सचिन पायलट ने प्रदेश की मुख्यमंत्री से पूछा बाइसवां सवाल... जानें क्या?

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 10 सितम्बर 2018, 9:33 PM (IST)

जयपुर। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने प्रदेश की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से आज 22वां प्रश्न पूछा है कि ‘जनता के धन से बनाए गए सरकारी मेडिकल कॉलेजों की आधी सीटों पर फीस 35 लाख रूपए करके प्रतिभावान छात्रों को चिकित्सक बनने से वंचित रखकर क्या आप गौरव महसूस करती हैं?’
पायलट ने कहा कि गत यूपीए सरकार के दौरान प्रदेश के लिए 7 नए मेडिकल कॉलेज स्वीकृत किए गए थे, परन्तु भाजपा सरकार ने इन कॉलेजों की स्थापना प्रक्रिया को चार साल तक लम्बित रखा और अब कार्यकाल के अंतिम वर्ष में चूरू, भरतपुर, भीलवाड़ा, डूंगरपुर और पाली में कॉलेज शुरू किए गए हैं, परन्तु इन संस्थानों में शिक्षा प्राप्त करने वाले 50 प्रतिशत छात्रों की फीस 15 गुना तक रखी गई है, जो छात्रों व अभिभावकों के साथ अन्याय है और प्रतिभावान छात्रों के चिकित्सक बनने के सपने पर कुठाराघात है। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान 7 नए मेडिकल कॉलेज के निर्माण के लिए केंद्र व राज्य सरकार की भागीदारी को 75:25 अनुपात में रखकर स्वीकृति जारी की गई थी और कॉलेजों को सरकारी कॉलेज की तरह ही संचालित किया जाना था। उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार ने इस हिस्सेदारी के अनुपात को बदलकर 60:40 किया है और राज्य के योगदान को बढ़ा दिया है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने इन मेडिकल कॉलेजों को मेडिकल शिक्षा विभाग के अधीन न रखकर मेडिकल शिक्षा सोसायटी के अधीन कर दिया है और इन्हें स्वायत्तशासी संस्थाओं की तरह आर्थिक तौर पर स्वावलम्बी रखने का निर्णय लिया है। सरकार का यह कदम आम मध्यमवर्गीय छात्रों के साथ न सिर्फ भेदभावपूर्ण है, वरन उन्हें चिकित्सा शिक्षा से दूर रखने का षड्यंत्र भी है।



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जहां सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज, एस.एन. मेडिकल कॉलेज जोधपुर, एम.बी.एस. मेडिकल कॉलेज कोटा, सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज आदि की फीस 50 से 70 हजार रुपए सालाना है, वहीं इन मेडिकल कॉलेजों में 35 प्रतिशत सीटों की फीस 7.50 लाख रुपए सालाना और आरयूएचएस मेडिकल कॉलेज की फीस 5 लाख रुपए सालाना रखी गई है और इसी प्रकार 15 प्रतिशत सीटों की फीस एनआरई कोटे से 80 हजार डॉलर से लेकर एक लाख डॉलर तक रखी गई है।

पायलट ने कहा कि इन सभी मेडिकल कॉलेजों के निर्माण के लिए महंगी सरकारी जमीन शिक्षा विभाग को आवंटित की गई है और मंत्रिमंडल द्वारा सरकारी जमीन को सोसायटी के नाम ट्रांसफर करने की छूट तक दे दी गई है। उन्होंने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया से ऐसा प्रतीत होता है कि भविष्य में इन संस्थानों को पीपीपी मोड पर निजी कम्पनियों को सौंपने का भाजपा सरकार मानस बना चुकी है, जो आमजन के हित पर कॉरपोरेट के हित साधने जैसा है।


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उन्होंने कहा कि आज प्रदेश चिकित्सा क्षेत्र में रिक्तियों के कारण पिछड़ रहा है और भाजपा सरकार इसे संज्ञान में लेने के स्थान मेडिकल शिक्षा को महंगा बना रही है, इसलिए मुख्यमंत्री बताएं कि क्या वे चिकित्सा शिक्षा का व्यवसायीकरण कर गौरव महसूस करती हैं?

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