सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, समलैंगिक संबंध अपराध नहीं

www.khaskhabar.com | Published : गुरुवार, 06 सितम्बर 2018, 08:49 AM (IST)

नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय आईपीसी की धारा 377 की संवैधानिक वैधता पर फैसला सुना दिया है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस खानविलकर ने बड़ा फैसला देते हुए कहा है कि समलैंगिकता अपराध के दायरे में नहीं आता है। सबको सम्मान से जीने का अधिकार है। दो बालिगों में सहमति से अप्राकृतिक संबंध जायज हैं। कोर्ट इसमें दखल नहीं दे सकता।

आपको बता दें कि इस मामले को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने जुलाई, 2018 में चार दिन सुनवाई करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। मिली जानकारी के अनुसार, सहमति से समलैंगिक यौनाचार को अपराध की श्रेणी में रखने वाली धारा 377 पर मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 10 जुलाई को सुनवाई शुरू कर दी थी और चार दिन की सुनवाई के बाद न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रख दिया।

पीठ ने सभी पक्षकारों को 20 जुलाई तक लिखित दलीलें पेश करने को कहा था। उम्मीद जताई जा रही थी कि इस मामले में दो अक्टूबर से पहले ही फैसला आ जाएगा, कारण यह था कि मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा सेवानिवृत्त होने वाले हैं। इस विषय को सबसे पहले 2001 में गैर सरकारी संस्था नाज फाउंडेशन ने दिल्ली उच्च न्यायालय में उठाया था, हाईकोर्ट ने सहमति से दो वयस्कों के बीच समलैंगिक रिश्ते को अपराध की श्रेणी से बाहर करते हुए इससे सम्बंधित प्रावधान को 2009 में गैर कानूनी घोषित कर दिया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में हाईकोर्ट के उक्त आदेश को निरस्त कर दिया था।

सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले पर 10 जुलाई को सुनवाई शुरू होते ही संविधान पीठ ने स्पष्ट कर दिया था कि वह सुधारात्मक याचिकाओं पर गौर नहीं करेगी लेकिन इस मामले में सिर्फ नई याचिकाओं को ही देखने का ही काम करेगी।

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