया गया।

हरियाणा नगर निगम (द्वितीय संशोधन), विधेयक 2018
हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994, को आगे संशोधन करने के लिए विधेयक : इस विधेयक का उद्देश्य वर्तमान में हरियाणा राज्य में 10 नगर निगम अस्तित्व में हैं, जिनका गठन समय समय पर तीन लाख तथा इससे अधिक जनसंख्या के मापदण्ड के अनुसार किया गया है। पांच नगर निगमों नामत: रोहतक, हिसार, पानीपत, करनाल तथा यमुनानगर के चुनाव शीघ्र करवाए जाने हैं इसलिए प्रस्तावित हैं कि हरियाणा राज्य के नगर निगमों में मेयर के चुनाव सीधे तौर पर योज्य उम्मीदवारों के द्वारा राज्य चुनाव आयोग के अधीक्षण, निर्देशन तथा नियंत्रण में करवाने के लिए विचार किया जाए, जिसके लिए हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 में आवश्यक संशोधन कर दिए जाएं।

हरियाणा नगरपालिका नागरिक भागीदारी (संशोधन) विधेयक 2018


इस विधेयक को संशोधन करने का उद्देश्य स्थानीय क्षेत्रों में शहरीकरण का विकास होने से फलस्वरूप संबंधित स्थानीय क्षेत्रों, ग्राम पंचायतों को समय-समय पर आवश्यकतानुसार पालिकाओं की सीमा में भी सम्मिलित किया जाता है। किसी स्थानीय क्षेत्र, ग्राम पंचायत को पालिका में परिवर्तित करते समय या उनके क्षेत्र, ग्राम पंचायत को पालिका की सीमा में सम्मिलित करते समय संबंधित स्थानीय क्षेत्र, ग्राम पंचायत के निर्वाचित सदस्यों का निर्धारित कार्यकाल पूर्ण नहीं होता है।

हरियाणा लोकोपयोगिताओं के परिवर्तन का प्रतिषेध विधेयक 2018
हरियाणा राज्य में लोकोपयोगिता में विघ्न डालने या परिवर्तन करने के लिए तथा लोकाधिकार तथा उपयोग के अपवर्जन के लिए ऐसी भूमि तथा उससे संबंधित और आनुशंगिक मामले के लिए दावे का प्रतिषेध करने के लिए इस विधेयक को पारित किया गया।